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World Leprosy Day 2023: कुष्ठ रोग का उपचार संभव, जी सकते हैं सामान्य जिंदगी, जानें क्या है इसका इलाज

World Leprosy Day 2023: कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष जनवरी महीने के आखिरी रविवार को विश्व कुष्ठ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस रोग का सीधा संबंध हमारी जीवनशैली और इम्यून सिस्टम से है.

World Leprosy Day 2023: लेप्रोसी यानी कुष्ठ रोग उन बीमारियों में से एक है, जिसमें मरीज को सिर्फ रोग से ही नहीं, बल्कि इसको लेकर समाज में फैली भ्रांतियों का भी सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि लोग बीमारी की प्राइमरी स्टेज पर अपने लक्षणों का खुलासा करने व इलाज करवाने से हिचकिचाते हैं, जबकि वे अगर शुरू में आगे आएं और समय पर इलाज कराएं, तो कुष्ठ रोग का पूरा इलाज हो सकता है और वे ठीक होकर दूसरे व्यक्ति की तरह नॉर्मल जिंदगी जी सकते हैं. दरअसल, लेप्रोसी माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से होता है. जानें कैसे करें इससे अपना बचाव.

जागरूकता बढ़ाने के लिएविश्व कुष्ठ रोग दिवस

कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष जनवरी महीने के आखिरी रविवार को विश्व कुष्ठ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस बार 29 जनवरी को विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जायेगा. इस रोग का सीधा संबंध हमारी जीवनशैली और इम्यून सिस्टम से है. हम अपने भोजन में कार्बोहाइड्रेट अधिक लेते हैं और प्रोटीन कम. इससे हमारा इम्यून सिस्टम गड़बड़ा जाता है, जिससे लेप्रोसी को फैलाने वाले बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम लेप्रे के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि लेप्रोसी की पहचान अगर शुरुआती स्टेज में कर उपचार करवाएं, तो इस रोग को आसानी से खत्म किया जा सकता है.

दो तिहाई कुष्ठ रोगी भारतीय

दुनियाभर में हर वर्ष तकरीबन दो लाख लोग कुष्ठ रोग के शिकार होते हैं, जिनमें से करीब दो तिहाई लोग भारत में पाये जाते हैं. भारत के अलावा अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में कुष्ठ रोग के अधिकांश मामले आते हैं. इस वर्ष वर्ल्ड लेप्रोसी की थीम है- ‘एक्ट नाउ : एंड लेप्रोसी’ यानी लेप्रोसी के खात्मे के लिए अभी पहल करें, ताकि इसे जड़ से खत्म किया जा सके.

धीरे-धीरे फैलती है यह बीमारी

कुष्ठ रोग माइक्रोबैक्टेरियम लेप्रे बैक्टीरिया के संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है. मरीज के खांसने या छींकने पर निकलने वाली बूंदों में यह बैक्टीरिया होते हैं. लेप्रे बैक्टीरिया हवा के साथ मिलकर दूसरे स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचते हैं और बीमारी फैलाते हैं. इसे संक्रामक बीमारी माना जाता है, लेकिन यह बहुत धीरे-धीरे फैलता है और हमारे नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करता है. इसमें एक लंबे समय तक रोगी के संपर्क में रहने से दूसरे व्यक्ति को संक्रमण हो सकता है.

इम्युनिटी कमजोर होना बड़ी वजह

कुष्ठ रोग किसी भी आयु में स्त्री-पुरुष सभी को हो सकता है. कुष्ठ रोग से प्रभावित 10 में से केवल 1 व्यक्ति ही संक्रामक होता है. अगर किसी व्यक्ति की इम्युनिटी कमजोर हो या कुपोषण के शिकार हों, तो उसे कुष्ठ रोग होने की संभावना ज्यादा होती है. संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने पर ही कुष्ठ रोग फैलता है. स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंच कर लेप्रे बैक्टीरिया को पनपने (इन्क्यूबेशन) में काफी लंबा समय (1-20 साल) लग जाते हैं. प्राइमरी या अर्ली स्टेज पर लेप्रोसी के लक्षणों की अनदेखी करने से रोगी अपंगता का शिकार भी हो सकता है.

