Shattila Ekadashi 2023 Date: माघ के महीने (Magh Month) की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा के अलावा छह तरीके से तिल (Sesame) का प्रयोग करना अत्यंत शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को रखने से व्यक्ति को कन्यादान, हजारों सालों की तपस्या और स्वर्ण दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. जानें षटतिला एकादशी 2023 कब है और शुभ मुहूर्त, पारण का समय क्या है?
When is Shattila Ekadashi 2023)
इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 18 जनवरी 2022 यानी आज बुधवार के दिन रखा जा रहा है. जानें इस व्रत के नियम क्या हैं.
षटतिला एकादशी तिथि प्रारंभ : 17 जनवरी मंगलवार को 06 बजकर 20 मिनट शाम से
षटतिला एकादशी समाप्त : 18 जनवरी बुधवार की शाम 04 बजकर 18 मिनट पर
व्रत पारण : 19 नवंबर गुरुवार सुबह 07 बजकर 2 मिनट से सुबह 09 बजकर 9 मिनट के बीच.
1. इस दिन व्रती को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए.
2. इसके बाद पूजा स्थल को साफ करना चाहिए. अब भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की मूर्ति, प्रतिमा या उनके चित्र को स्थापित करना चाहिए.
3. भक्तों को विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए.
4. पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के भजन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए.
5. प्रसाद, तुलसी जल, फल, नारियल, अगरबत्ती और फूल देवताओं को अर्पित करने चाहिए.
6. अगली सुबह यानि द्वादशी पर पूजा के बाद भोजन का सेवन करने के बाद षट्तिला एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए.
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एकादशी व्रत के नियम दशमी की रात से ही शुरू हो जाते हैं, जिनका पालन द्वादशी के दिन व्रत पारण के समय तक करना जरूरी माना गया है.
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दशमी की शाम को सूर्यास्त से पहले बिना प्याज लहसुन का साधारण भोजन करना चाहिए.
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रात में भगवान का मनन करते हुए सोएं. अगर जमीन पर बिस्तर लगाकर सो सकें तो बहुत ही उत्तम होता है.
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सुबह उठने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान के समक्ष एकादशी व्रत का संकल्प लें.
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विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें. पूजा के दौरान षटतिला एकादशी व्रत कथा भी पढ़ें.
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यदि संभव हो तो दिनभर निराहार रहें और शाम के समय फलाहार करें.
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इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और किसी के बारे में गलत विचार मन में न लाएं, न ही किसी की चुगली करें. हर वक्त प्रभु के नाम का जाप करें.
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दूसरे दिन द्वादशी पर स्नान आदि के बाद भगवान का पूजन करें और किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें. इसके बाद अपने व्रत का पारण करें.
षटतिला एकादशी के दिन तिल का छह तरीके से प्रयोग किया जाता है.
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तिल मिश्रित जल से स्नान करें.
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तिल का उबटन लगाएं.
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भगवान को तिल अर्पित करें.
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तिल मिश्रित जल का सेवन करें.
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फलाहार के समय मिष्ठान के रूप में तिल ग्रहण करें.
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व्रत वाले दिन तिल से हवन करें या तिल का दान करें.
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षटतिला एकादशी के दिन वैसे लोग जो व्रत नहीं रह रहे हैं, वे भी तिल का छह तरीकों से प्रयोग कर इस दिन पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.
इन मंत्रों का करें जाप
1- ॐ नारायणाय नम:
2- ॐ विष्णवे नम:
3- ॐ हूं विष्णवे नम:
4- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
5- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्