Lucknow News: माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या का एक ओर मामला दर्ज हो गया है. साल 2001 के उसरी चट्टी गैंगवार मामले में गाजीपुर के थाना मोहम्मदाबाद में गैंगस्टर अंसारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है. मृतक मनोज राय के पिता ने यह केस दर्ज करवाया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है.
UP | Murder case under section 302IPC registered against gangster-turned-politician-Mukhtar Ansari in PS Mohammadabad in Ghazipur, in 2001 Usri Chatti gang war case
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 22, 2023
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दरअसल, मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में साल 2001 उसरी चट्टी हत्याकांड के मामले में वादी और मुख्य गवाह मुख्तार अंसारी पर ही हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है. मृत ठेकेदार मनोज राय के पिता शैलेंद्र राय की शिकायत पर एडीजी के निर्देश पर यह एक्शन लिया गया है. चट्टी हत्याकांड में दर्ज मामले के साथ ही मुख्तार के खिलाफ दर्ज मुकदमों की संख्या 61 हो चुकी है.
मृत मनोज राय के पिता जोकि बिहार के बक्सर सगरा राजापुर के रहने वाले हैं. मनोज राय के पिता शैलेंद्र कुमार राय ने तहरीर में बताया कि, 14 जुलाई 2001 की शाम को सुरेंद्र शर्मा जोकि मुख्तार का ड्राइवर है इसके अलावा शाहिद, गौस मोइनुद्दीन और कमाल घर आए और पुत्र मनोज को ले गए. अगले ही दिन यानी 15 जुलाई को मनोज की हत्या की सूचना मिली थी. उन्होंने बताया कि उनका बेटा मुख्तार के लिए ठेकेदारी का काम करता था.
उन्होंने बताया कि किसी टेंडर को लेकर मुख्तार अंसारी उससे नाराज चल रहे थे. इसके साथ ही उन्होंने मुख्तार के गुर्गों पर घर जाकर धमकाने का आरोप भी लगाया. साथ ही मुख्तार पर पुत्र की हत्या का भीआरोप लगाया, जब पीड़ित पिता ने एडीजी प्रशांत कुमार को ये सारी बात बताई तो उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, जिसके बाद केस दर्ज किया गया. मुहम्मदाबाद कोतवाल अशोक मिश्रा ने इस संबंध में बताया कि शैलेंद्र राय ने मुख्तार अंसारी पर पुत्र की हत्या का केस दर्ज कराया है.
इधर, उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. साल 2003 में एक जेलर को जान से मारने की धमकी देने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी को सात साल की सजा सुनाई थी, जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के आदेश से पहले निचली अदालत ने मुख्तार को इस मामले में बरी कर दिया था. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 सितंबर 2022 को निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया था, और सात साल की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही 37 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था.