Republic Day Parade: गणतंत्र दिवस परेड में विशेष अतिथियों में शामिल 44 वर्षीय सुखनंदन ने बकाया मेहनताना दिलवाने में मदद की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है. पेशे से माली सुखनंदन कर्तव्य पथ पर इस साल के गणतंत्र दिवस परेड में उन विशेष आमंत्रित लोगों में से एक थे, जिन्हें परेड देखने के लिए आमंत्रित किया गया था.
दरअसल, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य और इंडिया गेट एवं कर्तव्य पथ के पास रखरखाव की गतिविधि में शामिल कई कर्मियों और मजदूरों को परेड देखने के लिए विशेष पास दिया गया था. विशेष अतिथियों को अहाता संख्या-17 आवंटित किया गया था, जो सलामी मंच के ठीक सामने था, जहां पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति बैठे थे. सुखनंदन मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के निवासी हैं और वह प्रधानमंत्री को इतने करीब से देखभर बहुत अभिभूत हुए. उन्होंने कहा कि वह बहुत रोमांचित हुए जब पीएम मोदी उनके अहाते के करीब आए और हाथ हिलाकर उन सभी का अभिवादन किया.
सुखनंदन ने कहा कि इस कार्यक्रम का हिस्सा बनकर मैं बहुत सौभाग्शाली महसूस कर रहा हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे विशेष आमंत्रित लोगों में शामिल किया जाएगा. हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें मौका मिलता तो वह पीएम नरेंद्र मोदी से क्या पूछते, इसके जवाब में उन्होंने कहा, पिछले ठेकेदार ने मेरा 44 दिन का मेहनताना देने से इनकार कर दिया है. मैं प्रधानमंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि वह मेरा मेहनताना दिलवाने में मेरी मदद करें.
सुखनंदन पिछले दो महीने से इंडिया गेट पर बागवानी विभाग में काम कर रहे हैं. इससे पहले वह एक ठेकेदार के अंतर्गत आंध्र भवन में कार्यरत थे. वह इंडिया गेट के पास एक अस्थायी तंबू में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं. उन्होंने कहा कि ठेकेदार ने मेरा 44 दिन का मेहनताना देने से इनकार कर दिया है. मेरे पास हाजिरी रजिस्टर की एक प्रति है कि मैंने 44 दिन वहां काम किया था. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद ठेकेदार मेरा मेहनताना देने को तैयार नहीं है जो मेरा हक है. अब मैंने भी उसे ब्रश कटर लौटाने से इनकार कर दिया है, जो ठेकेदार से मुझे मिला था. मैंने उससे कहा कि वह मुझे मेरा बकाया लौटाए नहीं तो मैं ब्रश कटर वापस नहीं करूंगा.
स्थानीय निकाय संस्था अधिक मजदूरों की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए निजी ठेकेदारों को अनुबंध पर रखती है, जो सरकार द्वारा निर्धारित दर पर भुगतान करने के वादे के साथ मजदूरों को काम पर रखते हैं. कई बार इन श्रमिकों का शोषण किया जाता है और ठेकेदार किसी न किसी बहाने वेतन देने से मना कर देते हैं. ये मजदूर कानून का सहारा नहीं ले पाते, क्योंकि उनके पास ऐसा करने के लिए न तो पैसा है और न ही समय एवं न ही जागरूकता.
सुखनंदन के मुताबिक, स्थानीय नगर निकायों ने मालियों की मासिक मजदूरी 14,586 रुपये तय की है. उन्होंने कहा कि इस दर के हिसाब से मेरा कुल बकाया लगभग 21 हजार रुपये है. उन्होंने कहा कि ठेकेदार ने केवल 6 हजार रुपये देने की पेशकश की थी. संपर्क करने पर सुखनंदन के पूर्व ठेकेदार जितेन उपाध्याय ने बकाया राशि को लेकर विवाद होने की बात स्वीकार की और कहा कि मजदूरी की राशि को लेकर विवाद है. उन्होंने आरोप लगाया, मुझे नहीं लगता कि उनका बकाया 21000 रुपये है. साथ ही, ब्रश कटर के अलावा उन्होंने प्लंबिंग के अन्य उपकरण भी रखे हैं, जिन्हें उन्हें पहले वापस करना होगा.
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