Basant Panchami 2022, Saraswati Puja 2023: वसंत पंचमी, श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के रूप में भी जाना जाता है, बसंत पंचमी का हिंदू त्योहार वसंत के पहले दिन मनाया जाता है और माघ महीने के पांचवें दिन पड़ता है और होली की तैयारी की शुरुआत भी इस दिन से शुरू हो जाती है. यह त्योहार ज्ञान, संगीत और कला की हिंदू देवी मां सरस्वती को समर्पित है.
इस दिन पीले रंग का बहुत महत्व होता है. लोग पीले कपड़े पहनकर, देवी सरस्वती की पूजा करके और पारंपरिक व्यंजन खाकर इस दिन को मनाते हैं. पीला रंग ज्ञान का प्रतीक है और सरसों के खेतों को भी दर्शाता है जो वसंत ऋतु के आगमन से जुड़े हैं.
पंचमी तिथि 25 जनवरी 2023 को दोपहर 12:34 बजे से शुरू होगी और 26 जनवरी 2023 को सुबह 10:28 बजे समाप्त होगी. त्योहार का मुहूर्त सुबह 7:12 बजे से दोपहर 12:34 बजे के बीच है.
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वसंत पंचमी पूजा मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 34 मिनट के बाद
वसंत पंचमी मध्याह्न मुहूर्त – दोपहर 12:34 बजे
ज्योतिष के अनुसार इस साल बसंत पंचमी पर 4 विशेष योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन शिव योग, सिद्ध योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बनने जा रहा है.
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शिव योग: 26 जनवरी को सुबह 03:10 से लेकर दोपहर 03:29 तक शिव योग रहेगा.
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सिद्ध योग: शिव योग के समाप्त होते ही सिद्ध योग शुरु हो जाएगा, जो पूरी रात रहेगा. इस योग को बेहद शुभ माना जाता है.
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सर्वार्थ सिद्धि योग: इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 06:57 से लेकर अगले दिन 07:12 तक रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस योग में किए गए सभी कार्य सफल, संपन्न और सिद्ध होते हैं.
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रवि योग: इस दिन रवि योग शाम 06:57 से लेकर अगले दिन सुबह 07:12 तक रहेगा. सूर्य देव की कृपा से इस योग में किए गए सभी कार्यों में शुभता की प्राप्ति होती है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी.इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं.उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी.तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था.यह देवी थीं मां सरस्वती, मां सरस्वती ने जब वीणा बजायी तो संसार की हर चीज में स्वर आ गया.इसी से उनका नाम मां सरस्वती पड़ा.कहा जाता है कि उस दिन बसंत पंचमी का दिन था.तभी से देव लोक और मृत्युलोक में इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा होने लगी.
बसंत पंचमी के दिन विभिन्न स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा होती है. ऐसी जगहों पर जा कर कलम, दवात, पेन, पेंसिल, कॉपी किताब जैसी पढ़ाई से संबंधित वस्तुओं का दान कर अच्छा माना जाता है.
पीले रंग के फूल
लकड़ी की चौकी
पीले रंग के फूलों की माला
पीले रंग का कपड़ा बिछाने के लिए
पीले वस्त्र
सफेद तिल के लड्डू
खोया का श्वेत मिष्ठान
सफेद धान के अक्षत
पके हुए केले की फली का पिष्टक
बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके माथे पर एक पीला तिलक लगाकर देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद मां सरस्वती की पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी और पीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए.
या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा – वस्त्रावृता,
या वीणा – वार – दण्ड – मंडित – करा, या श्वेत – पद्मासना.
या ब्रह्माच्युत – शङ्कर – प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित,
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष – जाड्यापहा.
आपको बता दें कि सरस्वती पूजा भारत के लोग काफी खास तरीके से मनाते हैं. इस दिन तरह- तरह के पकवान के साथ ही हम अपने घर में शाम की आरती भी करती हैं. ऐसे में हम जब एक-दूसरे के घर जाते हैं तो मिठाई भी लेकर जाते हैं. ऐसे में आप भी अपने परिवार के साथ इस तरीके से सरस्वती पूजा का आयोजन कर सकती हैं.