मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शहर के दौरे पर हैं. वे सर्किट हाउस में रुकेंगे. यहां वे दो जिले की विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करेंगे. इसी सर्किट हाउस से चार किलोमीटर दूर सोनारी मरीन ड्राइव के कचरा डंपिंग यार्ड एक माह से आग सुलग रहा है. यहां से निकलने वाले धुआं से 20 हजार की आबादी प्रभावित हो रही है. आग बुझाने के तमाम उपाय कागजों और बयानबाजी तक सीमित होकर रह गये हैं. लोग परेशान हैं. आग और धुआं का दायरा बढ़ता जा रहा है. यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है. यहां से उठने वाले धुआं से आस्था हाइटेक सिटी, स्वर्ण विहार, विजया शताब्दी, वृंदावन गार्डेन, प्रांतिक अपार्टमेंट, अजंता अपार्टमेंट, सेवंथ हेवन, प्रांतिका आर्केड रेसिडेंसी सहित जाहिरा बस्ती, पुराना सोनारी बस्ती, गांधी रोड, दलमा व्यू कॉलोनी, रोड नंबर 7 एक्सटेंशन, निर्मल बस्ती के लोग परेशान है.
रात में धुआं कागलनगर तक फैल जाता है. मरीन ड्राइव से होकर छोटी-बड़ी गाड़ियां दिन-रात चलती हैं. धुआं के कारण यहां से वाहन चलाना मुश्किल हो जाता है. शिकायतों के पुलिंदा के बीच धरातल पर समाधान अब तक नहीं दिख रहा है. प्लास्टिक व इलेक्ट्रॉनिक कचरा जलने से कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियाें का खतरा. कचरा में प्लास्टिक की बोतलें और इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट समेत अन्य सामान जल रहे हैं. यह वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है. शोध में कूड़ा जलाने के कारण कार्बन डाइ आक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों के उत्सर्जन की बात सामने आयी है. पारा और हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों को बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना गया है. ऐसे सूक्ष्म कण (पार्टिकुलेट मैटर) वह जहरीले कण हैं, जो सांस के जरिये शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. यह खास तौर पर फेफड़ों को नुकसान पहुंचते हैं. इससे कैंसर तक होने का खतरा रहता है.
एनजीटी ने खुले में कचरा जलाने पर पाबंदी लगायी है. आदेश का उल्लंघन करने वालों पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है. एनजीटी का कहना है कि कचरा एवं अन्य सामग्री जलाना न केवल वायु प्रदूषण का कारण है, बल्कि पीएम 10 के संदर्भ में वायु प्रदूषण में इनकी हिस्सेदारी 29.4 फीसदी है.
सोनारी के जिस इलाके में कचरा की डंपिंग की जाती है उस इलाके को हरे रंग के परदे से ढक दिया गया. मुख्यमंत्री को इसी रास्ते से आना-जाना था, इस कारण इसको ढक दिया गया ताकि मुख्यमंत्री की नजर यहां न पड़े.
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सोनारी के स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री से पहल करने की अपील की है. नागरिक रणवीर बनाती, शीतल खुल्लर, अमिताभ जायसवाल, टीपी बनर्जी, एसआर मंडल, बीके पंडित, प्रसाद नारायण, काजल चौधरी, सुब्रतो साह, रौनक सिंह, प्रह्लाद राय, पीयूष, मनीष कुमार, अतुल सिंह, उत्तम कुमार, सुमन कुमार, अमित टोडी, अयान मुखर्जी, फाल्गुनी बनर्जी सहित बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों ने कहा कि कचरा जलाने से उठने वाले धुएं से जीना दुभर हो गया है. अगर इसे नहीं रोका गया तो घर छोड़ना पड़ सकता है.
एनएमएल के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ मनीष कुमार झा कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कचरा जलाना पर्यावरण के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए घातक है. कचरा में लगी आग से हानिकारक गैस मिथेन, सल्फर, कार्बन डाॅय आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड निकलते हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ ओजोन परत की क्षति का कारण बनते हैं. ये सभी गैस मानव शरीर के लिए खतरनाक हैं. इससे कैंसर, जेनेटिक डिजीज, चर्म रोग, सांस की बीमारी, एनिमिया, दांत, दमा, टीबी जैसी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है.