झारसुगुड़ा. स्वास्थ्य मंत्री नब दास हत्याकांड में क्राइम ब्रांच की टीम घटना के तकरीबन एक सप्ताह बाद भी वह गोली नहीं खोज पायी है, जो उनके सीने से आर-पार हो गयी थी. इस गोली की तलाश में क्राइम ब्रांच की टीम ने तीन-तीन बार दिवंगत मंत्री नब दास की उस इनाोवा कार की बारीकी से जांच की है, जिसमें वे सवार थे. लेकिन, वह गोली अब तक नहीं मिल पायी है. जानकारी के अनुसार, गत 29 जनवरी की दोपहर स्वास्थ्य मंत्री को एएसआइ गोपाल कृष्ण दास ने जो गोली सीने में दागी थी, वह आर-पार हो कर वहीं कहीं गिर गयी थी.
गोली लगने के बाद नब दास वहीं नीचे गिर गये थे. उन्हें उठा कर जिला अस्पताल लाया गया था. लेकिन, जो गोली उन्हें लगी थी वह आज तक जांच कर रही क्राइम ब्रांच की टीम को नहीं मिल पायी है. वहीं, प्राथमिक इलाज व फिर भुवनेश्वर के अपोलो अस्पताल में इलाज व उनकी मौत के बाद पोस्टमार्टम में भी यह बात सामने आ चुकी है कि गोली छाती में लगने के बाद आर-पार होकर निकल गयी थी और उनके शरीर में गोली नहीं थी. वहीं, गोली कार में ही रह गयी या फिर घटना स्थल पर गिर गयी.
उस गोली को खोजने में क्राइम ब्रांच की टीम घटना स्थल पर तीन बार उक्त इनोवा गाड़ी जिसमें नवदास को गोली लगी थी, की जांच कर चुकी है. लेकिन, गोली नहीं मिल पायी है. वहीं, फॉरेंसिक टीम भी गाड़ी व घटना स्थल पर घंटों जांच कर चुकी है. नब दास जिस गाड़ी में थे, उसके पीछे वाली इनोवा (जो कि स्वास्थ्य विभाग की सरकारी गाड़ी थी) के पिछले दरवाजे पर लगी एक गोली को जांच टीम ने बरामद किया है. लेकिन, नवदास के सीने में लगी गोली आज तक नहीं मिल पायी है.
स्वास्थ्य मंत्री नब दास की हत्या के बाद उनके प्रशिक्षित पीएसओ के झारसुगुड़ा में उनके नियमित दौरे पर साथ नहीं रहने को लेकर अब सवाल उठने लगा है. जबकि यह पीएसओ भुवनेश्वर में दिवंगत मंत्री की सुरक्षा में तैनात रहता था, लेकिन झारसुगुड़ा में वह मंत्री के साथ क्यों नहीं आता था, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. झारसुगुड़ा दौरे पर दिवंगत मंत्री उसे स्वयं साथ लेकर नहीं आते थे अथवा इस पीएसओ के यहां नहीं आने का अन्य कोई कारण था, इसकी भी जांच करने की मांग उठ रही है.
जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास के लिए प्रशिक्षित पीएसओ के रूप में विभूति भूषण दास को नियुक्त किया गया था. लेकिन, वह भुवनेश्वर में ही मंत्री के साथ रहते थे. विभूति भूषण को झारसुगुड़ा में मंत्री नवदास के साथ नहीं देखा जाता था. झारसुगुड़ा में दिवंगत मंत्री नवदास के साथ प्रशिक्षित पीएसओ के नहीं रहने को लेकर अब तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं. नियमित पीएसओ को क्या दिवंगत दास अपने साथ झारसुगुड़ा नहीं ले जाना चाहते थे या फिर अन्य कोई कारण था. इसका पता नहीं चल पाया है. इन कारणों की जांच करने की मांग भी उठ रही है.
गत 29 जनवरी, रविवार के दिन जब उन्हें गोली लगी तब भी उनका प्रशिक्षित पीएसओ उनके साथ नहीं था. हत्याकांड के दिन मंत्री के साथ एक अन्य पीएसओ मित्रभानु देव गांधी चौक गया था. लेकिन, वह भी मंत्री के साथ कार में नहीं, बल्कि उनके पीछे चल रही एक अन्य कार में बैठा था. जब मंत्री की कार रुकी तो पीएसओ के पहुंचने के पहले ही मंत्री के स्वयं कार का दरवाजा खोलने की बात सामने आयी है. इससे सूबे के एक कैबिनेट स्तर के मंत्री के साथ इस प्रकार की ढीली सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठने लगा है. इन सवालों में यदि मंत्री को प्रशिक्षित पीएसओ मिला था, तो वह झारसुगुड़ा में मंत्री के साथ क्यों नहीं था. साथ ही जो पीएसओ उनके साथ था, वह प्रशिक्षित भी नहीं था तो उसे क्यों मंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी गयी थी, जैसे सवाल समेत अन्य तमाम सवाल हैं.