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क्रिकेट की पिच पर जमकर पसीना बहा रही झारखंड की बेटियां, प्रीति तिवारी खेल चुकी है क्रिकेटर शेफाली वर्मा के साथ

राजधानी रांची में क्रिकेट के करीब 150 क्लब हैं. जिनमें 30 से अधिक क्लबों में लड़कियां प्रैक्टिस करती हैं. इन ट्रेनिंग सेंटर में लड़कियों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देने के साथ-साथ कोच द्वारा खेल सामग्री आदि भी मुहैया करायी जाती है

महिलाएं वर्तमान समय में किसी से पीछे नहीं हैं. हर कार्य में अपने दम पर अपना, परिवार और देश का नाम रोशन कर रही हैं. हाल में ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतकर दुनिया को अपनी प्रतिभा का अहसास करा दिया है. उन्होंने दिखा दिया है कि महिलाएं भी क्रिकेट जैसा गेम खेलकर इतिहास रच सकती हैं.

राजधानी रांची में भी कई ऐसी महिला क्रिकेटर हैं, जो अपनी पहचान बनाने के लिए जमकर पसीना बहा रही हैं. दिनभर की कड़ी मेहनत और फिजिकल एक्सरसाइज के बाद घंटों प्रैक्टिस कर रही हैं. इन्हीं महिला क्रिकेटरों पर पढ़िए पूजा सिंह की रिपोर्ट.

रांची के 30 क्लबों में बेटियां ले रहीं ट्रेनिंग

राजधानी में क्रिकेट के करीब 150 क्लब हैं. जिनमें 30 से अधिक क्लबों में लड़कियां प्रैक्टिस करती हैं. इन ट्रेनिंग सेंटर में लड़कियों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देने के साथ-साथ कोच द्वारा खेल सामग्री आदि भी मुहैया करायी जाती है. कई मैदान में लड़कियां खुद भी प्रैक्टिस करती हैं. जानकारी के अनुसार, झारखंड में 600 से अधिक लड़कियां क्रिकेट के लिए प्रैक्टिस कर रही हैं, जबकि रांची में 100 से अधिक लड़कियां क्रिकेट का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं.

पापा ने किया सपोर्ट दिया प्रोत्साहन : नेहा

कोकर चूना भट्ठा चौक की नेहा कुमारी को क्रिकेट का काफी शौक रहा. मां नगर निगम में सफाई कर्मी हैं और पिता नगर निगम में गाड़ी चलाते हैं. इसके बाद भी उन्होंने बेटी के सपने को समझा और चार साल पहले क्रिकेट प्रैक्टिस के लिए नामांकन कराया. सुबह साढ़े सात बजे से 12 बजे तक प्रैक्टिस करती हैं. साथ ही नौवीं कक्षा की पढ़ाई भी़ नेहा कहती हैं कि पापा ने मेरे सपने को समझा और सपोर्ट किया. वह धनबाद, बोकारो और रांची में कई मैच खेल चुकी हैं. बैटिंग के हुनर को और निखारना है. वह कहती हैं : भारतीय महिला टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर से प्रेरणा मिलती है.

शेफाली वर्मा के साथ खेल चुकी हैं प्रीति

प्रीति तिवारी पांच साल से प्रैक्टिस कर रही हैं. वह स्टेट लेवल की तीन टूनामेंट खेल चुकी हैं. एक में कप्तानी भी कर चुकी हैं. वह रणजी, जेपीएल, डिस्ट्रिक्ट लेवल पर खेल चुकी हैं. प्रीति कहती हैं : बचपन से ही क्रिकेट का शौक रहा. लड़कों के साथ खेला करती थी.

बोर्ड लेवल पर पहुंची, तो अभिभावकों का भी सपोर्ट मिलने लगा. उन्हें भी इंडिया लेवल पर खेलना है. महिला क्रिकेटर सेफाली वर्मा का आत्मविश्वास पसंद है. उनके साथ खेलने का मौका मिला है. उनसे काफी कुछ सीखने को मिला है. अब मैच पर ही फोकस करना है और पढ़ाई को भी जारी रखना है.

राज्य में 30 साल पुराना है महिला क्रिकेट का इतिहास

झारखंड में महिला क्रिकेट का इतिहास 30 से अधिक साल पुराना है. 1985-86 में अविभाजित बिहार के समय यहां महिला क्रिकेट की शुरुआत हुई थी. तब क्रिकेट कोच चंचल भट्टाचार्य और जय कुमार सिन्हा ने रांची महिला कॉलेज में महिलाओं के लिए क्रिकेट की कोचिंग शुरू की थी. रांची महिला कॉलेज का यह सेंटर भी बंद हो गया है.

झारखंड के 10 जिलों में है लड़कियों की टीम

झारखंड के 10 जिलों में ही लड़कियों की क्रिकेट टीम है. इनमें रांची, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद, रामगढ़, हजारीबाग सहित अन्य जिले हैं. सबसे पहले रांची और जमशेदपुर में लड़कियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया गया था. इसके बाद से अन्य जिलों में टीम बनी और हिस्सा लेने लगी.

आसपास के लड़कों से मिली प्रेरणा

हरमू हाउसिंग कॉलोनी की रहनेवाली श्रेया झा पिछले तीन साल से क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रही हैं. वह अंडर 19 की डिस्ट्रिक्ट लेवल की कप्तान भी हैं. उनकी कप्तानी में पिछले साल चार क्रिकेट मैच खेले गये थे. वह कहती हैं कि झारखंड में ही कई मैच खेलने का मौका मिला है. आसपास के लड़कों को देखकर क्रिकेट के प्रति जिज्ञासा बढ़ी.

