भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान अमित रोहिदास की मां गोलापी रोहिदास भारत-इंग्लैंड मैच देखने के लिए आम दर्शक की तरह स्टेडियम पहुंची. वह पार्किंग स्थल से पैदल ही गेट नंबर-2 पहुंची और स्टेडियम में प्रवेश की. वह बेटे का खेल देखने के लिए काफी उत्साहित दिखीं. उनके साथ परिवार के अन्य सदस्य भी थे. वीवीआइपी की इंट्री स्टेडियम में वाहन के साथ है. ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि उन्हें यह सुविधा क्यों नहीं दी गयी या उन्होंने यह सुविधा नहीं ली.
हॉकी विश्व कप में खेल रही है कई भाइयों की जोड़ी
ओडिशा में चल रहे पुरूष हॉकी विश्व कप में कई टीमों में दो सगे भाई साथ में खेल रहे हैं, जिससे खराब समय में उन्हें एक दूसरे का भावनात्मक सहयोग भी मिल रहा है. स्पेन को पिछले सप्ताह भारत ने जब पहले मैच में 2.0 से हराया तो उस टीम में पाउ कुनिल और पेपे कुनिल दोनों भाई साथ खेल रहे थे. वेल्स टीम में भी जेरेथ फर्लोंग और रोड्री फर्लोंग साथ खेलते हैं जिनकी टीम लगातार दूसरी हार के साथ टूर्नामेंट से लगभग बाहर हो गयी है.
सगे भाइयों के खेलने से मिलता है भावनात्मक सहयोग
भुवनेश्वर में जर्मन टीम में मैट्स और टॉम ग्रामबुश दोनों भाई हैं, जिनकी टीम ने पहले मैच में जापान को 3.0 से हराया था. पाउ ने कहा कि परिवार का कोई साथ में अगर ऐसे बड़े टूर्नामेंट में खेल रहा है, तो भावनात्मक रूप से काफी मदद मिलती है. आपके खराब समय में साथ देने के अलावा वह आत्मविश्वास भी बढ़ाता है. पाउ और पेपे दोनों स्पेन में एक ही क्लब एटलेटिक टेरासा के लिए भी साथ खेलते हैं. उनका एक कजिन गेरार्ड क्लेप्स भी स्पेनिश टीम में है. पाउ ने कहा कि मेरे पिता और मां दोनों ने हॉकी खेली. मेरे दादा ने भी हॉकी खेली. आप कह सकते हो कि हम हॉकी फैमिली हैं. उन्होंने कहा कि भारत में हॉकी खेलने का अनुभव ही अलग है. उन्होंने कहा कि भारत में हॉकी का स्तर ही अलग है. यहां का बुनियादी ढांचा और लोगों का खेल के लिए प्यार, यही वजह है कि भारत हॉकी में इतना अच्छा कर रहा है.