19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड के मुख्य सचिव की चेतावनी- खराब प्रदर्शन वाले विभागों का काटा जाएगा बजट

मुख्य सचिव ने कहा कि योजनाओं में डुप्लीकेसी रोकें. केंद्र से प्रायोजित कराये जाने लायक योजनाओं के लिए राज्य खर्च करना बंद करे. पीएल खाते के प्रबंधन के लिए भी सुदृढ़ व्यवस्था लागू होनी चाहिए

झारखंड में बजट बनने के बाद भी विभाग राशि खर्च करने में पीछे रह जाते हैं. इसका कारण बजट मिलने के बाद योजना बनाना है. फिर स्थल चयन होता है. डीपीआर बनता है और तब टेंडर होता है. इसे ठीक करने के लिए विभागों को होम वर्क करते हुए कम से कम तीन साल के लिए योजना तैयार करने की जरूरत है. वित्त विभाग हर छह या आठ महीने पर विभिन्न विभागों की समीक्षा करे.

फिर खराब प्रदर्शन करनेवाले विभागों का बजट काट कर बेहतर काम करनेवाले दूसरे विभाग को दे. यह बात मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने बजट पूर्व गोष्ठी हमिन कर बजट को संबोधित करते हुए कही.

योजनाओं में डुप्लीकेसी रोकें :

मौके पर मुख्य सचिव ने कहा कि योजनाओं में डुप्लीकेसी रोकें. केंद्र से प्रायोजित कराये जाने लायक योजनाओं के लिए राज्य खर्च करना बंद करे. पीएल खाते के प्रबंधन के लिए भी सुदृढ़ व्यवस्था लागू होनी चाहिए. किसी भी योजना को लागू करने से पहले हमें राजस्व के बढ़ानेवाले स्रोतों की तलाश करनी होगी.

मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार गठन के तुरंत बाद कोरोना संक्रमण के दौरान सबने पलायन का वीभत्स चेहरा देखा. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने कई ऐतिहासिक फैसले भी लिये. राज्य सरकार पलायन रोकने के लिए लोगों के घरों तक जायेगी. पलायन करनेवालों की परेशानियां खत्म करने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जायेगा. आज क्लाइमेट चेंज और लाइवीहुड की एडवांस प्लानिंग जरूरी है. राज्य सरकार ने इसके लिए टास्क फोर्स गठित किया है.

8.2 प्रतिशत है झारखंड का ग्रोथ रेट : गोष्ठी को संबोधित करते हुए वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय देश की प्रति व्यक्ति आय के अनुपात में 40 प्रतिशत कम है. झारखंड का ग्रोथ रेट 8.2 प्रतिशत है. राज्य की प्राप्तियों में केंद्रीय कर 27 प्रतिशत और राज्य कर 25 प्रतिशत है. इसके अलावा नॉन टैक्स से 14 प्रतिशत आय राज्य को होती है.

राज्य की आय का सबसे बड़ा स्रोत वाणिज्यकर है. नॉन रेवेन्यू टैक्स सबसे ज्यादा माइंस प्रक्षेत्र से आता है. वर्ष 2022-23 में इससे 9680 करोड़ रुपये की आय संभावित है. वहीं, राज्य में सबसे ज्यादा व्यय स्थापना पर किया जाता है. चालू वित्तीय वर्ष में स्थापना पर 43.842 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

बजट पूर्व गोष्ठी में मुख्य रूप से बोर्ड ऑफ सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के चेयरमैन डॉ सुदीप्तो मुंडले, स्ट्रेटजी लीड पार्टनर ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक सेक्टर के अजीत पाय, इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज, जयपुर के वाइस चेयरमैन पिनाकी चक्रवर्ती, बैंकर्स समिति के डीजीएम सुबोध कुमार, पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट के विशेषज्ञ प्रभात कुमार सहित कई अर्थशास्त्रियों ने अपने विचार रखे.

हमीन कर बजट गोष्ठी में आये ये भी सुझाव

राज्य सरकार को स्कूल लेवल पर इनोवेशन और स्टार्टअप की संस्कृति पर फोकस करने की जरूरत बतायी. कहा कि राज्य में इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलना चाहिए.

दीपक श्रीवास्तव, निदेशक, आइआइएम

पानी बचाने के लिए जंगल बचाना होगा. इसके लिए ग्राम पंचायतों को सशक्त करना होगा. केरल की तर्ज पर ग्राम पंचायतों को 20% बजट का हिस्सा उपलब्ध हो.

प्रेम शंकर, प्रदान संस्था

राज्य में वनोपज को बढ़ावा देने के लिए जिला स्तर पर ट्राइबल बिजनेस यूनिट का गठन हो. पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिले. हर प्रमंडल में ट्रेड बिजनेस सेंटर की स्थापना हो.

किशोर मंत्री, अध्यक्ष, चेंबर ऑफ कॉमर्स

महाराष्ट्र की तर्ज पर हर जिले में एक यूनिवर्सिटी होनी चाहिए. जिलों में कम से काम एक लीड कॉलेज बनाया जाये. शिक्षकों का पद सृजन बच्चों की संख्या का अध्ययन कर होना चाहिए.

डॉ सुधांशु भूषण, वीसी, एनआइइपीए

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें