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पढ़ाई के साथ नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य भी जरूरी : स्वामी चिदानंद गिरि

स्वामी चिदानंद ने कहा कि युवकों के लिए उचित शिक्षा का आदर्श परमहंस योगानंदजी के हृदय के काफी करीब था. योगानंदजी ने एक विद्यालय की स्थापना करने का निर्णय लिया. जहां युवा और बालक शरीर, मन और आत्मा के संतुलित विकास से मनुष्यता की पूर्ण उच्चता को प्राप्त कर सकते थे.

स्वामी चिदानंद ने कहा कि युवकों के लिए उचित शिक्षा का आदर्श परमहंस योगानंदजी के हृदय के काफी करीब था. उन्होंने सिर्फ शरीर और बुद्धि के विकास के उद्देश्य से दिये जानेवाले सामान्य निर्देशों के शुष्क परिणामों को स्पष्ट रूप से देखा था. योगानंदजी ने देखा कि औपचारिक पाठ्यक्रम में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की कमी थी, जिसे आत्मसात किये बिना किसी भी व्यक्ति को सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है. इसलिए योगानंदजी ने एक विद्यालय की स्थापना करने का निर्णय लिया. जहां युवा और बालक शरीर, मन और आत्मा के संतुलित विकास से मनुष्यता की पूर्ण उच्चता को प्राप्त कर सकते थे.

योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप के अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख स्वामी चिदानंद रविवार को जगन्नाथपुर स्थित योगदा सत्संग शैक्षणिक परिसर में नवनिर्मित भवनों के उदघाटन समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि आधुनिक और नवीनतम तकनीक से बने इस विद्यालय परिसर का इस्तेमाल आर्थिक रूप से पिछड़े विद्यार्थी करेंगे.

स्वामी जी ने कहा कि जिनके पास पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं है, उन सबके लिए यह नया विद्यालय संकुल उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने की दिशा में बड़ा कदम है. इस परिसर में एक बड़ा सभा भवन, बहुउद्देशीय कक्ष भवन और योगदा सत्संग विद्यालय के लिए एक अत्याधुनिक नया विद्यालय परिसर शामिल है. इस परियोजना के लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने आठ करोड़ रुपये की राशि मंजूर की थी. मौके पर वरिष्ठ संन्यासी ईश्वरानंद गिरि, स्वामी विश्वानंद, स्वामी शुद्धानंद आदि मौजूद थे.

परिसर में हरियाली रखने का किया
गया है पूरा प्रयास : स्वामी ईश्वरानंद गिरि

वरिष्ठ संन्यासी स्वामी ईश्वरानंद गिरि ने नवनिर्मित भवनों के बारे में कहा कि परिसर में हरियाली बनाये रखने की पूरी कोशिश की गयी है. निर्माण कार्य के दाैरान यह प्रयास रहा कि पेड़-पौधों को कम से कम क्षति पहुंचे. उन्होंने कहा कि नयी कक्षाओं का निर्माण प्राचीन और आधुनिक शैली से किया गया है. नयी प्रयोगशालाओं का निर्माण किया गया है. विद्यार्थियों के लिए मध्याह्न भोजन भवन बनाया गया है. नये विद्यालय परिसर का डिजाइन परमहंस योगानंद द्वारा अपनाये गये प्राचीन गुरुकुल सिद्धांतों पर आधारित है. जैसे प्रकृति के सानिध्य में खुले वातावरण में विद्यार्थियों को शिक्षित करने की अवधारणा.

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