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जमशेदपुर के अस्पताल और स्कूल भी आग से सुरक्षित नहीं, जानें किन-किन के पास है फायर NOC

जमशेदपुर और आसपास में भी तेजी से अस्पतालों और अन्य संस्थानों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्तमान कुल 253 अस्पताल हैं, लेकिन आग से सुरक्षा के प्रति इन अस्पतालों में पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं.

धनबाद के हाजरा मेमोरियल अस्पताल के आवासीय परिसर में शुक्रवार की देर रात आग लगने से डॉ दंपती समेत 5 लोगों की मौत ने एक बार फिर आग से सुरक्षा से जुड़े मामले के प्रति सोचने को मजबूर कर दिया है. हाल के दिनों में देश के कई अस्पतालों व बड़ी बिल्डिंग में आगजनी की घटनाएं घटती रही हैं तथा उनमें दर्जनों जानें भी जा चुकी हैं. जांच में यह बात सामने आयी है कि ऐसे अस्पतालों व भवनों में फायर फाइटर की उचित व्यवस्था नहीं थी. लगातार हो रहे ऐसे हादसों के बावजूद प्राय: हर शहर में ऐसे दर्जनों अस्पताल और नर्सिंग होम तथा अन्य संस्थान संचालित हो रहे हैं जिन्हें अग्निशमन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी ) नहीं मिला है.

जमशेदपुर और आसपास में भी तेजी से अस्पतालों और अन्य संस्थानों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्तमान कुल 253 अस्पताल हैं, लेकिन आग से सुरक्षा के प्रति इन अस्पतालों में पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं. इन अस्पतालों में अगर आगजनी की घटनाएं हो जाएं , तो जान बचाना मुश्किल हो सकता है. जिले के 253 अस्पतालों में से मात्र 12 अस्पताल प्रबंधन के पास ही फायर एनओसी है. 22 ऐसे अस्पातल,नर्सिंग होम या क्लीनिक हैं, जिसका फायर का एडवाइजरी जारी है, लेकिन अब तक उन्हें एनओसी नहीं दिया गया है. संचालित नर्सिंग होम के अलावा कई क्लिनिक ऐसे हैं, जहां मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाता है. ऐसे में एनओसी के बिना चल रहे अस्पताल मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

एमजीएम व सदर में आग से निपटने की नहीं है व्यवस्था

कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में आग से निपटने की समुचित व्यवस्था नहीं है. अगर अचानक आग लग जाये तो कई लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है. अस्पताल के अंदर आग से सुरक्षा को लेकर जो भी इंतजाम किये गये हैं वे अग्निशमन विभाग के मापदंड पर खरा नहीं उतर रहे हैं. वैसे वार्ड में जहां मरीज भर्ती हैं वहां कही दो तो कहीं तीन फायर एक्सटिंग्विशर (अग्निशामक यंत्र ) लगाये गये हैं. कर्मचारियों के अनुसार पूरे अस्पताल में 110 अग्निशामक यंत्र हैं जो इतने बड़े अस्पताल के लिए नाकाफी हैं. यहां सुरक्षा उपकरणों की भी कमी है. हालांकि अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि अग्निशामक यंत्र पर्याप्त हैं.

फायर ब्रिगेड पर निर्भर है अस्पताल की सुरक्षा

एमजीएम अस्पताल में लगभग 450 मरीज भर्ती होकर इलाज कराते हैं. आग से निबटने की अस्पताल के आसपास समुचित व्यवस्था नहीं है. अचानक अस्पताल में आग लगने पर फायर ब्रिगेड को बुलाने के अलावा कोई चारा नहीं है. अस्पताल परिसर से फायर स्टेशन की दूरी दो से तीन किलोमीटर है.

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ओटी व वार्ड में लगा है अग्निशामक यंत्र

पूरे अस्पताल के वार्ड, ओटी, कैंटीन, शिशु वार्ड, इमरजेंसी के आइसीयू में अग्निशामक यंत्र लगाया गया है. इसके अलावा आग से बचने की कोई अलग से व्यवस्था नहीं है. आग लगने पर फायर ब्रिगेड को फोन कर दमकल बुलाने का विकल्प है. अस्पताल के किसी भी पुरानी बिल्डिंग में आग बुझाने के लिए पाइपलाइन नहीं है. हालांकि अस्पताल परिसर में नयी पीजी बिल्डिंग बनायी गयी है उसके आग बुझाने के लिए पाइपलाइन की व्यवस्था है लेकिन उस बिल्डिंग में शिशु वार्ड को छोड़कर पूरी बिल्डिंग खाली पड़ी हुई है.

