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बिहार: एक-दूसरे से जुड़ रहे विवि व कॉलेजों के पुस्तकालय, एक क्लिक पर हासिल होंगी मनपसंद किताब

बिहार के विश्वविद्यालयों में उच्च कक्षाओं की पढ़ाई और अनुसंधान में इंटरनेट युग की औपचारिक शुरुआत नये सत्र से शुरू होने जा रही है. पहले चरण में इ-लायब्रेी की सुविधा मिलेगी. स्टूडेंट्स को एक क्लिक पर उनकी मनपसंद इ-बुक और रिसर्च जनरल उपलब्ध होंगे.

राजदेव पांडेय, पटना

बिहार के विश्वविद्यालयों में उच्च कक्षाओं की पढ़ाई और अनुसंधान में इंटरनेट युग की औपचारिक शुरुआत नये सत्र से शुरू होने जा रही है. पहले चरण में इ-लायब्रेी की सुविधा मिलेगी. स्टूडेंट्स को एक क्लिक पर उनकी मनपसंद इ-बुक और रिसर्च जनरल उपलब्ध होंगे. शिक्षक वर्तमान वैश्विक युग के किसी भी नवीनतम टॉपिक समझ कर अपने विद्यार्थियों को साझा कर सकते हैं. बिहार के विश्वविद्यालयों में होने जा रहे क्रांतिकारी बदलाव का पहला चरण अप्रैल से शुरू हो जायेगा. पहले चरण में इ लायब्रेी की सुविधा प्रदेश के एक लाख से अधिक स्नातकोत्तर विद्यार्थियों, शोधार्थियों, विश्वविद्यालय और सरकारी कॉलेजों के शिक्षकों को मिलेगी. स्नातक विद्यार्थियों को अगले चरण में यह सुविधा हासिल हो सकेगी.

दूसरे चरण में 250 से अधिक सरकारी कॉलेज एक दूसरे से जुड़ जायेंगे

दूसरे चरण में बिहार के 250 से अधिक सरकारी कॉलेजों की लाइब्रेरियों को इंटरनेट से लिंक कर उन्हें संवारा जायेगा. हालांकि, इसमें अभी समय लगेगा. फिलहाल पहले चरण में घर बैठे या दूर दाराज के किसी भी क्षेत्र में रहते हुए कोई भी शैक्षणिक किताब, अनुसंधान पत्र (रिसर्च जनरल) का अध्यय कर सकते हैं. इ लायब्रेी की यह सुविधा विशेषकर लड़कियों/महिलाओं के लिए ज्यादा उपयोगी हो सकेगी. उन्हें रिसर्च के समय कहीं आने-जाने की जरूरत नहीं होगी. लर्निंग मैनेजमेंट के तहत बिहार के विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रर्ड विद्यार्थियों और शोधार्थियों को 1000 कोर्स ऑन लाइन उपलब्ध कराये जायेंगे. संभवत: यह सुविधा इ शोध सिंधु के तहत वन नेशन वन सब्सक्राइबर योजना के तहत दी जानी है.

विवि की लाइब्रेरियों में मौजूद किताबों का इ कैटलॉग बनाने की प्रक्रिया शुरू

बिहार के विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों में मौजूद किताबों का इ कैटलॉग तैयार किये जाने की कवायद शुरू हो गयी है. शिक्षा विभाग ने इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिख कर मौजूदा किताबों की संख्या और उनके टॉपिक मांगे हैं. आंकड़े उपलब्ध कराने की समय सीमा इसी साल 22 मार्च तक तय की गयी है. इसके बाद इस पर काम होगा. इससे इंटर विश्वविद्यालय बुक लोन की सुविधा हासिल हो जायेगी.

पटना विश्वविद्यालय : 25 हजार से अधिक पीएचडी पेपर

यहां लाइब्रेरी काफी बड़ी है. कुलपति प्रोफेसर गिरीश कुमार चौधरी के मुताबिक,लाइब्रेी में 25 हजार से अधिक पीएचडी पेपर मौजूद हैं. लाइब्रेी में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की अहमियत के लिहाज से मेनूस्क्रिप्ट सेक्शन है. 13वीं और 14वीं शताब्दी के चांदी के सिक्के हैं.नये पब्लिशर्स की किताबें खरीदी जा रही हैं. कुलपति दावा करते हैं कि मेनूस्क्रिप्ट पढ़ने में दिक्कत न हो इसके लिए इसे डिस्प्ले बोर्ड में रखा गया है. लाइब्रेी को आधुनिक और नयी तकनीक से युक्त बनाया जा रहा है. पटना यूनिवर्सिटी में 1919 में लाइब्रेी बनी थी. उस वक्त सिर्फ किताबों की खरीदारी पर 8 हजार रुपये खर्च किये गये थे. पटना यूनिवर्सिटी लाइब्रेी में एक बड़ा रीडिंग रूम है, जहां टीचर्स,स्कॉलर्स,रीडर्स के लिए अलग-अलग व्यवस्था है

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