वस्तुओं के बढ़ते निर्यात के साथ-साथ सेवाओं का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है. सूचना तकनीक और दूरसंचार के क्षेत्र में बड़ी प्रगति सेवाओं के निर्यात को ठोस आधार दे रही है. वर्ष 2022 में नवंबर तक सेवा क्षेत्र का निर्यात 273.6 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जो अब तक सर्वाधिक आंकड़ा है. बीते एक दशक में यह निर्यात बढ़कर लगभग दोगुना हो गया है. सेवाओं के निर्यात के साथ यह भी महत्वपूर्ण तथ्य जुड़ा हुआ है कि इस क्षेत्र में आयात और निर्यात का संतुलन भारत के पक्ष में है यानी हम आयात की तुलना में निर्यात अधिक कर रहे हैं.
साल 2022 के पहले 11 माह में सेवा क्षेत्र में लगभग 161 अरब डॉलर का आयात हुआ था, जो निर्यात से बहुत कम है. इसके बरक्स वस्तुओं का व्यापार घाटा 250 अरब डॉलर के आसपास रहा था. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में नवंबर माह तक हुआ सेवा निर्यात 2021 के 12 माह के निर्यात से 17.03 प्रतिशत अधिक है. बीता साल अनेक कारणों से आर्थिक उथल-पुथल का रहा था तथा वैश्विक आपूर्ति शृंखला भी प्रभावित हुई थी.
इस कारण दुनिया में मंदी आने की आशंकाएं भी जतायी जा रही हैं. ऐसे में सेवा निर्यात का बढ़ना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहजनक है. इस वृद्धि के महत्व को इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि दस साल पहले 2012 में सेवाओं का निर्यात 140 अरब डॉलर था. एक दशक में इस क्षेत्र में वृद्धि की औसत वार्षिक दर 6.9 प्रतिशत रही है. चूंकि इसके पीछे सूचना तकनीक और दूरसंचार क्षेत्र की बेहद अहम भूमिका है, तो यह उम्मीद की जा रही है कि सेवा निर्यात में लगातार बढ़ोतरी होगी.
अनुमानों की मानें, तो 2021 और 2026 के बीच भारत में सूचना तकनीक और कारोबारी सेवाओं के बाजार की वार्षिक वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत रहेगी. उच्च स्तरीय कौशल युक्त कार्यबल, सेवाओं का कम खर्च तथा नीतिगत सुधार इस विकास के मुख्य कारण हैं. तकनीकी और कारोबारी शिक्षा के विस्तार तथा तरह-तरह की विशेषताओं वाली स्टार्टअप कंपनियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सेवा क्षेत्र के विकास को लेकर आशान्वित रहा जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि 2022 में ही स्टार्टअप इकोसिस्टम के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर आ गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रमुखता होने के साथ देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के तेज विकास तथा 5जी तकनीक के आने से भी सेवा क्षेत्र को व्यापक लाभ मिलेगा.