फायर एनओसी मिलने का इंतजार

जिले में चल रहे सरकारी अस्पताल सदर व एमजीएम अस्पताल को अभी तक फायर एनओसी नहीं मिला है. अस्पताल अधीक्षक डॉ रवींद्र कुमार ने बताया कि अस्पताल में जितनी भी नयी बिल्डिंग बनी है, उसका फायर विभाग से एनओसी दिया गया है. पुरानी बिल्डिंग के लिए भी आवेदन दिया गया है. जल्द ही मिल जाने की उम्मीद है. एमजीएम को रांची से एनओसी मिलना है. इसके लिए रांची से टीम आकर जांच कर गयी है.

फायर विभाग को आवेदन दिया गया है : अस्पताल

वहीं सदर अस्पताल के हॉस्पिटल मैनेजर निशांत कुमार ने बताया कि अस्पताल की ओर से फायर विभाग को आवेदन दिया गया है उसके एवज में विभाग ने जो एडवाइजरी जारी की है, उसके अनुसार अस्पताल में फायर से संबंधित काम किया जा रहा है. विभाग की ओर से इसके लिए आवंटन भी मिल गया है. बिल्डिंग विभाग द्वारा इसका काम पूरा करने के बाद एनओसी मिल जायेगी.

क्या है एनओसी लेने का नियम

गोलमुरी फायर स्टेशन के प्रभारी बुधनाथ उरांव ने बताया कि फायर का एनओसी लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है. इसके लिए सभी पेपर के साथ फार्म अपलोड करना होता है. फॉर्म अपलोड करने के बाद मुख्यालय से संबंधित स्टेशन को यह आदेश आता है कि उक्त संस्थान में जाकर स्थल निरीक्षण करें. वहां मौजूद खामियों को चिह्नित कर संस्थान प्रबंधन को बतायें. उसके बाद फायर से संबंधित सभी इक्यूवमेंट को इंस्टाॅल करने का आदेश दिया जाता है. सभी प्रकार की प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्थानीय फायर स्टेशन के प्रभारी की ओर से फिर से एक बार निरीक्षण किया जाता है. उसके बाद उस निरीक्षण के रिपोर्ट को मुख्यालय भेजा जाता है. रिपोर्ट देखने और सभी बिंदु सही पाये जाने के बाद एनओसी के लिए अप्लाई करने का आदेश दिया जाता है. इतने दिनों तक विभाग की ओर से संस्थान को फायर का एडवाइजरी जारी कर दिया जाता है.

इन अस्पताल-नर्सिंग होम के पास है एनओसी

  • टाटा मेन हॉस्पिटल ,बिष्टुपुर

  • टाटा मोटर्स अस्पताल, टेल्को

  • मर्सी अस्पताल, बारीडीह

  • कांतिलाल गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल

  • संजीवनी नेत्रालय, उलीडीह

  • संत जोसेफ हॉस्पिटल, भिलाई पहाड़ी

  • अवध डेंटल काॅलेज , भिलाई पहाड़ी

  • साकेत हॉस्पिटल , उलीडीह

  • आई हॉस्पिटल ,साकची

  • हीरा लाल मेमोरियल अस्पताल, बोड़ाम

  • जमशेदपुर ब्लड बैंक, बिष्टुपुर

  • स्वर्णरेखा नर्सिंग होम ,घाटशिला

इनका फायर एनओसी प्रक्रियाधीन

  • टिनप्लेट अस्पताल , गोलमुरी.

  • एएसजी अस्पताल, साकची

  • अभिषेक चाइल्ड केयर, काशीडीह

  • गंगा मेमोरियल अस्पताल, उलीडीह

  • भारत सेवा श्रम संघ, सोनारी

  • दया हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर

  • जीवन दीप, साकची

  • टाटा नर्सिंग हॉस्पिटल – पटमदा

  • उमा अस्पताल ,मानगो

  • टीएमएच क्लीनिक- गोलमुरी, बारीडीह, कदमा, साकची, सिदगोड़ा, सोनारी, साउथ पार्क बिष्टुपुर, ट्यूब गेट बर्मामांइस,कदमा, एडीएमएच बारीडीह,सोनारी ,टेल्को प्लाजा.

