TMBU: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में बुधवार को पीजीआरसी की बैठक हुई. इसमें शोधार्थियों के विभिन्न समस्या व समय विस्तार पर चर्चा की गयी. पीजीआरसी से कुछ शोध प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी, तो कुछ के आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया. सर्वसम्मति से शोध के लिए मिलने वाले एक्सटेंशन देने पर मुहर लगाया गया. शोध के लिए चार साल के बाद दो साल तक एक्सटेंशन दिया जा सकता था. उसे कोरोना के नाम पर उन शोधार्थी को एक्सटेंशन दिया गया. बैठक में सभी डीन व पीजी विभागों के विभागाध्यक्ष आदि मौजूद थे.
शिक्षक अपने काम के साथ ऑनलाइन हेड व गाइड से जुड़ेंगे
शोध के मामले में 18 दिसंबर 2021 को हेड व गाइड ने निर्णय लिया था. शिक्षक कहीं काम कर रहे हैं और पीएचडी कर रहे हैं. ऐसे में उन शिक्षकों को उपस्थिति से छूट दी जाये. कुलपति ने कहा कि ऐसे शिक्षकों को यहां से तबादला कर दिया जाये. डीन सोशल साइंस डॉ मधुसूधन सिंह ने सुझाव दिया कि ऑनलाइन का जमाना है, जो शोधार्थी जहां शिक्षण का काम कर रहे हैं, उसी जगह करें. वहीं से अपने हेड व गाइड से नियमित रूप से ऑनलाइन संपर्क में रहें. कमेटी ने इस सुझाव पर मुहर लगा दी.
कुछ शोधार्थी का शोध हुआ रद्द
बैठक में रिसर्च रेगुलेशन 2009 के तहत कई मामलों को रखा गया. एक महिला शोधार्थी सवाहत अंजुम एमबीए से पास की थी. लेकिन आइआरपीएम से पैट की परीक्षा पास की थी. कामर्स में शोध करना चाहती थी. इस मामले को रद्द कर दिया गया. बॉटनी के प्रत्युष आनंद ने शोध शीर्षक में बदलाव कराना चाहते थे. कहा गया कि डीआरसी के माध्यम से बदलाव करा सकते हैं. दो छात्र के एजुकेशन से शोध करने के मामले में पीजीआरसी ने निर्णय लिया है कि एमएड पास शिक्षकों से शोध कराया जाये. सिर्फ दो शोधार्थी के लिए होगा. एक अन्य मामले में श्यामनंद कुमार यहां से पीआरटी पास किये थे. मुंगेर स्थित जेआरएस कॉलेज के देव राज सुमन उनके गाइड थे. लेकिन उसके बाद कुछ नहीं किया हैं. समय सीमा भी समाप्त हो चुका है. उनके शोध विषय को रद्द कर दिया गया. शोधार्थी मनीष कुमार पीजी फिलॉस्फी में शोध के लिए निबंधित हैं. लेकिन गाइड डाॅ मृत्युंजय कुमार का निधन हो चुका है. उनका वायवा बचा है. बैठक में निर्णय लिया गया कि पीजी हेड सुपारवाइजर के रूप में रहेंगे. उनके निर्देशन में वायवा होगा.
12 साल में नहीं हो सका शोध
पीजी राजनीति विज्ञान के डॉ जगदीश प्रसाद के अंदर में 12 साल से एक शोधार्थी शोध कर रहा था. लेकिन इन 12 साल में शोधार्थी गाइड से संपर्क ही नहीं किया. कहा गया कि नियमानुसार सात साल तक शोध संबंधित सारी प्रक्रिया पूरा कर लेना है. लेकिन शोधार्थी का अता-पता नहीं है. स्वत: शोध रद्द माना जायेगा.