14.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

My Mati: संस्कृति, कला, भाषा, जीवन व परंपरा संरक्षण के माध्यम भी होते हैं संग्रहालय

मध्य प्रदेश, जनजातीय संग्रहालय भोपाल कई संग्रहालयों से भिन्न इस मायने में है कि वहां आदिवासी जीवन, कला, भाषा, संस्कृति के प्रदर्शन, संरक्षण व संवर्द्धन के काम होते रहते हैं और इन्हें जीवंत व गरिमापूर्ण बनाये रखने की अन्य गतिविधियां भी गंभीरतापूर्वक निरंतर चलती रहती हैं.

महादेव टोप्पो : किसी भी प्रकार की संग्रहालय की उपयोगिता सामाजिक,ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, जैविक, भाषिक, भौगोलिक, राजनीतिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, आर्थिक संदर्भों में हो सकती है. यह संग्रहालय निर्माताओं या प्रायोजक पर निर्भर करता है कि वह किन परिस्थितियों में किस प्रकार से- वे, उसे कैसा प्रस्तुत करना चाहते हैं? और किस प्रकार से दिखाना चाहते हैं? कई संग्रहालय किन्हीं स्मृतियों, घटनाओं में छूट गये, बच गये या पुरानी विस्मृत आकृतियों, उपकरण, संसाधनों आदि को संजोकर रखने के लिए बनाये जाते हैं. आप संग्रहालयों में जाते हैं और पुरानी आकृतियों, अवशेषों को या उनके बचे अंशों को देखकर चकित होते हैं, चमत्कृत होते हैं या आनंदित होते हैं.

सभी जगह आप उत्सुक, कौतूहल, जिज्ञासा के साथ एक अतीत की वस्तु, उपकरण, यंत्र, मानवीय-घटना या दृश्य को देखते हैं. लेकिन जब आप एक आदिवासी संग्रहालय में जाते हैं, तब आप कैसा अनुभव करते होंगे, यह आपके उनके प्रति नजरिए से तय होगा. शीशों में बंद आदिवासी जीवन की झलकियां, परिधान, पुराने औजार, कृषि व शिकार के उपकरण, विभिन्न आकृतियों, अनुकृतियों, पेंटिंग, मूर्तियों, पुतलियों आदि को देखकर खुश या दुखी हो सकते हैं कि आदिवासियों का जीवन सरल होते हुए भी कितना जटिल,कठिऩ, कष्टपूर्ण रहा होगा, क्योंकि अधिकांश संग्रहालयों में यही दिखाने का प्रयास होता है.

लेकिन, जब आप मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय, भोपाल जाते हैं और पूरा संग्रहालय घूमकर निकलते हैं तो एक ऐसी आदिवासी दुनिया से परिचित होते हैं, जहां आपको आदिवासी जीवन का स्पंदन अनुभव होता है. आप किसी अदृश्य शक्ति से अपने आपको भरा हुआ महसूस कर सकते हैं बशर्ते, वहां के माहौल से, दृश्यों आदि को डूबकर देख सके हों. संग्रहालयों के निर्माण के उद्देश्य अलग जगहों में, अलग हो सकती है. लेकिन, कई संग्रहालय पर्यटकों, दर्शकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से ही बनाए गये होते हैं. कुछ ज्ञानवर्द्धक व रोचक हो सकते हैं.

कुछ संग्रहालय खानापूरी करते भी दिख जाते हैं तो कई पूरी गंभीरता के साथ सजे हुए सावधान की मुद्रा में आपका स्वागत करते हुए भी आपसे संवाद के लिए तैयार दिखते है. संस्कृति हमारे बीच जीवंत रूप में बची रहे और इसे बचाने का काम संग्रहालय के माध्यम से होता है ऐसा भोपाल के जनजातीय संग्रहालय को देखते कुछ महसूस हुआ. कारण उस दिन सोमवार था. सोमवार को संग्रहालय बंद रहता है साफ-सफाई के लिए, पुनर्सज्जित करने के लिए. ऐसे में भीड़-भाड़ से बचकर अकेले संग्रहालय को देखना और अनुभव करना विशेष था.

जनजातीय संग्रहालय, भोपाल की परिचय पुस्तिका के अनुसार – “जनजातीय संग्रहालय की राह एक दुधारी तलवार के मानिंद है क्योंकि एक ओर उसका मूल उद्देश्य आदिवासी जीवन-दृष्टि को सांगोपांग समझना तथा प्रस्तुत करना है, जिसने अपने लिए विकास अथवा जीवन को जीने की एक नितांत भिन्न शैली को न केवल अपना लिया है बल्कि उसे विकल्पहीन मान लिया है. संग्रहालय ने ऐसी ही जमीन तलाशी और तैयार की है, जहां समाज की यह दोनों विपरीत जान पड़ती धाराएं परस्पर एक दूसरे की ओर उन्मुख होती है.” इस संग्रहालय की सुंदर सजावट के साथ टटके आदिवासी-स्पर्श दिखने के बारे जब संग्रहालय के निदेशक डॉ धर्मेंद्र पारे से जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि- “इस संग्रहालय को स्वयं आदिवासियों ने बनाया और सजाया है.

