14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand News: झारखंड के इस गांव में आदिम जनजाति बिरहोर परिवार झोपड़ी में रहने को क्यों हैं मजबूर ?

आदिम जनजाति बिरहोर परिवार का पक्का मकान नहीं है. वन पट्टा नहीं होने के कारण न तो जाति, न ही आय और न ही आवासीय प्रमाण पत्र बनवा पा रहे हैं. इससे इन लोगों के बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में काफी दिक्कत हो रही है.

बंदगांव (पश्चिमी सिंहभूम), अनिल तिवारी. पश्चिमी सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र बंदगांव प्रखंड के कांडेयोंग वन ग्राम में 32 आदिम जनजाति बिरहोर परिवार रहते हैं. इनकी स्थिति काफी दयनीय है. इन परिवारों को आज तक मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पाई हैं. यह परिवार करीब 20 वर्षों से यहां रह रहा है. ये लकड़ी के पट्टे से बने घर में रहने को मजबूर हैं. घर के ऊपर प्लास्टिक टांग कर अपना जीवन गुजार रहे हैं.

राशन कार्ड तक नहीं है

आदिम जनजाति बिरहोर परिवार का पक्का मकान नहीं है. वन पट्टा नहीं होने के कारण न तो जाति, न ही आय और न ही आवासीय प्रमाण पत्र बनवा पा रहे हैं. इससे इन लोगों के बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में काफी दिक्कत हो रही है. इस क्षेत्र में न तो इन लोगों के लिए कोई रोजगार है, न ही यहां अब तक बिजली पहुंची है. इन लोगों के लिए पेयजल को लेकर बोरिंग भी नहीं की गयी है. कई बिरहोर परिवारों का राशन कार्ड भी नहीं बन सका है. इस कारण इनकी हालत काफी खराब है.

आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों की नहीं बदली तस्वीर

आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है. ना तो आवास, ना ही बकरी शेड और ना ही आंगनबाड़ी केंद्र है. इस क्षेत्र में बीडीओ, सीओ एवं एसडीओ लगातार आ रहे हैं. इसके बाद भी इनकी तस्वीर नहीं बदली है. आपको बता दें कि कुंदरुबुटु में भारत सेवा श्रम के द्वारा बिरहोरों के रोजगार के लिये हस्तकरघा केंद्र खोला गया था. उसमें बिरहोरों को प्रशिक्षण देकर कपड़ा बुनाई का कार्य कराया जाता था. अब यह भी बंद हो गया है. इससे बिरहोर बेरोजगार हो गये हैं. कुछ बिरहोर पेड़ की छाल से रस्सी बना कर अपना जीवन जी रहे हैं.

Also Read: Jharkhand Breaking News LIVE: एटीएस ने रवि प्रजापति को 150 कारतूस के साथ कोडरमा से दबोचा

प्रमाण पत्र बनाने में परेशानी

ग्राम मुंडा सोम चांद बिरहोर ने कहा कि हमारे गांव में बीडीओ, एसडीओ सभी लोग आए हैं. मगर वन पट्टा नहीं मिलने के कारण जाति, आवासीय प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है. इसके साथ ही यहां के लोगों को अब तक एक भी सरकारी आवास, अंबेडकर आवास हो या प्रधानमंत्री आवास नहीं मिल पाया है. हम लोग झोपड़ी में रह रहे हैं. ठंड एवं बरसात के मौसम में काफी दिक्कत होती है. प्लास्टिक टांग कर हम लोगों को रहना पड़ रहा है.

Also Read: Jharkhand News: ट्रेलर की चपेट में आने से युवक की मौत, 20 घंटे सड़क जाम, ढाई किलोमीटर तक लगी वाहनों की कतार

राशन कार्ड व वन पट्टा मिले

श्याम बिरहोर ने कहा कि सरकार को हम लोगों की आर्थिक स्थिति को समझना चाहिए और हम सभी को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि घर के अभाव में हम सभी लोगों को काफी दिक्कत होती है. सरकार सभी लोगों को राशन कार्ड एवं वन पट्टा दे दे, ताकि हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके.

डीप बोरिंग की सुविधा हो

बुधराम बिरहोर ने कहा कि यहां एक डीप बोरिंग होनी चाहिए. हमारा गांव पहाड़ पर है. पेयजल की समस्या होती है और सभी लोगों को राशन भी नहीं मिल पाता है. हम आदिवासी आदिम जनजाति समुदाय से आते हैं. मगर सरकार की ओर से हम लोगों को अब तक ना तो बकरी शेड, ना ही बिजली, ना ही अन्य सुविधा मिल पाई है.

वन पट्टा नहीं मिलने पर हो रही है परेशानी

मुखिया शीलवंती ओड़िया ने कहा कि बिरहोर लोगों की काफी समस्याएं हैं. हम उनकी समस्या को समझते हैं. मगर वन पट्टा नहीं होने के कारण इन लोगों को सरकारी लाभ दिला पाने में असक्षम हो रहे हैं. बीडीओ एवं एसडीओ को इन बिरहोर लोगों की सहायता करनी चाहिए. हमारी कोशिश रहेगी कि इन बिरहोर परिवारों को सरकार की सभी सुविधाएं उपलब्ध हो.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें