गया. बिहार के गया में नीरा से पहली बार तिलकुट बनाई जा रही है. वहीं नीरा से पेड़ा, लडडू और लाई भी बनाकर बेची जा रही है. गया जिले के बोधगया प्रखंड अंतर्गत इलरा गांव में कुछ परिवार नीरा से तिलकुट बनाने का काम कर रहा है. नीरा के उत्पादन को लेकर सरकार की कई योजनाएं हैं लेकिन अभी तक अधिकांश योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाई हैं. नीरा की न तो बिक्री बढ़ी और ना ही इसे पीने में लोगों ने दिलचस्पी दिखाई थी. इसीलिए नीरा के खुलने वाले काउंटर भी कुछ दिनों के बाद बंद हो गए. लेकिन इस बार का मकर संक्रांति नीरा को एक बड़ा प्लेटफॉर्म दे रहा है.
गया में नीरा से तिलकुट तैयार किया जा रहा है. गया जिले के इलरा में कुछ परिवार नीरा से तिलकुट बनाने के काम कर रहे हैं. नीरा से तैयार किये गये तिलकुट और मिठाइयों की मांग बाजारों में भी है. लोग नीरा से बनी तिलकुट और अन्य मिठाइयों को पसंद कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि बोधगया में विदेशी भी इसकी डिमांड कर रहे हैं. इलरा गांव की जीविका से जुड़ी पुष्पा राज शांति ने परिवार की मदद से नीरा से तिलकुट बना रही हैं. इन तिलकुटों को बोधगया के बाजार में फिलहाल बेचा जा रहा है.
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राज्य में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू है. शराबबंदी के बाद से तार-खजूर के पेड़ों से नीरा उत्पादन की योजना तैयार की गई थी. सरकार की ओर वर्ष 2017-18 में राज्य के 12 जिला- मुजफ्फरपुर, नालंदा, गया, पटना, समस्तीपुर, वैशाली, औरंगाबाद, भागलपुर, नवादा, जहानाबाद, बांका, मुजफ्फरपुर और सारण में इसकी बिक्री शुरू कीई थी. ताड़-खजूर के पेड़ों से उतरने वाली सुबह की रस को नीरा कहा जाता है. वहीं, सूर्योदय बाद यदि ताड़ खजूर का रस छेवक द्वारा पेड़ से उतारा जाता है, तो उसमें अल्कोहल की मात्रा आ जाती है. वर्तमान में राज्य सरकार ने नीरा को लेकर कई योजनाएं बनाई है.
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