Income Tax: 1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट पेश किया. इसी के साथ वित्त मंत्री ने नये कर व्यवस्था को लेकर भी कई बातें कहीं. हालांकि उन्होंने साफ कर दिया कि देश में जारी पुरानी कर व्यवस्था को हटाया नहीं जाएगा, करदाताओं के पास इसे सिलेक्ट करने का विकल्प होगा. सीधे शब्दों में कहे तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक नई कर व्यवस्था डिफॉल्ट व्यवस्था होगी. यानी अगर टैक्स पे करते समय अगर आप कोई व्यवस्था नहीं चुनेंगे तो आप खुद ब खुद नई कर व्यवस्था के दायरे में आ जाएंगे. और आप चाहे तो बतौर विकल्प पुरानी कर व्यवस्था को चुन सकते हैं. अब सवाल है कि नई और पुरानी कर व्यवस्था क्या है, और दोनों में क्या अंतर है.
क्या है नई कर व्यवस्था: गौरतलब है कि साल 2020 में सरकार जो कर व्यवस्था लाई वो पुरानी व्यवस्था से कई मायनों में अलग थी. सरकार ने इसे नई कर व्यवस्था का नाम दिया. वहीं, साल 2020 से पहले जो कर व्यवस्था थी उसे पुरानी कर व्यवस्था कहा गया. इस बार के बजट में वित्त मंत्री ने नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट घोषित कर दिया है. यानी आपको अगर पुरानी कर व्यवस्था के तहत टैक्स पे करना है तो इसे आपको सिलेक्ट करना होगा, नहीं तो आपपर नई टैक्स व्यवस्था लागू होगी.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में ऐलान करते हुए कहा कि निजी करदाताओं को कर में छूट की सीमा पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई है. वित्त मंत्री ने सदन में कहा कि नई और पुरानी कर व्यवस्था में फिलहाल 5 लाख रुपये की आय वाले किसी को भी आयकर का भुगतान नहीं करना होता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में कर में छूट की सीमा बढ़ाकर मैं 7ल लाख रुपये कर रही हूं. बजट में किये गये प्रस्ताव के अनुसार, नई कर व्यवस्था के तहत सात लाख रुपये तक की सालाना आय पर अब कोई कर नहीं लगेगा.
नई और पुरानी कर व्यवस्था का आकलन: वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर किसी करदाता का सालाना कटौती और छूट दावा 3.75 लाख रुपये से कम है तो उसे नई कर व्यवस्था अपनाने से लाभ होगा और उसे पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले कम कर का भुगतान करना होगा. उन्होंने कहा कि आयकर विभाग करदाताओं के लिये आयकर रिटर्न भरने को लेकर सरल और कम कर दर वाली व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये पूरे आकलन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा है.
बजट में किये गये प्रस्ताव के अनुसार, नई कर व्यवस्था के तहत सात लाख रुपये तक की सालाना आय पर अब कोई कर नहीं लगेगा. हालांकि, निवेश और आवास भत्ता जैसी छूट वाली पुरानी कर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अधिकारी ने कहा, नई कर व्यवस्था अपनाने वाले करदाताओं की संख्या पुरानी व्यवस्था अपनाने वाले से अधिक होगी. नई व्यवस्था से करदाताओं के लिये अनुपालन बोझ कम होगा क्योंकि उन्हें विभिन्न निवेश को लेकर दस्तावेजी सबूत जुटाने की जरूरत नहीं होगी.
देना होगा कम कर: वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा था कि नई कर व्यवस्था में बदलाव से करदाताओं को लाभ होगा. अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय नौ लाख रुपये है तो उन्हें अब 45000 रुपये की ही कर देना होगा, जो पहले 60,000 रुपये बनता था. उन्होंने कहा, इसी प्रकार किसी व्यक्ति की आय अगर 15 लाख रुपये सालाना है, उसे केवल 1.5 लाख रुपये या अपनी आय का केवल 10 फीसदी ही कर देना होगा. यह नयी कर व्यवस्था के मौजूदा स्वरूप के तहत बनने वाले 187500 रुपये से करीब 20 फीसदी कम है.
भाषा इनपुट के साथ
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