झारखंड हाइकोर्ट ने रांची नगर निगम व रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) में नक्शा पास करने के लिए अवैध वसूली को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई की. जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं की दो सदस्यीय समिति का गठन किया. इसमें अधिवक्ता डॉ वंदना सिंह व अधिवक्ता पीएएस पति को शामिल किया गया है, जो रांची नगर निगम व आरआरडीए को नक्शा के मामले में लीगल एडवाइस देंगे. भवनों का नक्शा पास करने पर रोक बरकरार है.
खंडपीठ ने आरआरडीए के मामले में राज्य सरकार तथा नक्शा सॉफ्टवेयर बीपीएएमएस में संशोधन के बिंदु पर रांची नगर निगम को जवाब दायर करने के लिए समय प्रदान किया. उक्त प्रतिवादियों की ओर से जवाब दायर नहीं किया गया था. मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पैरवी की, जबकि मामले के एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखा.
उल्लेखनीय है कि हाइकोर्ट द्वारा गठित अधिवक्ताओं की छह सदस्यीय समिति ने नक्शा स्वीकृति से संबंधित सॉफ्टवेयर के प्रत्येक चरण का अवलोकन कर उसमें संशोधन के लिए पिछली सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था. इस पर खंडपीठ ने रांची नगर निगम व आरआरडीए को नक्शा पास करने की प्रक्रिया को सरल बनाने का निर्देश दिया था, ताकि कम समय में नक्शा स्वीकृत हो तथा वह लंबित नहीं रहे.
यह भी कहा था कि यदि सब कुछ ठीक रहा, तो 10 दिन में नक्शा पास किया जाये. आर्किटेक्ट द्वारा भवन प्लान (नक्शा) को अपलोड करने के बाद सात दिन के अंदर वेरिफिकेशन किया जाये. यदि भवन प्लान का नक्शा स्वीकृति के लायक रहा, तो उसे अगले चरण में भेजा जाये, जहां तीन दिन के अंदर नक्शा पास कर दिया जाये.
भवनों की नक्शा स्वीकृति के लिए निर्धारित शुल्क के अलावा अवैध राशि की मांग की जाती है. अवैध राशि नहीं देने पर नक्शा स्वीकृत नहीं किया जाता है. उसे लंबित रखा जाता है. छोटे मकान के लिए 30 से 50 हजार तथा अपार्टमेंट का नक्शा पास करने के लिए 20-30 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से राशि ली जाती है. प्रभात खबर में 29 नवंबर 2022 को 20-30 रुपये प्रति वर्गफीट चढ़ावा, तब पास होता है नक्शा शीर्षक से प्रकाशित खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे रिट याचिका में तब्दील कर दिया था.