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Mahatma Gandhi Death Anniversary: गांधी जी को किसने दी ‘महात्मा’ की उपाधि, जानिए पहली बार किसने कहा था बापू

गांधीजी भारत और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे. वह सत्याग्रह (विशाल सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिरोध के अग्रणी नेता थे, उनकी पूर्ण अहिंसा की अवधारणा के आधार पर रखी गई थी

गांधीजी को महात्मा की उपाधि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दी थी. मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था और उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी. उन्हें महात्मा गांधी के अलावा बापू के नाम से भी जाना जाता है. गांधीजी भारत और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे. वह सत्याग्रह (विशाल सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिरोध के अग्रणी नेता थे, उनकी पूर्ण अहिंसा की अवधारणा के आधार पर रखी गई थी, जिसने भारत को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता की ओर आंदोलन प्रदान किया. दुनिया भर के लोग दुनिया में आम लोग उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं.

गांधी जी को महात्मा की उपाधि

गुजरात तट पर एक हिंदू परिवार में पैदा हुए और पले-बढ़े गांधी ने लंदन के इनर टेंपल में लॉ की पढ़ाई की और उन्हें 22 साल की उम्र में जून 1891 में बार में बुलाया गया था. वह 1893 में एक भारतीय का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए. भारत में दो अनिश्चित वर्षों के बाद एक मुकदमे में व्यापारी, जहां वह एक सफल कानून अभ्यास स्थापित करने में असमर्थ था. जिसके बाद में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में 21 साल बिताए.

यहीं पर गांधी ने एक परिवार का पालन-पोषण किया और पहली बार नागरिक अधिकारों के अभियान में अहिंसक प्रतिरोध का इस्तेमाल किया. 1915 में 45 वर्ष की आयु में वो भारत लौट आए और अत्यधिक भूमि कराधान और भेदभाव के विरोध में तुरंत किसानों और शहरी मजदूरों को संगठित करना शुरू कर दिया था.

सुभाष चंद्र बोस ने दी बापू की उपाधि

सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को गांधीजी को बापू की भी उपाधि दी थी. जब गांधीजी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का निधन हुआ था तब यह शीर्षक उन्हें मिला था. “बापू” का अर्थ “पिता” होता है. गांधीजी को “महात्मा” और “राष्ट्रपिता” की उपाधि मिली थी.

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