बिहार के मनरेगा मजदूरों की हाजिरी के नाम पर अब फर्जीवाड़ा नहीं होगा. सभी मजदूरों की अब बायोमीट्रिक हाजिरी दर्ज करायी जायेगी. नेशनल मोबाइल मॉनीटरिंग सिसटम (नएमएमएस) के उपयोग से न केवल फर्जी हाजिरी लगाकर पैसे निकालने पर रोक लग सकेगी, बल्कि काम के घंटे का भी सही आकलन हो सकेगा. इससे सही मजदूरों को उनके सही काम के घंटे का भुगतान हो सकेगा. साथ ही भ्रष्ट तरीके से मनरेगा में चल रहे फर्जीवाड़े से सरकारी राशि के दुरुपयोग पर भी रोक लग सकेगी. सूबे में 92.72 लाख सक्रिय मजदूरों की बायोमेट्रिक हाजिरी की तैयारी पूरी हो चुकी है.
एनएमएमएस के लागू होने से अब सभी सूचनाएं विभाग के वेबसाइट पर देखी जा सकेंगी. इससे राज्य मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक सही मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी. सरकार को मनरेगा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही थीं. इसमें बिना काम कराये ही पैसे का भुगतान और कई मामलों में काम के कम पैसे मिलने की भी शिकायतें थीं. एनएमएमएस के लागू होने से इन सभी शिकायतों की गुंजाइश खत्म हो जायेगी.
व्यक्तिगत कार्य को छोड़ कर मनरेगा के सभी कार्यों में एनएमएमएस लागू कर दिया गया है. कार्यस्थल पर मजदूरों का एनएमएमएस एप द्वारा फोटो लिया जा रहा है. फोटो के साथ उनकी हाजिरी बनायी जा रही है. इसकी जांच के बाद ही मजदूरी का भुगतान किया जायेगा. फिलहाल बायोमीट्रिक हाजिरी लागू नहीं हुई है. सिर्फ एनएमएमएस लागू किया गया है. विभागीय सूत्रों ने बताया कि बायोमीट्रिक हाजिरी को जल्द ही लागू कर दिया जाएगा. इसमें अंगूठे से मजदूरों की हाजिरी लगायी जायेगी.
मनरेगा मजदूरों की हाजिरी बायोमीट्रिक अटेंडेंटस टेबलेट और मोबाइल के माध्यम से ली जायेगी. मोबाइल एप को ऑलाइन किये जाने के बाद वर्क कोड, मास्टर रोल नंबर, तिथिवार उपस्थिति, जॉब कार्डधारी का नाम, उनका कार्ड नंबर सहित सभी महत्वपूर्ण जानकारी का कॉलम दिखने लगेगा. सॉफ्टवेयर पहले से दर्ज फिंगर प्रिंट से स्वयं सत्यापन कर लेगा
मनरेगा के जॉब कार्डधारी मजदूरों को अभियान चलाकर उनके आधार नंबर को लिंक कराया जायेगा. शत -प्रतिशत मजदूरों को इसका लाभ मिले इसके लिए अभियान चलाया जायेगा. राज्य में मनरेगा के सक्रिय मजदूरों की संख्या 95 लाख 39 हजार 78 है, जबकि कुल निबंधित मजदूरों की संख्या तीन करोड़ 14 लाख एक हजार 787 है.
मनरेगा कार्य में मौजूदा सिस्टम में पंचायत के मुखिया, रोजगार सेवक की मिलीभगत से परिचितों का फर्जी जॉब कार्ड बनवा लिया जाता है. ऐसे फर्जी जॉब कार्डधारियों के नाम बिना काम कराये ही उनकी उपस्थिति मस्टर रोल पर दर्ज कर ली जाती है. इसके बाद मजदूरों की मजदूरी उनके बैंक खाते में पहुंचती है, जबकि वास्तविक कामगारों को मजदूरी और काम नहीं मिलता.