प्राइमरी स्टेज

  • हाथ-पैर, मुंह जैसे खुले अंगों में रक्त या ऑक्सीजन की सप्लाइ कम हो जाती है और त्वचा पर हल्के रंग के पैच पड़ने लगते हैं. पैच वाली त्वचा रूखी, सख्त व सुन्न होने लगती है.

  • चेहरे, कान के आसपास छोटी-छोटी दर्दरहित गांठें या सूजन उभर आना.

  • हाथ सुन्न होने पर ठंडे-गर्म या चोट का एहसास नहीं रहता और ये आसानी से ठीक नहीं होते.

  • जलने या चोट लगने पर इन्फेक्शन होने से हड्डियां गलने लगती हैं और धीरे-धीरे छोटी हो जाती हैं.

  • पैरों के तलवे सुन्न हो जाते हैं. ज्यादा चलने, चोट लगने या पत्थर वगैरह चुभने पर घाव हो जाते हैं. हड्डियां गलने पर पैरों के आकार में विकृति आने लगती है.

एडवांस स्टेज

  • बैक्टीरिया धीरे-धीरे मरीज की सेंट्रल नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करने लगते हैं. नर्व्स मोटी और कमजोर हो जाती हैं.

  • हाथ-पैरों की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं, जिससे हाथ-पैर टेढ़े होने लगते हैं.

  • हाथ की हड्डियां अकड़ जाती हैं, ग्रिप खत्म होने लगती है, जिससे काम करने में तकलीफ होती है.

  • पैरों की हड्डियां अकड़ जाती हैं और चलने-फिरने में मुश्किल होने लगती है.

  • लेप्रे बैक्टीरिया आंख की पुतलियों की नर्व्स को भी संक्रमित करता है. आंखें झपक नही पातीं, हमेशा खुली रहती है. हवा के संपर्क में आने से ड्राइ होना, लाल होना, पानी निकलना, दर्द होना और इन्फेक्शन होने जैसी समस्याएं होती हैं.

क्या है उपचार

डब्ल्यूएचओ ने कुष्ठ रोग के लिए मल्टी ड्रग थेरेपी नामक प्रोटोकॉल जारी किया है. कुष्ठ रोगियों को उनकी स्थिति के हिसाब से सरकार की तरफ से एमडीटी ओरल मेडिसिन (डैप्सोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफाजिमिना) मुफ्त में उपलब्ध करायी जाती है. पॉसी-बैसिलरी लेप्रोसी के मरीज को इसका कोर्स 6 महीने और मल्टी-बैसिलरी लेप्रोसी के मरीज को एमडीटी ड्रग 12 महीने तक दी जाती है.

दवाई का पूरा कोर्स जरूरी

नियमित रूप से मेडिसिन ली जाये, तो लेप्रे बैक्टीरिया में बीमारी फैलाने की क्षमता खत्म हो जाती है, लेकिन यदि कोई यह कोर्स पूरा नहीं कर पाता या बीच में छोड़ देता है, तो यह मेडिसिन काम नहीं करती. बस जरूरी है कि लेप्रोसी के शुरुआती लक्षणों की अनदेखी न करें.

मिथक से बचना जरूरी

लेप्रोसी के मरीजों को छुआछूत, कोढ़ और सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ता है, जो सर्वथा गलत है. संक्रामक रोग होने के बावजूद यह छूने या हाथ मिलाने, उठने-बैठने या कुछ समय साथ रहने से नहीं फैलती. संभव है कि लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक साथ रहनेवाले परिवार के सदस्य इसकी चपेट में आ जाएं, लेकिन नियमित चेकअप व केयर से इससे बच सकते हैं.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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