शहर में सिर्फ आठ स्कूलों के पास ही है फायर एनओसी

विभिन्न बोर्डों से मान्यता प्राप्त जमशेदपुर के कई स्कूल सुरक्षा के मानकों खरा नहीं उतर रहे हैं. करीब 90 प्रतिशत स्कूलों का संचालन फायर एनओसी के बिना ही हो रहा है. सिर्फ आठ स्कूलों को ही फायर एनओसी मिली हुई है और पांच स्कूलों ने फायर एनओसी हासिल करने के लिए आवेदन दिया है.अन्य 70 स्कूलों ने अब तक आवेदन भी नहीं दिया है. गौरतलब है कि बहुमंजिला इमारतों के लिए एनबीसी 2016 के बहुमंजिला इमारतों (होटल, अस्पताल व स्कूल) के मानकों के अनुसार 15 फीट से ऊंची इमारतों में फायर सिस्टम की व्यवस्था होनी चाहिए. आने व जाने के लिए कम से कम दो प्रवेश द्वार होने चाहिए. एक कर्मचारी प्रवेशद्वार पर हर समय तैनात होनी चाहिए जो आने व जाने वाले को गाइड कर सके.

नोटिस देने पर नहीं जागे

सीनियर फायर इंस्पेक्टर बुधराम उरांव ने बताया कि जिले के सिर्फ आठ स्कूलों को ही फायर एनओसी मिली है. अन्य बगैर फायर एनओसी के चल रहे हैं. उन स्कूलों को कई बार नोटिस दी गयी, इसके बाद भी किसी ने एनओसी नहीं ली. अब शिक्षा विभाग को इनकी मान्यता संबंधी कार्रवाई करेगा.

इन स्कूलों के पास है फायर एनओसी

  • संत मेरीज इंग्लिश स्कूल

  • लोयोला स्कूल, टेल्को

  • डीएवी पब्लिक स्कूल, बिष्टुपुर

  • चिन्मया विद्यालय, बिष्टुपुर

  • डीबीएमएस कदमा, हाइस्कूल

  • एसडीएसएम स्कूल फॉर एक्सीलेंस, सिदगोड़ा

  • सिस्टर निवेदिता, बर्मामाइंस

  • शिक्षा निकेतन हाइस्कूल टेल्को

स्कूल में एनओसी लेने के लिए गाइडलाइन

  • स्कूल भवन में कम से कम 50,000 लीटर क्षमता वाले एक अंडर ग्राउंड स्टैटिक वाटर टैंक हो.

  • किसी भी आकस्मिक स्थिति में इस टैंक से अग्निशमन वाहनों को पानी लिये जाने के लिए ड्रॉ आउट कनेक्शन देने की व्यवस्था हो.

  • अग्निशमन कार्य के लिए भवन में कम से कम 10,000-10,000 लीटर क्षमता वाले ओभरहेड वाटर टैंक का निर्माण करायी जाये.

  • ओवरहेड टैंक से जुड़ा हुआ भवन दोनों स्टेयरकेश में वेट राइजर कम डाउन कमर सिस्टम की व्यवस्था की जाये. जिसके प्रत्येक स्टेयरकेश लॉबी में प्रत्येक तलों पर डिलिवरी आउटलेट एवं 30 मीटर लंब होज रील संस्थापित की जाये.

  • स्कूल भवन के प्रत्येक तलों पर डिलीवरी आउटलेट के पास एक-एक हॉज बॉक्स का संस्थापन कराया जाये, जिसमें दो लेंथ डिलिवरी होज एवं एक-एक ब्रांच विथ नोजल रखा जाये.

  • अग्निशमन कार्य के लिए निर्मित किये जाने वाले पंप हाउस में 1620 एलपीएम की क्षमता का एक फायर पंप संस्थापित करायी जाये.

  • 450 ली प्रति मीटर क्षमता का टेरेस पंप लगाने की व्यवस्था की जाये.

  • उक्त सभी पंपों को स्वतंत्र विद्युत व्यवस्था से जोड़ कर रखा जाये.

  • पंपिंग सिस्टम पॉजिटिव सेक्शन वाले हों.

  • स्कूल भवन में प्रत्येक स्टेयर केश के प्रत्येक तल पर एक ऐसे मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट्रॉनिक फायर अलार्म लगाये जाने की व्यवस्था की जाय

  • स्कूल परिसर में दो फायर बूथ स्थापित किया जाये.

  • स्कूल भवन में ट्रैवल डिस्टेंस मानक के अनुरूप होनी चाहिए.

  • तीसरी तक के छात्रों को सतही तल पर बैठाये जाने की व्यवस्था हो.

  • सभी क्लास रूम में दो दरवाजे होने चाहिए, जो बाहर की ओर खुले

  • स्कूल ऑडिटोरियम के सभी दरवाजे बाहर की ओर खुलने चाहिए.

  • स्कूल में विद्युत व्यवस्था लाइसेंसधारी इलेक्ट्रिशियन से ही करायी जाये.

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