Abdul Ghaffar Khan Death Anniversary: अब्दुल गफ्फार खान का जन्म 6 फरवरी 1890 में पाकिस्तान के पश्तून परिवार में हुआ था.अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी से अपनी पढ़ाई करने वाले अब्दुल गफ्फार खान विद्रोही विचारों के व्यक्ति थे. इसीलिए वह पढ़ाई के दौरान से क्रांतिकारी गतिवधियों में शामिल हो गए थे. आज ही को दिन 20 जनवरी 1988 में हाउस अरेस्ट के दौरान पाकिस्तान में ही उनका निधन हो गया.
अब्दुल गफ्फार खान (Abdul Ghaffar Khan) का जन्म 6 फरवरी 1890 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के पेशावर के पास एक सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता बैराम खान ईश्वर भक्ति में लीन रहने वाले शांत मिजाज के इंसान थे. उन्हें राजनैतिक जुझारूपन परदादा अब्दुल्ला खान से मिला जो सत्यवादी तो थे ही उन्होंने भारत की आजादी केलिए कई लड़ाइयां लड़ी थीं.
नमक आंदोलन में शामिल होने के कारण अब्दुल गफ्फार खान को 23 अप्रैल 1923 में अंग्रेजों ने पेशावर में गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के उटमानज़ई (Utmanzai) शहर में आयोजित एक सभा में भाषण दिया था. अब्दुल गफ्फार खान को उनके अहिंसक तरीकों के लिये जाना जाता है, यही वजह रही कि खान की गिरफ्तारी को लेकर पेशावर सहित पड़ोसी शहरों में विरोध प्रदर्शन होने लगे. उन्हें छुड़ाने के लिए वहां पहुंचे हजारों लोगों के आंदोलन को देख अंग्रेज डर गए और उन्होंने लोगों को रोकने के लिए फायरिंग का आदेश दे दिया. आदेश मिलते ही अंग्रेज सैनिकों ने निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसा दीं. इस हत्याकांड में करीब 250 लोगों की मौत हो गई. इसे किस्सा ख्वानी बाज़ार (Qissa Khwani Bazaar) नरसंहार भी कहते हैं.
अब्दुल गफ्फार खान (Abdul Ghaffar Khan) और महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की पहली मुलाकात 1928 में हुई जिसके बाद खान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (Congress) से जुड़ गए. जल्दी ही वे गांधी जी की बहुत ही नजदीकी सहयोगी और मित्र हो गए. दोनों में खूब राजनैतिक चर्चाएं हुआ करती थीं. अहिंसात्मक राजनैतिक विचारों ने दोनों को करीब लाकर खड़ा किया तो स्वतंत्र, अविभाजित और धर्मनिरपेक्ष भारत के सपने को लेकर दोनों ने साथ काम किया.
गफ्फार खान महिला अधिकारों और अहिंसा के पुरजोर समर्थक थे. उन्हें एक ऐसे समाज से भी घोर सम्मान और प्रतिष्ठा मिली जो अपने ‘लड़ाकू’ प्रवित्ति के लिए जाना जाता था. उन्होंने ताउम्र अहिंसा में अपना विश्वास कायम रखा. उनके इन सिद्धांतों के कारण भारत में उन्हें ‘फ्रंटियर गाँधी’ या सीमांत गांधी के नाम से पुकारा जाता है.
खान अब्दुल अब्दुल गफ्फार को वर्ष 1987 में भारत सरकार की ओर से भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. सन 1988 में पाकिस्तान सरकार ने उन्हें पेशावर में उनके घर में नजरबंद कर दिया गया. 20 जनवरी, 1988 को उनकी मृत्यु हो गयी और उनकी अंतिम इच्छानुसार उन्हें जलालाबाद अफगानिस्तान में दफनाया गया.