अभिभावकों ने सपोर्ट किया और शुरू हो गया क्रिकेट का सफर. साथ ही रांची वीमेंस कॉलेज से इंटर की पढ़ाई भी कर रही हूं. अपने देश के लिए महिला क्रिकेटर श्वेता की तरह खेलकर नाम रोशन करना है. अपनी पढ़ाई को भी जारी रखना है.

घर से मिलता है खेल का माहौल

ऋतु रानी गोड्डा की हैं. वर्तमान में डोरंडा में रहकर लड़कियों को क्रिकेट की ट्रेनिंग भी दे रही हैं. वह वर्ष 2011 से मैच की प्रैक्टिस करते हुए स्टेट लेवल तक खेलीं. एथलीट, वालीबॉल और टेनिस की भी जानकारी है. ऋतु रानी कहती हैं : रांची आकर रजिस्ट्रेशन कराया. यहीं से खेलना शुरू किया. स्कूल समय से ही टेनिस और क्रिकेट के प्रति रुचि थी. घर से खेल का माहौल मिलता रहा. इस कारण खेल के प्रति जिज्ञासा बढ़ती गयी. वर्तमान में कोच लेवल एक की ट्रेनिंग बेंगलुरू से करके आयी हैं. यहां आकर स्कूल की बच्चियों को ट्रेनिंग दे रही हैं.

करमटोली की हंसिका

कुमारी ने लॉकडाउन के बाद से क्रिकेट खेलना शुरू किया. सीनियर डिस्ट्रिक्ट लेवल पर खेल चुकी हैं. अब स्टेट लेवल के लिए तैयारियों में जुट गयी हैं. कहती हैं : लड़कियों के क्रिकेट खेलने पर मजाक उड़ाया जाता है, लेकिन लोगों के मजाक को गर्व करने पर विवश कर दूंगी़ रांची वीमेंस कॉलेज से 12 वीं की पढ़ाई करते हुए प्रतिदिन प्रैक्टिस करतीं हैं.

क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए रांची आकर रहने लगीं

रामगढ़ की अंजलि पांडेय रांची आकर क्रिकेट की प्रैक्टिस करती थीं. अब क्रिकेट के लिए घर छोड़कर रांची में रह रही हैं. पिछले तीन साल से अंडर 19 डिस्ट्रिक्ट लेवल पर चार मैच खेल चुकी हैं. उन्होंने पहले मैच में ही 26 रन देकर तीन विकेट लिया. वह कहती हैं कि इस साल कोशिश है कि स्टेट लेवल पर अंडर-19 खेल पायें.

इसके लिए अच्छा परफॉरमेंस देना है. साथ ही 10वीं बोर्ड की परीक्षा भी देनी है. छोटे भाई के बैट-बॉल से खेलते हुए देखकर पापा उन्हें ट्रेनिंग दिलाने लगे. पहले पापा के साथ रामगढ़ से रांची ट्रेनिंग के लिए आती थी. जितनी देर प्रैक्टिस करती, उतनी देर पापा बैठे रहते थे. इसलिए मैच की सही ट्रेनिंग लेने के लिए रांची शिफ्ट कर गयीं.

छह साल से स्टेट टीम की कोच हैं सीमा

हटिया की सीमा सिंह पिछले छह साल से झारखंड के स्टेट टीम की कोच हैं. इसके पूर्व इ नेशनल लेवल पर इंडिया ए टीम के लिए खेल चुकी हैं. कहती हैं : स्टेट कैंप पर दो लेवल पर प्रैक्टिस करायी जाती है. सुबह में फिटनेस और शाम में नेट्स व फिल्डिंग सेशन होता है. स्टेट से नेशनल लेवल तक जाने के लिए महिला खिलाड़ी के अनुशासन और परफॉरमेंस पर ध्यान दिया जाता है.

झारखंड से अच्छी-अच्छी खिलाड़ी निकल रही हैं. अच्छे लेवल पर पहुंच रही हैं. आगे और भी ऊपर लेवल तक जायेंगी. 25 साल से क्रिकेट का अनुभव रहा. झारखंड को रिप्रेजेंट किया. अब कोच बनकर छोटी-छोटी बारीकियां सीखा रही हैं.

लड़कियों में क्रिकेट के प्रति रुचि बढ़ी

वर्तमान में लड़कियों में क्रिकेट के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है. इसके लिए सीनियर महिला खिलाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों से खिलाड़ियों को निकालने के लिए टूर्नामेंट आयोजित कर रही हैं. धीरे -धीरे इनके आगे आने का रास्ता खुल रहा है. लड़कियों के लिए झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा अंडर 15 लेवल पर जल्दी ही एकेडमी चलाने की योजना है. रांची और जमशेदपुर इंटर डिस्ट्रिक्ट लेवल पर कई बार चैम्पियन रही हैं.

शैलेंद्र कुमार, सचिव, रांची जिला क्रिकेट संघ

खुद खेलने के लिए आगे आ रही हैं गर्ल्स

कई कोचिंग सेंटर में लड़कों के साथ लड़कियां खेलती हैं. पहले लड़कियों को खोजना पड़ता था, लेकिन अब लड़कियां खुद से खेलने के लिए आगे आ रही हैं. रांची में 100 से अधिक लड़कियां अलग-अलग जगहों पर प्रशिक्षण ले रही हैं. हमारे कोचिंग सेंटर में 12-13 लड़कियां हैं, जो प्रतिदिन क्रिकेट का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. इन्हें नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

माणिक चंद्र घोष, क्रिकेट कोच

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