हमने उनसे इतना कहा कि आप जैसा अपने गांव में जो कुछ बनाते हैं, उसे यहां उसी तरीके से बनाओ और उनलोगों ने संग्रहालय की हर वस्तु, उपकरण, घर, देवालय आदि को उसी तरह बनाया है. यदि हम अन्य जगहों की तरह बजट और इंजीनियरों आदि का सहारा लेकर इसे बना रहे होते तो ऐसा निर्माण संभव नहीं था.” इसलिए आदिवासी संग्रहालय को बनाने में उन्होंने इस पर ध्यान देने पर बल दिया कि- “आदिवासी संग्रहालय की वस्तुएं, उपकरण, घर, वाद्य, कला आदि जो कुछ भी प्रदर्शित किए जाएं समुदाय-विशेष के सदस्यों द्वारा ही निर्मित होने चाहिए न कि अधिकारियों, इंजीनियर द्वारा तय ठेकेदार के आदमियों द्वारा.”

Also Read: My Mati: मुंडारी में गांधीकथा लिखी थी स्वतंत्रता सेनानी भइया राम मुंडा ने

सच है कई जगहों में ऐसा नहीं होने के कारण आदिवासी जीवन से संबंधित कला, उपकरण, मूर्तियों, पुतलों, घर आदि के आकार-प्रकार, रूप-रंग वास्तविक आदिवासी-जीवन से मेल नहीं खाते. फलतः, स्वयं आदिवासियों के लिए यह देखना अपमानजनक लगता है और अन्य लोगों के लिए हंसी, कौतूहल या आश्चर्य के विषय बनकर रह जाते हैं. ऐसे में एक संग्रहालय जिसे समाज के लोगों के बीच आपसी संवाद, समझ व सौहार्द स्थापित करने का एक माध्यम भी होना चाहिए था, वह अपने मूल उद्देश्यों से भटक जाता प्रतीत होता है. हमारे अधिकांश जनजातीय या आदिवासी संग्रहालय कमोबेश कुछ इसी तरह बने होते हैं. फलतः, न तो वे दर्शकों को आकर्षित कर पाते हैं और न समाज से संवाद स्थापित करने में सक्षम होते हैं.

वहीं दूसरी ओर कुछ संग्रहालय अपने इस उद्देश्य में इतने प्रभावी, भव्य, आकर्षक व सुरुचिपूर्ण ढंग से निर्मित होते हैं कि वहां दर्शक बार-बार जाना चाहते हैं. वे शीशे में बंद नहीं होते हैं. साथ ही आदिवासी-जीवन से जुड़े विविध प्रसंग, घटनाओं, परिस्थितियों, उपकरणों, अनुकृतियों, दृश्यों आदि का आत्मीय प्रदर्शन का एहसास कराते हैं. संस्कृति जीवंत बनी रहे, इसलिए इनके प्रदर्शन-माध्यमों को अनुभव करने का अवसर उपलब्ध कराती हैं. उसकी भव्यता, आकर्षणीयता, पवित्रता, गरिमा, लय, रूप, आकार-प्रकार, रंग, अनुशासन के साथ रोशनी की कलात्मक-प्रस्तुति भी बनी रहती है.

भोपाल के इस संग्रहालय में इन सबकी आत्मीय व अंतरंग उपस्थिति बनी हुई है. वहां हमने पद्मश्री भूरी बाई और उनके पति को चालीस गुना पंद्रह फीट का पेंटिंग बनाते देखा, जिसमें नर्मदा की संपूर्ण कहानी वर्णित है. ऐसे चार चित्रों द्वारा यह काम पूरा होना था. वहीं कला दीर्घा में एक आदिवासी कलाकार के चित्रों की प्रदर्शनी लगी थी. धर्मेंद्र पारे जी ने बताया कि संग्रहालय एक आदिवासी कलाकार के चित्रों की, पूरे एक माह के लिए प्रदर्शनी लगाता है, यानी साल भर में बारह कलाकारों के चित्रों की प्रदर्शनी. ये पेंटिंग वहां न्यूनतम तीन हजार रुपये में बिकते हैं.

मध्य प्रदेश, जनजातीय संग्रहालय भोपाल कई संग्रहालयों से भिन्न इस मायने में है कि वहां आदिवासी जीवन, कला, भाषा, संस्कृति के प्रदर्शन, संरक्षण व संवर्द्धन के काम होते रहते हैं और इन्हें जीवंत व गरिमापूर्ण बनाये रखने की अन्य गतिविधियां भी गंभीरतापूर्वक निरंतर चलती रहती हैं. ‘चौमासा पत्रिका’ के अलावा कला, भाषा, संस्कृति संबंधी अनेक शोधपूर्ण, उपयोगी किताबें कम कीमत पर प्रकाशित होतीं रहती हैं. आशा है, पड़ोसी राज्यों के अच्छे कार्यो से हमारा झारखंड भी अब बाइस साल बाद ही सही, जरूर जगेगा और कुछ कर दिखायेगा. आप क्या सोचते हैं?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें