धनबाद में पहले अस्पताल और फिर अपार्टमेंट में भीषण अगलगी की घटना हुई है. भले ही मामला धनबाद का हो, लेकिन पटना और आसपास के क्षेत्रों के अपार्टमेंट और अस्पतालों भी कई बार आग की चपेट में आ चुके हैं. जानकार बताते हैं कि पटना जिले में अधिकतर अपार्टमेंटों में फायर फाइटिंग सिस्टम की कमी है. कई जगहों पर सिस्टम लगे तो हैं, लेकिन उनकी मरम्मत आदि की नियमित व्यवस्था नहीं होती. इसके कारण मौके पर वो काम नहीं कर पाते.
पिछले वर्ष मई में सचिवालय के विश्वेश्वरैया भवन में 10 घंटे तक आग लगी रही. काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका. उसी वर्ष नवंबर में ही जगदेव पथ के मयूर बिहार कॉलोनी स्थित नारायणा अपार्टमेंट के एक फ्लैट में आग लगने से कई लोग झुलस गये थे. ऐसे में एक बार फिर पटना के अपार्टमेंटों में अग्नि सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गये हैं. क्या कहते हैं आंकड़े : जिले में कुल लगभग 2600 छोटे-बड़े अस्पताल, क्लीनिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से निबंधित हैं, लेकिन अब तक राजधानी के 1012 अस्पताल और क्लीनिक की ही फायर ऑडिट की गयी है. पटना व आसपास के क्षेत्रों में 3000 से अधिक अपार्टमेंट की संख्या है. जानकार बताते हैं कि 50 फीसदी अपार्टमेंट में फायर फाइटिंग सिस्टम काम नहीं करते.
जिला अग्निशमन पदाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि बहुमंजिली इमारतों में अग्निशमन की व्यवस्था को लेकर दो माह पहले करीब 25 दिनों तक अभियान चलाया गया था. इस दौरान अधिकतर जगहों पर अग्निशमन उपकरण नहीं पाये गये थे. उन्हें अग्निशमन उपकरण लगाने के निर्देश दिये गये थे. उन सभी जगहों की जांच भी की जायेगी.
बिहार में वर्ष 2014 में अग्निशमन सेवा अधिनियम लागू हुआ था. 2021 अप्रैल से इसे सभी अस्पतालों और बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के लिए अनिवार्य कर दिया गया. 100 से ज्यादा बेड के अस्पतालों में निजी फायर ऑफिसर की तैनाती का भी प्रावधान है. पीएमसीएच, एनएमसीएच, एम्स और आइजीआइएमएस जैसे बड़े सहित 1012 निजी अस्पताल और क्लीनिक इत्यादि में आग से सुरक्षा के प्रबंध कराये जा चुके हैं. बीते वर्ष राजधानी के अस्पतालों सहित 14 सौ प्रतिष्ठानों का ऑडिट कराया गया था. जागरूकता के लिए 1286 स्थानों पर माक ड्रिल भी करायी गयी.