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दुमका में झामुमो ने पारित किया 1932 खतियान समेत ये राजनीतिक प्रस्ताव, जानें CM हेमंत सोरेन ने क्या कहा

दुमका में झामुमो की सभा से सीएनटी-एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू करने और सीएए एवं एनआरसी को झारखंड से खारिज करने की बात कही गयी. प्रमंडलीय संयोजक सह झामुमो के केंद्रीय महासचिव विजय कुमार सिंह ने सभा का संचालन करते हुए इन प्रस्तावों को पढ़ा

कोरोना काल के बाद गुरुवार को प्रमंडलस्तर पर दुमका में झारखंड मुक्ति मोरचा के 44वें झारखंड दिवस समारोह का आयोजन किया गया. इसमें 47 राजनीतिक प्रस्ताव पारित किये गये हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और शिबू सोरेन की उपस्थिति में पारित प्रस्ताव में 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता घोषित करने और झारखंड में तृतीय व चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के पद को पूर्णरूपेण स्थायी निवासी (जमाबंदी रैयतों) के वंशजों के लिए आरक्षित किये जाने की मांग रखी गयी.

साथ ही सीएनटी-एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू करने और सीएए एवं एनआरसी को झारखंड से खारिज करने की बात कही गयी. प्रमंडलीय संयोजक सह झामुमो के केंद्रीय महासचिव विजय कुमार सिंह ने सभा का संचालन करते हुए इन प्रस्तावों को पढ़ा तथा मंचासीन नेताओं और खचाखच भरे गांधी मैदान में समर्थकों की भीड़ ने हाथ उठाकर इन प्रस्तावों पर मुहर लगायी.

बता दें कि झारखंड मुक्ति मोरचा ने इसी दिन 1978 में अलग झारखंड राज्य की स्थापना के लिए दुमका में पहली सभा की थी. उस साल से ही हर बार झारखंड मुक्ति मोरचा इस मंच से प्रस्ताव पारित कर सरकार तक अपनी बात पहुंचाती रही है. सत्ता में रहने के बावजूद भी झामुमो ने अपनी इस परिपाटी को नहीं बदला.

रैली भी निकाली गयी :

स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के लिए सांसद विजय हांसदा व विधायक बसंत सोरेन के नेतृत्व में एसपी कॉलेज मैदान दुमका से रैली निकाली गयी. जिसमें कार्यकर्ता तीर-धनुष, ढोल-मांदर के साथ शामिल हुए.

राजनीतिक प्रस्ताव में ये भी शामिल

झारखंड में पूर्ण नशाबंंदी लागू की जाये

विस्थापितों को नौकरी दी जाये

झामुमो ने सीएए एनआरसी को किया खारिज

कर्नाटक में ऐसी नीति को राज्यपाल ने पारित किया, झारखंड में लौटा दिया : हेमंत सोरेन

समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय बच्चों को नौकरी मिले, इसके लिए हमारी सरकार ने 1932 के खतियान आधारित नीति बना उसे राज्यपाल के पास भेजा. राज्यपाल ने उसे त्रुटिपूर्ण बताकर लौटा दिया. श्री सोरेन ने कहा कि ऐसी ही नीति कर्नाटक में बनी, तो उसे पारित कर दिया गया. अजीब स्थिति है. भावी पीढ़ी की सुरक्षा के लिए इस कानून का बनना जरूरी है. इसके लिए हम लड़ेंगे. सीएनटी-एसपीटी को 1932 के खतियान के जरिये हम मजबूत करना चाहते हैं, तो उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है. अड़ंगा लगा रहे हैं.

हमारी सरकार आज युवाओं को स्वरोजगार के लिए चार प्रतिशत मामूली ऋण पर स्कॉर्पियो दे रही, दुकान खोलने के लिए आर्थिक मदद कर रही है. गुरुजी क्रेडिट कार्ड से बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए 15 लाख तक के ऋण की व्यवस्था की है. सेविका सहायिका व किसानों के 33 बच्चे आज बीडीओ-सीओ बन गये हैं. जल्द ही हम राज्य में एयर हॉस्टेस की ट्रेनिंग भी शुरू करायेंगे. हम व्यापारियों के नहीं, गरीब जनता के प्रतिनिधि हैं, जिनकी जेबें फटी होती हैं.

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