26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Republic Day 2023: भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जानिए अबतक कितने बदलाव हुए

हमारे संविधान निर्माता काफी दूरदृष्टा था और वे ये जानते थे कि 1950 में जो संविधान लागू हुआ है, उसमें भविष्य में परिवर्तन की जरूरत होगी, यही वजह था कि उन्होंने संविधान में संशोधन की व्यवस्था रखी.

Republic Day 2023 : भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था. संविधान के लागू होते ही हम विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान वाले देश बन गये. भारत का संविधान देश का सर्वोच्च कानून है और उसी के अनुसार भारत देश की व्यवस्था चलती है.

संविधान की व्यावहारिकता आज भी बरकरार

भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को पारित किया गया था और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू या प्रभावी हुआ. हमारे संविधान निर्माता काफी दूरदृष्टा था और वे ये जानते थे कि 1950 में जो संविधान लागू हुआ है, उसमें भविष्य में परिवर्तन की जरूरत होगी, यही वजह था कि उन्होंने संविधान में संशोधन की व्यवस्था रखी. यही वजह है कि 1950 में बने हमारे संविधान की व्यावहारिकता आज भी बरकरार है.

अबतक कुल 105 संशोधन

संविधान लागू होने के 74 वर्ष बाद तक देश में कुल 105 संविधान संशोधन हुए. संविधान संशोधन का अर्थ है किसी कानून के मूल स्वरूप में बदलाव लाकर उसे नये तरीके से लागू करना. भारतीय संविधान में संशोधन तभी संभव है जब उस प्रस्ताव को संसद के दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा दो तिहाई बहुमत से पारित कर दे.

पहला संशोधन 18 जून 1951 को हुआ था

भारतीय संविधान में अबतक 105 संशोधन हुए हैं. भारतीय संविधान में पहला संशोधन 18 जून 1951 को हुआ था, जबकि अबतक का अंतिम संशोधन 10 अगस्त 2021 को हुआ था. यह संशोधन राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की पहचान करने का अधिकार वापस दिया गया. वहीं देश में पहला संविधान संशोधन अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की उन्नति के लिए किया गया और एक विशेष प्रावधान जोड़ा गया.

संविधान में अबतक हुए बड़े संशोधन

42वां संशोधन : यह संशोधन 1976 में इंदिरा गांधी के शासनकाल में किया गया था. यह देश का अबतक का सबसे बड़ा संविधान संशोधन था. इस संशोधन के जरिये संविधान की प्रस्तावना में पंथ निरपेक्ष समाजवादी और अखंडता शब्दों को जोड़ा गया.

-मौलिक कर्तव्यों को संविधान में शामिल किया गया।

-शिक्षा, वन और वन्यजीव, राज्यसूची के विषयों को समवर्ती सूची में शामिल किया गया।

-लोक सभा और विधान सभा का कार्यकाल को 5 से 6 वर्ष किया गया.

-राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल की सलाह के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य किया गया.

संसद द्वारा किये गये संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती देने से रोका गया

संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाया गया

44वां संसोधन : यह संशोधन 1978 में मोरारजी देसाई के कार्यकाल में हुआ था. इसके तहत संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों से हटाकर कानूनी अधिकार बना दिया है.

-लोकसभा और विधान सभा का कार्यकाल फिर से 5 वर्ष कर दिया गया.

-राष्ट्रीय आपात की घोषणा आंतरिक अशांति के आधार पर नहीं बल्कि सशस्त्र विद्रोह के कारण की जा सकेगी.

-राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया कि वह मंत्रिमंडल की सलाह को एक बार पुनर्विचार के लिए वापस कर सकता है. लेकिन दूसरी बार वह सलाह मानने के लिए बाध्य होगा.

आर्थिक रूप से पिछड़ों को मिला 10 प्रतिशत आरक्षण

61वां संशोधन : इस संशोधन के जरिये मताधिकार की आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गयी. यह संशोधन राजीव गांधी के कार्यकाल में1989 में हुआ था.

-86वां संशोधन : यह संशोधन 2003 में हुआ, इसके तहत प्राथमिक शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया गया.

103 संशोधन: सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान.

Also Read: Republic Day 2023 Speech, Bhashan: गणतंत्र दिवस पर भाषण, स्पीच और स्लोगन यहां से तैयार करें

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें