Hazra Memorial Hospital Dhanbad: एक दौर था जब सुविधा के अभाव में धनबाद की कोलियरियों में प्रसव के दौरान मां व शिशुओं की मौत बहुत सामान्य बात थी. ऐसे ही दौर में धनबाद में कोलियरियों की संचालक कंपनी वोरा एंड कंपनी ने यहां नेत्र व स्त्री रोग के लिए समर्पित एक अस्पताल खोलने का मन बनाया, तो कंपनी के उमेश भाई वोरा को कोलकाता में प्रैक्टिस कर रहे डॉ सीसी हाजरा का साथ मिला. एसएसएलएनटी के अस्पताल, मेडिकल कॉलेज (पीएमसीएच) की स्थापना से लेकर उसके संचालन तक में डॉ हाजरा के अमूल्य योगदान का कोयलांचल साक्षी है. वर्ष 1981 में पीएमसीएच के पूर्णत: अधिग्रहण के बाद डॉ हाजरा ने अपने पिता आरसी हाजरा की स्मृति में आरसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल की स्थापना की.
बांझ दंपती के लिए आशा की किरण थे
जिस दौर में अविभाजित बिहार में धनबाद में लोग विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए एमबीबीएस पर ही निर्भर थे, उस दौर में यहां फिजिशियन के रूप में डॉ यूएन सहाना, ऑर्थो के लिए डॉ पीके गुटगुटिया तथा गायनी के लिए डॉ सीसी हाजरा अपने-अपने क्षेत्र के ब्रांड बन चुके थे. दरअसल इनकी आसान उपलब्धता से इन्हें ख्याति मिली.
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आरसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल के रूप में कीर्ति पताका
विशेषज्ञता, प्रतिबद्धता, अनुभव, निष्ठा जैसी खासियत के कारण अविभाजित बिहार व आसपास के राज्यों में वह बहुत जल्द स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में ख्यात होते गये. स्त्री रोग से संबंधित परेशानियों से निराश लोग हों या बांझ दंपती हों, डॉ हाजरा उनके लिए उम्मीद की रोशनी थे. बाद के दिनों में आरसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल उनकी सफलता की कीर्ति का पताका का पर्याय बन गया. सफलता का आलम यह है कि आरसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल के लिए लोगों की जुबान पर हाजरा क्लिनिक ही रहा. उन्हीं डॉ सीसी हाजरा की यशोगाथा को बढ़ानेवालों में शामिल नाम में एक नाम डॉ विकास हाजरा थे.