मुजफ्फरपुर: छठे चरण में नियोजित जिले के 2454 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच राशि के अभाव में सालभर बाद भी शुरू नहीं हो सकी है. इन शिक्षकों के मैट्रिक, इंटर, स्नातक व प्रशिक्षण के कुल 8265 प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराना है. इसमें राज्य के बाहर के 1610 प्रमाण पत्र है, जिसके लिए जिला शिक्षा विभाग ने राज्य कार्यालय से 7.80 लाख रुपये की मांग की है. जिले से कुल 12.03 लाख रुपये की डिमांड की गयी है.
इसमें 4.23 लाख रुपये राज्य के अंदर स्थित विश्वविद्यालय और बोर्ड से जारी सर्टिफिकेट के सत्यापन पर खर्च किये जायेंगे. बता दें कि छठवें चरण के नियोजन में तीन चक्र की काउंसेलिंग के दौरान 2454 शिक्षकों का चयन किया गया. इसमें 2389 ने ही योगदान किया है. वहीं, चार जुलाई 2022 व 26 अगस्त 2022 को चयनित 17 अभ्यर्थियों का प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए नहीं भेजा गया है.
छठवें चरण में चयनित 482 अभ्यर्थियों ने राज्य के बाहर से प्रशिक्षण प्राप्त किया है. वहीं, 153 शिक्षकों के मैट्रिक, 157 के इंटर और 118 के स्नातक की डिग्री राज्य के बाहर से जारी हुई है. वहीं बिहार में स्थित विश्वविद्यालयों से 1952 शिक्षकों ने प्रशिक्षण और 785 ने स्नातक किया है. 2281 के मैट्रिक व 2277 के इंटर के सर्टिफिकेट भी राज्य के अंदर के ही है.
नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच अब तक राशि के अभाव में ही अटकी है. पहले सर्टिफिकेट के सत्यापन के बाद वेतन भुगतान करने का निर्णय लिया गया था. लेकिन, विलंब होने की स्थिति में सभी शिक्षकों के सीटेट या बीटेक के सर्टिफिकेट की ऑनलाइन जांच करके विभाग ने वेतन भुगतान शुरू कर दिया. हालांकि 2451 शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच हुई है, क्योंकि तीन का सर्टिफिकेट नियुक्ति से पहले ही नियोजन इकाइयों ने वापस ले लिया.
इन सब के बीच विभाग ने दावा करते हुए कहा कि जिले में बड़े पैमाने पर नियोजित शिक्षकों के फोल्डर की जांच की जा रही है. हर हाल में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर बहाल हुए शिक्षकों को नौकरी से बाहर किया जाएगा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.