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आर्गेनिक खेती से बदलने लगी किसानों की किस्मत, हजारों कमाने वाले अब लाखों कमाने लगे

..जो पहले रसायनिक खाद का उपयोग कर खेती करते थे. तब आमदनी भी कम होती थी. अब एक समूह तैयार किया गया है. आर्गेनिक फार्मिंग ऑथोरिटी ऑफ झारखंड (ओफाज) की मदद से किसानों का समूह तैयार किया गया.

जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह: जिले के पटमदा, बोड़ाम समेत आसपास के किसान 500 हेक्टेयर जमीन पर केमिकल मुक्त खेती पर काम कर रहे हैं. ऑर्गेनिक तरीके से खेती करने वाले ये किसान मंडी पर निर्भर नहीं है. घर से ही महंगे दाम पर उनके उत्पाद बिक जाते हैं. यहां एक हजार किसानों का फामर्स प्रोड्यूसर ग्रुप बनाया गया है. पटमदा, बोडाम के भेलियाडीह इलाके के किसान आर्गेनिक आलू के अलावा हरी सब्जियां उगा रहे हैं. किसान धान, सब्जी, तीसी, मूंग समेत अन्य अनाज की खेती करते हैं.

किसानों के ग्रुप लीडर आशुतोष महतो हैं, जो पहले रसायनिक खाद का उपयोग कर खेती करते थे. तब आमदनी भी कम होती थी. अब एक समूह तैयार किया गया है. आर्गेनिक फार्मिंग ऑथोरिटी ऑफ झारखंड (ओफाज) की मदद से किसानों का समूह तैयार किया गया. उनको फंडिंग करायी गयी. इसके बाद लगभग एक हजार किसानों का समूह जुटा. मोइनुद्दीन नामक एक किसान के माध्यम से करीब 500 किसान जबकि दूसरे किसान उमेश महतो के माध्यम से 500 किसान जुटे. इन लोगों ने 250-250 हेक्टेयर भूमि पर आर्गेनिक फार्मिंग शुरू की गयी.

दो साल में यह आर्गेनिक फार्मिंग करने के बाद बेंगलुरु की आर्गेनिक सर्टिफिकेशन करने वाली एजेंसी लैकोन ने इसका अध्ययन किया. लगातार इसका फील्ड विजिट कराया गया, जिसके बाद अब इनको सर्टिफिकेशन मिल चुका है और अब ये आर्गेनिक फार्मिंग के सर्टिफिकेट होल्डर हो गये हैं. इनकी किसानी का लोहा अब पूरा झारखंड मानने लगा है. अब उनकी ही तरह अन्य किसानों की ट्रेनिंग शुरू हो रही है. इन किसानों ने एक नजीर पेश की है.

पहले आमदनी कम थी, अब सालाना लाखों में होती है आमदनी

ग्रुप लीडर आशुतोष महतो ने बताया कि वे पारंपरिक तरीके से ही खेती करते आये हैं. लेकिन तब हम लोग यूरिया या नाले का पानी का इस्तेमाल कर लेते थे. लेकिन किसानों को विशेष तौर पर ट्रेनिंग दिलायी गयी. इसके बाद अब हम लाखों कमा रहे हैं.

प्रदूषण व बीमारियों से बचाने की यह है मुहिम

आर्गेनिक फार्मिंग ऑथोरिटी ऑफ झारखंड (ओफाज) के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि कृषि कार्य में रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल से जहां भूगर्भीय जल स्रोतों एवं प्रवाही जल स्रोतों में रसायनिक प्रदूषण फैल रहा है. वहीं दूसरी ओर विषैले रसायन युक्त खाद्यान्न से कष्ट साध्य एवं आसाध्य रोगों के मामले बढ़ रहे हैं. उन्होने बताया कि झारखंड में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित परंपरागत कृषि विकास योजना एवं राज्य योजना अन्तर्गत विभिन्न तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है. राज्य में विषैले रसायनमुक्त, विशुद्ध पद्धति से उगाए गए कृषि उत्पादों की मांग है पर विश्वसनीय, प्रमाणित जैविक उत्पादों हेतु विपणन केंद्र नहीं थे.

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