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ऑर्गेनिक कॉरिडोर योजना: सारण में 2000 एकड़ में जैविक खेती की तैयारी, शुरू हुआ किसानों को प्रशिक्षण

सारण जिला कृषि पदाधिकारी की देख-रेख में जैविक कॉरिडोर योजना के डीपीएम द्वारा जिले के 10 प्रखंडों में रकबा, पंचायतों, किसानों का चयन अंतिम दौर में है. जिससे चालू वित्तीय वर्ष में किसान इस योजना के तहत खेती कर सके.

किसानों को रसायनिक खाद छोड़कर जैविक खाद के माध्यम से स्वास्थ्य की बेहतरी व मिट्टी-पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा जैविक कॉरिडोर योजना के दूसरे चरण में सारण में 2000 एकड़ में खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहन हेतु प्रति एकड़ निर्धारित राशि अगले तीन वर्षों तक देगी. जिससे किसान रसायनिक खाद के बदलें जैविक खाद से खेती करने के लिए प्रोत्साहित हो. इसे लेकर जिला कृषि पदाधिकारी की देख-रेख में जैविक कॉरिडोर योजना के डीपीएम द्वारा जिले के 10 प्रखंडों में रकबा, पंचायतों, किसानों का चयन अंतिम दौर में है. जिससे चालू वित्तीय वर्ष में किसान इस योजना के तहत खेती कर सके.

इन 10 प्रखंडों के पंचायतों का हुआ है चयन

जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा जारी सूचना के अनुसार द्वितीय चरण में प्रखंड एवं पंचायत वार जैविक कॉरिडोर के लिए क्षेत्रफल का निर्धारण कर दिया गया है. इसके तहत वैसे पंचायतों का चयन किया गया है. जहां बाढ़ का पानी नहीं पहुंचता है तथा सब्जी आदि की खेती के लिए मिट्टी उपयुक्त होती है. इसके तहत जिन प्रखंडों का चयन हुआ है उनमें.

  • मांझी के 230 एकड़ में खेती के लिए डूमरी, घोरहट, बंगरा, बलेशरा

  • एकमा के 250 एकड़ के लिए अतरसन, रसूलपुर, माने

  • बनियापुर के 300 एकड़ के लिए पैगंबरपुर, पिठौरी, कन्हौली मनोहर, हरपुर, कराह, धनगड़हा

  • अमनौर के 250 एकड़ के लिए धर्मपुर जाफर, मनोरपुर झकरी, मदादपुर, कोरेया

  • मढ़ौरा में 200 एकड़ के लिए रामपुर, रसूलपुर, बहुआरापट्टी

  • इसुआपुर में 270 एकड़ के लिए रामचौरा, इसुआपुर, निपनिया, आतानगर, छपिया

  • लहलादपुर में 200 एकड़ के लिए दयालपुर बसहीं, दंदासपुर

  • दिघवारा में 100 एकड़ के लिए मानूपुर, हराजी, कुरैया

  • जलालपुर में 100 एकड़ के लिए देवरिया रामपुर, नूरनगर

  • सोनपुर में 100 एकड़ के लिए दुधैला, जहांगीरपुर

किसानों को प्रति हेक्टेयर मिलेगा 24500 रुपया 

जैविक कोरिडोर योजना के तहत चयनित किसानों को जैविक खेती करने तथा जैविक खाद निर्माण करने के लिए विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 11500 रुपये, दूसरे वर्ष में 6500 तथा तीसरे वर्ष में 6500 दिये जायेंगे. जिसके द्वारा प्रथम वर्ष में किसान पांच हजार रुपये की लागत से वर्मी वेट तैयार करेगा. उसके बाद प्रथम वर्ष में 2000 रुपये ड्राम के लिए, एक हजार रुपये ढ़ैचा, एक हजार रुपये प्रोम, एक हजार कौनसेसिया, 700 रुपये जैव रसायण, 300 रुपये पौधा संरक्षण तथा पांच सौ रुपये नर्सरी बीज के लिए खर्च करेगा. इस राशि से किसान अपने फसल के लिए जैविक खाद तैयार कर पायेगा.

तीन साल के बाद मिलेगा जैविक खेती का प्रमाण पत्र

डीएओ श्यामबिहारी सिंह के अनुसार तीन साल तक लगातार जैविक खेती करने के बाद किसान के उपज की जांच बिहार की सर्टिफिकेशन संस्था बकोसा द्वारा प्रमाण पत्र दिया जायेगा. इसके बाद ही किसान के खेती की फसल जैविक फसल मानी जायेगी. इसे लेकर किसानों को डीपीओ राजेश्वर प्रसाद के अलावे प्रखंड स्तर पर प्रखंड कृषि पदाधिकारियों के द्वारा किसान समूह बनाने के साथ-साथ जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. इसकी निगरानी विभाग द्वारा की जा रही है.

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