भारतमाला परियोजना के अंतर्गत वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस वे राजमार्ग निर्माण के बाद पर्यावरण में बदलाव की संभावना को लेकर सोमवार को औरंगाबाद जिले के अंबा प्रखंड कार्यालय में लोक सुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में जिला भू अर्जन पदाधिकारी अमित कुमार सिंह, बीएसपीसी गया के क्षेत्रीय प्रबंधक कमलेश कुमार सिंह, एनएचएआई गया के तकनीकी प्रबंधक चित्रांश कुमार, बीएसपीसी गया के क्षेत्रीय अधिकारी मनोरंजन कुमार सिंह, बीडीओ चंद्र भूषण गुप्ता व आरओ हिमांशु कुमार ने प्रत्याशित पर्यावरणीय प्रभाव से संबंधित किसानों से चर्चा की. लोक सुनवाई में कुटुंबा के अलावा नवीनगर व देव प्रखंड के किसान भी शामिल हुए.
अधिकारियों ने भारतमाला परियोजना के अंतर्गत एक्सप्रेस वे राजमार्ग निर्माण में जिन किसानों भूमि अधिग्रहण किया जाना है, उनसे पर्यावरण से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की. बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि एक्सप्रेस वे राजमार्ग के निर्माण होने से वाहन परिचालन बढ़ेगा. ऐसे में पर्यावरण की स्थिति का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मापदंडों का नियमित निगरानी करना होगा.
बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि हीट आईलैंड प्रभाव के कारण सूक्ष्म जलवायु में बदलाव की उम्मीद है. निर्माण सामग्री तेल, गिरीश, इंधन, पेंट आदि के फैलने के कारण जल निकायों में प्रदूषण हो सकता है. ऐसे स्थान जहां सड़क नदी, नाहर आदि को पार कर रही है, उन जगह पर विशेष योजना बनाई गई है, ताकि इन जलाशयों को दूषित होने से बचाया जा सके.
बताया कि निर्माण के लिए वन संरक्षण अधिनियम 1980 के दायरे में वन मंजूरी आवश्यक है, जिसकी प्रक्रिया चल रही है. अधिकारियों ने बताया कि जल एवं वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए स्थानीय लोगों का सुझाव एवं सहयोग आवश्यक है. इस क्रम में अधिकारियों ने विभिन्न बिंदुओं पर स्थानीय स्तर पर आने वाले समस्या के संबंध में सुझाव मांगा. किसानों ने अपना-अपना सुझाव से अवगत कराया.
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बैठक में शामिल पॉल्यूशन विभाग के अधिकारियों ने किसानों द्वारा दिए गए सुझावों से वरीय अधिकारियों को अवगत कराते हुए आवश्यक पहल करने की बात कही. बैठक में 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया, हालांकि कई किसानों का कहना है कि एक्सप्रेस वे निर्माण में उनका भूमि अधिग्रहण किया जाना है, पर लोक सुनवाई के संबंध में उन्हें किसी तरह की जानकारी नहीं दी गयी है.