बोकारो, रंजीत कुमार : साल 2015 में बोकारो के कैंप दो में 35 लाख की लागत से आयुष चिकित्सालय का निर्माण हुआ था. बावजूद इस अस्पताल से मरीजों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. जिला आयुष चिकित्सालय खुद बीमार है. अस्पताल में चिकित्सक व कर्मचारियों का टोटा है. जिला आयुष विभाग में चिकित्सकों के 21 पद स्वीकृत हैं, पर एक भी चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं. जिला आयुष पदाधिकारी रामनारायण कारक (आयुर्वेद) ही मरीजों का इलाज करते हैं. यूनानी व होम्योपैथी विभाग में इलाज के लिए आने वाले मरीज बैरंग लौट जाते हैं.
आयुष चिकित्सकों (आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथी) के 21 पद स्वीकृत हैं. बार-बार सरकार से पत्राचार के बाद भी कोई फायदा आयुष विभाग को नहीं हो रहा है. चिकित्सक मिलना तो दूर, जिला आयुष पदाधिकारी डॉ कारक को प्रशासनिक कार्य के साथ-साथ मरीजों का भी इलाज करना पड़ता है. अस्पताल में कर्मचारी के नाम पर गिनती के चार लोग हैं. इनमें से दो कर्मचारी रांची में प्रतिनियुक्ति पर रखे हैं.
सरकार को लिखित रूप में आयुष चिकित्सकों की कमी से लगातार अवगत कराया जा रहा है. इंतजार किया जा रहा है. जब तक पर्याप्त चिकित्सक नहीं मिलेंगे, आयुष चिकित्सालय में सेवा देना सहज नहीं होगा. मेरे अवकाश पर जाने के बाद कोई भी चिकित्सक नहीं बैठता है.
– डॉ रामनारायण कारक, जिला आयुष पदाधिकारी
सरकार को अविलंब आयुष चिकित्सकों का समायोजन आयुष विभाग में करना चाहिए, ताकि आयुष पद्धति से इलाज कराने वालों को लाभ मिले. फिलहाल लाखों की लागत से बने आयुष अस्पताल पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. चिकित्सक की बहाली जल्द हो.
– डॉ पूर्णेंदु गोस्वामी, प्रदेश समिति सदस्य, आयुष एसोसिएशन ऑफ झारखंड
जिला आयुष अस्पताल के निर्माण पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा है. जब सरकार स्वीकृत पद पर आयुष चिकित्सक की बहाली ही नहीं कर रही है, तो लाखों की लागत से आयुष चिकित्सालय बनाने की जरूरत ही नहीं थी. कुछ दिनों के बाद अस्पताल जर्जर भवन में तब्दील हो जायेगा.
डॉ एके प्रसाद, जिलाध्यक्ष, नेशनल इंट्रीग्रेटेड ऑफ मेडिसिन सिस्टम, बोकारो
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत जिला में 28 आयुष (होम्योपैथी, यूनानी व आयुर्वेद) चिकित्सक तैनात हैं. सब सिविल सर्जन कार्यालय के तहत कार्य करते हैं. एनएचएम संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सभी आयुष चिकित्सकों को तैनात किया गया है. ये आयुष चिकित्सक केवल अस्पताल में ही कार्य करते हैं. ये न आयुष विभाग के किसी भी कैंप में शामिल होते हैं और न ही आयुष विभाग के किसी अभियान का हिस्सा बनते हैं.