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बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 40 फीसदी छात्रों की अटेंडेंस कम, प्राचार्यों से मांगा गया ब्योरा

विभाग के मुताबिक पहले कॉलेज में शिक्षकों की कमी थी, लेकिन अब यह कमी दूर हुई है. साथ ही राज्य के 38 में से 35 कॉलेजों में छात्रों को आवासीय सुविधा उपलब्ध हो गयी है. जिन कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति कम है, वहां के के प्राचार्य बच्चों के अभिभावकों से भी बातचीत की जा रही है

प्रह्लाद, पटना: राज्य में पिछले पांच सालों में सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेजों की संख्या बढ़ी है. अब हर जिले में एक सरकारी इंजीनियरिंग कालेज खुल गया है. पर, इन काॅलेजों में छात्र रुचि नहीं दिखा रहे हैं. ऐसे में इन काॅलेजों में आधी सीटें खाली रह जा रही हैं. इसके साथ ही जिन छात्रों ने नामांकन कराया है, उनमें भी करीब 40% कक्षाओं में उपस्थित नहीं हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाधान यात्रा के दौरान सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेजों में बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने तथा खेलकूद और सिनेमा देखने की व्यवस्था भी कराने का निर्देश दिया है. इधर, छात्रों की कम उपस्थिति को देख विज्ञान एवं प्रावैद्यिकी विभाग ने सभी काॅलेजों के प्राचार्याें से ब्योरा मांगा है.

राज्य के सभी जिले में एक-एक इंजीनियरिंग कॉलेज

विभागीय सूत्रों के मुताबिक राज्य के सभी जिले में एक-एक इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. सभी सेमेस्टर को मिलाकर इन कॉलेजों में 25 हजार छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग की समीक्षा बैठक में जब इंजीनियरिंग छात्रों के संबंध में प्राचार्यों से जब उनकी उपस्थिति को लेकर ब्योरा मांगा गया, तो यह देखा गया कि 52 से 62% ही छात्र कॉलेज पहुंच रहे हैं. इस कारण विभाग ने प्राचार्यों को सख्त निर्देश दिया है कि 75% से कम उपस्थिति वालों छात्रों का परीक्षा फाॅर्म नहीं भरा जाए. वहीं, कॉलेज के प्राचार्यों से कम छात्रों की उपस्थिति को लेकर ब्योरा मांगा है.

अभिभावकों से भी की जायेगी बात

विभाग के मुताबिक पहले कॉलेज में शिक्षकों की कमी थी, लेकिन अब यह कमी दूर हुई है. साथ ही राज्य के 38 में से 35 कॉलेजों में छात्रों को आवासीय सुविधा उपलब्ध हो गयी है. जिन कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति कम है, वहां के के प्राचार्य बच्चों के अभिभावकों से भी बातचीत की जा रही है, ताकि छात्रों नियमित कॉलेज आएं.

छात्रों के लिए यह भी है व्यवस्था

कॉलेजों में आने वाले छात्रों को उन्नत तकनीकी शिक्षा दिलाने के लिए आइआइटी के प्राध्यापकों की ओर से एक प्रशिक्षण दिलाया जाता है, ताकि छात्रों की संख्या बढ़े. साथ ही विभाग विशेष रणनीति बनाने में जुट गया है, ताकि अधिक से अधिक छात्र क्लास कर सकें.

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विभाग के मुताबिक

विज्ञान एवं प्रावैद्यिकी विभाग के सचिव लोकेश कुमार ने कहा कि पहले की तुलना में छात्रों की उपस्थिति बढ़ी है. इसे और बढ़ाया जा रहा है. 75% उपस्थिति के बाद ही परीक्षा में शामिल होने दिया जायेगा. शिक्षकों के बाद अब छात्रों के लिए बायोमीटरिक हाजिरी अनिवार्य किया गया है.

सीटें रह जा रही खाली

राज्य के सभी जिलों में सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेज खुल गये हैं. इसके बावजूद राज्य के छात्रों का दक्षिण के राज्यों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए जाना लगा हुआ है. वहीं पिछले तीन से चार सालों में राज्य की कालेजों में सीटें खाली भी रह जा रही है. सरकार ने इंजीनियारिंग काॅलेजों में नामांकन में लड़कियों को 33% आरक्षण की सुविधा भी दी है.

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