प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना (PMFME) में बिहार देश में पहले नंबर पर है. अब तक देश में सबसे अधिक 450 केस बिहार के मंजूर हुए हैं. पिछले दो वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में पूरे बिहार में मात्र 20 लोन केस मंजूर हो पाये थे. उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीपक पौंड्रिक के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में बिहार में 2050 लोन स्वीकृत करवाने का लक्ष्य है. अभी तक की उपलब्धि उत्साहजनक है.
बिहार में आए थे 1322 आवेदन
बिहार की तुलना में वर्तमान चालू वित्तीय वर्ष में अब तक महाराष्ट्र के 205 और तेलंगाना के 296 स्वीकृत हो सके हैं. शेष राज्यों की स्थिति इससे भी कमजेार है. बिहार ने 16-23 जनवरी 2023 के सप्ताह में पीएमएफएमइ योजना के तहत बैंकों को सबसे अधिक आवेदन भेजे गये थे. हालांकि आवेदनों की तुलना में स्वीकृति दर हमारी भी कमजोर है. इस संदर्भ में विभागीय अफसरों का कहना है कि इसमें सरकार की कमी नहीं, बैंक शाखाओं की लापरवाही पूर्ण रवैया है. उद्योग विभाग इस मामले में वरिष्ठ प्रबंधन को शामिल कर इस कमी को दूर करने के लिए प्रयासरत है.पीएमएफएमइ पोर्टल के अनुसार बिहार में योजना में 1322 आवेदन आये. इनमें 855 केस बैंकों को भेजे गये. योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण जैसे मिनी राइस मिल, फ्लॉवर मिल, अचार यूनिट, पापड़ यूनिट, मखाना यूनिट, नूडल/ पास्ता यूनिट आदि को अधिक तवज्जो दी जाती है. इसमें भी 35 फीसदी तक का अनुदान दिया जाता है.
पीएमएफएमइ योजना की खास बातें
-योजना का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना देना है. इसका मकसद किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों एवं उत्पादक सहकारी समितियों को मदद देनी भी है.
– इसे पांच वर्ष यानी 2020-21 से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक की अवधि के लिए लागू किया गया है.
पीएमएफएमइ में बिहार के शीर्ष इन पांच जिलों के सर्वाधिक केस स्वीकृत हुए
समस्तीपुर-46
नालंदा-30
पटना- 24
मुजफ्फरपुर- 22
सीवान-18