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बंगाल में 2.29 लाख करोड़ रुपये का हेर-फेर! कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- CAG व वित्त सचिव को पक्षकार बनायें

याचिकाकर्ताओं ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को आधार बनाकर जनहित याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार बंगाल सरकार को आवंटित 2.29 लाख करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है.

पश्चिम बंगाल सरकार पर केंद्र सरकार द्वारा आवंटित 2.29 लाख करोड़ रुपये के हेर-फेर का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है, जिस पर मंगलवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव व न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने इस मामले में राज्य के वित्त सचिव व सीएजी को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया.

30 जनवरी को होगी पीआईएल पर सुनवाई

याचिकाकर्ताओं ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को आधार बनाकर जनहित याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार बंगाल सरकार को आवंटित 2.29 लाख करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है. चीफ जस्टिस ने कहा कि चूंकि यह मामला सीएजी की रिपोर्ट पर आधारित है, इसलिए उनका पक्ष भी सुनना जरूरी है. मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी.

जानें क्या है पूरा मामला

31 मार्च 2021 को कैग की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार की ओर से बंगाल में विभिन्न परियोजनाओं को भेजे गये करोड़ों रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है. पिछले कुछ वर्षों में केंद्र की ओर से राज्य को विभिन्न परियोजनाओं के लिए दिये गये रुपये में से 2,29,099 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है.

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इन तीन विभागों में हुई है सबसे ज्यादा गड़बड़ी

याचिका में कहा गया है कि फंड का दुरुपयोग मुख्य रूप से राज्य सरकार के तीन विभागों पंचायत मामलों और ग्रामीण विकास विभाग, नगरपालिका मामलों और शहरी विकास विभाग और शिक्षा विभाग में हुआ है. याचिका के अनुसार, पंचायत मामलों और ग्रामीण विकास विभाग के मामले में लगभग 82,000 करोड़ रुपये, शिक्षा विभाग में लगभग 36,000 करोड़ रुपये और शहरी विकास व नगरपालिका मामलों के विभाग में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का दुरुपयोग हुआ है.

सीबीआई जांच की मांग

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि राज्य सरकार के अन्य विभागों में भी केंद्रीय निधि के दुरुपयोग की रिपोर्ट है, लेकिन इन तीन विभागों में सबसे ज्यादा गड़बड़ी के संकेत मिले हैं. इस वित्तीय अनियमितता की सीबीआई जांच की मांग की गयी है. याचिका करने वालों ने हाईकोर्ट से अपील करते हुए कहा- कहा जाता है कि लोगों की भलाई के लिए भेजा गया पैसा लूट लिया गया है. इसलिए इसकी तुरंत जांच होनी चाहिए.

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