झारखंड मंत्रिपरिषद की बैठक में मंगलवार को कई महत्वपूर्ण फैसले लिये गये. इसके तहत प्रवासी मजदूरों की सामान्य मौत होने पर भी पार्थिव शरीर उनके गांव लाने में सरकार आर्थिक सहायता देगी. राज्य के सरकारी और निजी बीएड/एमएड कॉलेजों में नामांकन ‘झारखंड संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर्षद’ द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के जरिये होगी. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा द्वारा तैयार यूजीसी रेगुलेशन-2018 के संशोधित प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी है.
वहीं, राज्य के मदरसों और संस्कृत विद्यालयों को अनुदान देने का भी फैसला लिया गया है. बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षा पैटर्न बदले गये हैं. इसके अलावा राज्य के राइस मिलों के लिए सरकार के करीब 50 प्रतिशत धान की कुटाई करना अनिवार्य होगा. राज्य मंत्रिपरिषद ने झारखंड के प्रवासी मजदूरों की बाहर सामान्य मृत्यु हो जाने पर पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव लाने में आर्थिक मदद देने का फैसला लिया है.
पहले प्राकृतिक आपदा या दुर्घटना में मौत होने पर सरकार पार्थिव शरीर लाने में अधिकतम 25 हजार रुपये तक की सहायता करती थी, लेकिन अब सामान्य मौत होने पर भी यह सुविधा मिलेगी. साथ ही उनके परिजनों को आर्थिक सहायता देगी. मंत्रिपरिषद ने झारखंड बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सेवा भर्ती, प्रोन्नति एवं सेवा शर्त नियमावली-2018 और सह पठित झारखंड बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सेवा, संवर्ग संशोधन नियमावली-2019 में आंशिक संशोधन किया है.
मुख्य लिखित परीक्षा के विषय और पूर्णांक में बदलाव किया गया है. इसके तहत हिंदी की परीक्षा 100 अंकों की होगी. क्वालिफाई अंक 30 होगा. पाठयक्रम दसवीं कक्षा स्तर के होंगे. गृह विज्ञान, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, श्रम एवं समाज कल्याण विषय वैकल्पिक विषय के रूप में होंगे.
वैकल्पिक विषयों के दो पत्र होंगे. हर पत्र 200 अंकों का होगा. मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होनेवाले अभ्यर्थियों के लिए जेपीएससी द्वारा 50 अंकों का साक्षात्कार लिया जायेगा. फिर आयोग द्वारा अंतिम मेधा सूची तैयार की जायेगी.
कैबिनेट से झारखंड कस्टम मिल्ड राइस दायित्व एवं नियंत्रण आदेश-2020 से जारी अधिसूचना में आंशिक संशोधन को मंजूरी मिल गयी है. अब झारखंड स्थित 81 राइस मिलों में सरकार के 50 प्रतिशत धान की कुटाई करना अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने पर सरकार संबंधित राइस मिलों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. इससे पहले राइस मिलों को सरकार के 30 प्रतिशत धान कुटाई करने का आदेश पारित किया गया था. इसकी वजह से सीएमआर में विलंब होता है. अब सरकार ने इसकी सीमा बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दी है.