Agra News: आगरा की सेंट्रल जेल में बंद कैदियों के जीवन में सुधार के लिए और उन्हें अच्छे मार्ग पर चलाने के लिए यूपी सरकार ने अध्यात्म का सहारा लिया है. पहले सरकार द्वारा जेलों में गायत्री मंत्र की शुरुआत की गई और अब कैदियों को गीता के उपदेश से अवगत कराया जाएगा. और उन्हें अपने चरित्र में बदलाव लाने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा. इसके लिए अब जेलों में गीता बैंक की स्थापना की जाएगी और इसकी शुरुआत आगरा के केंद्रीय कारागार से कर दी गई है. प्रदेश में पहला गीता बैंक केंद्रीय कारागार में बनाया गया है.
केंद्रीय कारागार के डीआईजी राधा कृष्ण मिश्रा के अनुसार कारागार में अब गीता बैंक की स्थापना की गई है. जिसमें 101 मद्भागवत गीता रखी गई हैं. उन्होंने बताया कि गीता बैंक खोलने का काम भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के सहयोग से हुआ है और अब यह गीता बैंक यूपी के सभी जिलों में खोलने की शुरुआत की जा रही है. वहीं उन्होंने बताया कि बंदियों की मनोदशा बदलने के लिए जेल में गीता बैंक की शुरुआत की गई है. गीता के प्रवचन सुनकर और पढ़कर वह जब जेल से निकले तो अच्छे नागरिक बने ऐसे में उन्हें गीता का ज्ञान दिया जा रहा है.
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केंद्रीय कारागार में गीता बैंक की स्थापना करने वाले भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के अध्यक्ष रामकृष्ण गोस्वामी ने बताया कि समाज में आतंकवाद, अलगाववाद या कोई भी अपराध हो उसकी जड़ सामाजिक चेतना का विकसित होना है. और चेतना का विकास श्रीमद्भागवत गीता के ज्ञान के बिना संभव नहीं है.
कारागार ही एक ऐसी जगह है जहां अपराध मुक्ति का सबसे बड़ा केंद्र बन सकता है. ऐसे में केंद्रीय कारागार से गीता बैंक की शुरुआत की गई है. वहीं उन्होंने बताया कि जिन्होंने खुद गीता का ज्ञान दिया था वह भगवान श्रीकृष्ण भी कारागार में ही जन्मे थे. ऐसे में कारागार को गीता बैंक के लिए चुना जाना उपयुक्त कारण है.
आपको बता दें कि केंद्रीय कारागार आगरा में इस समय करीब 2200 से ज्यादा बंदी निरूद्ध है. इन बंदियों में तीन पूर्व विधायक और जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठन से जुड़े लोग भी शामिल है जो हाई सिक्योरिटी बैरक में रहते हैं. सेंट्रल जेल में करीब 150 से अधिक लोगों का स्टाफ है. जेल में निरुद्ध कैदी गीता पढ़ने के लिए गीता बैंक से उसे इश्यू करा सकते हैं.