धनबाद, अशोक कुमार : अगर कहा जाये कि बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के अधीन अंगीभूत कॉलेजों में उच्च शिक्षा के नाम पर केवल परीक्षा लेकर डिग्रियां बांटी जा रही हैं, तो यह गलत नहीं होगा. प्रभात खबर ने जिले के औद्योगिक नगरी सिंदरी में स्थित सिंदरी कॉलेज की पड़ताल की. इस कॉलेज की स्थापना 1963 में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) ने अपने मजदूरों के बच्चों के लिए की थी.
1980 में तत्कालीन बिहार सरकार ने कॉलेज का अधिग्रहण कर इसे रांची विश्वविद्यालय के अधीन अंगीभूत घोषित किया था. 1993 में कॉलेज विनोबा भावे विश्वविद्यालय के अधीन आ गया. 2018 से कॉलेज बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के अधीन है. कॉलेज में आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स में कुल 17 विषयों की पढ़ाई होती है. इसमें आर्ट्स में 10 विषय (हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, हिन्दी, इंग्लिश, बांग्ला, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान और ऊर्दू), साइंस में छह विषय (फिजिक्स, केमेस्ट्री, जियोलॉजी, मैथ, बॉटनी और जूलॉजी) और कॉमर्स की पढ़ाई होती है.
कॉलेज में करीब पांच हजार छात्र पढ़ते हैं. इससे औसतन 250 छात्रों पर एक शिक्षक हैं. कॉलेज में कुल 20 शिक्षक हैं. इसमें 11 स्थायी और नौ संविदा पर सहायक प्राध्यापक हैं. कॉलेज में हर वर्ष यूजी कोर्स में 1600 से 1700 के बीच छात्र व छात्राएं नामांकन लेते हैं. इनमें से अधिकतर विषय में सिर्फ एक शिक्षक हैं. ऐसे में कॉलेज में अन्य विषयों भी पढ़ाई के नाम पर केवल खाना पूर्ति हो रही है. कॉलेज के प्राचार्य डॉ नकुल प्रसाद मानते हैं कि कॉलेज में शिक्षकों के अभाव में क्वालिटी एजुकेशन अभी दूर है. हालांकि वह बताते हैं कि मौजूदा व्यवस्था में भी शिक्षक बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.
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सिंदरी कॉलेज में मैथ और केमेस्ट्री विभाग में नामांकित छात्र बगैर क्लास किये परीक्षा देते हैं. क्योंकि इन दोनों विभाग में एक वर्ष से एक भी शिक्षक नहीं हैं. मैथ विभाग में सेमेस्टर वन, सेमेस्टर तीन और पांच में 320 से अधिक छात्र नामांकित हैं. केमेस्ट्री विभाग के अंतिम शिक्षक एक वर्ष पहले सेवानिवृत हुए हैं. कुछ ऐसा ही हाल बॉटनी और जूलॉजी का भी है. दोनों विभागों में शिक्षक तो हैं. लेकिन एक भी डेमोंस्ट्रेटर (लैब टेक्नीशियन) नहीं हैं. इस कारण इन विषयों में पढ़ने वाले छात्र बिना प्रैक्टिकल के परीक्षा देने को विवश हैं.