भागलपुर के दो बड़े पुलों की हालत ठीक नहीं है. एक तो उत्तर बिहार को भागलपुर शहर से जोड़नेवाला विक्रमशिला सेतु है और दूसरा भागलपुर शहर को फरक्का से जोड़नेवाले एनएच-80 पर स्थित शंकर पुल है. वर्तमान में दोनों पुल एनएच विभाग के पास हैं. नियमित देखरेख के अभाव में दोनों पुल जर्जर हो गये हैं. सुरक्षित आवागमन के लायक पुल नहीं रह गये हैं. विक्रमशिला पुल पर बड़े आकार के गहरे गड्ढे हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. यह पुल 22 साल का हो गया है और दर्द समेटे खड़ा है. कहलगांव के पास शंकरपुर पुल की भी रेलिंग क्षतिग्रस्त हो गयी है. इस पुल का एक्सपेंशन ज्वाइंट व बियरिंग कोट पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है. हल्के वाहनों के गुजरने मात्र से ही पुल कांपने लगता है.
पुल के दुरुस्तीकरण पर विभागीय पदाधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं. इससे इसकी स्थिति और बिगड़ती जा रही है. एनएच विभाग ने जीरोमाइल से मिर्जाचौकी के बीच हाइवे बनाने के लिए एजेंसी तो बहाल कर ली है, मगर काम शुरू नहीं करा सका है. हाइवे का निर्माण शुरू होगा, तो इस पुल के दुरुस्तीकरण का कार्य भी मुमकिन हो सकेगा. पर, विभागीय अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. वहीं चयनित एजेंसी भी पिछले साल फरवरी से काम शुरू करने की प्रतीक्षा में है.
शंकरपुर पुल का एक्सपेंशन ज्वाइंट व बियरिंग कोट बदलने की कवायद सात साल पहले शुरू हुई थी. मगर, इस पर अब तक काम शुरू नहीं हो सका है. तब यानी, जून 2016 में 15 दिनों के अंदर तीन पुलिया धंसी थीं, तो एनएच विभाग ने आनन-फानन में पुल की सड़क को उखाड़कर नये सिरे से निर्माण कराने की योजना बनायी थी और इसे स्वीकृति के लिए मिनिस्ट्री को भेजा था. मगर, रिमाइंडर कभी नहीं भेजा. इस कारण योजना की फाइल मिनिस्ट्री में लंबित रह गयी.
विक्रमशिला सेतु के रखरखाव की जिम्मेदारी एनएच विभाग के पास है. उनकी ओर से मरम्मत की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. मिनिस्ट्री द्वारा मेंटेनेंस का पैसा देने से इंकार करने के बाद से विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है. अभी विक्रमशिला सेतु पर कई बड़े गड्ढे हाे गये हैं. कई एक्सपेंशन ज्वाइंट भी खराब हाे गये हैं. गड्ढे में फंसने से ट्रक के गुल्ले टूट रहे हैं. ट्रकाें के सेतु पर खराब हाेने से लगातार जाम लग रहा है. टूटी सड़क के कारण दुर्घटना की संभावना बन रहती है.