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PHOTO: बूढ़ा पहाड़ पर दिखने लगी विकास की किरणें, दूधिया रोशनी में नहाये जंगल, पहाड़ और गांव

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 27 जनवरी 2023 को बूढ़ा पहाड़ पर पहुंचे, तो उन्होंने 100 करोड़ रुपये के बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्लान (बीपीडीपी) का ऐलान किया. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हुआ. गांवों में बिजली पहुंची. जंगल, पहाड़ और गांव रोशन हो गये.

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झारखंड के लातेहार और गढ़वा जिला से लेकर छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिला तक फैला बूढ़ा पहाड़ हाल के दिनों तक नक्सलियों का गढ़ था. इस पहाड़ पर जाना सुरक्षाकर्मियों के लिए मौत को दावत देने के समान था. अब स्थिति बदल गयी है. केंद्रीय बलों की मदद से इस बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त करा लिया गया. बूढ़ा पहाड़ और उसके आसपास स्थित गांवों में विकास की किरणें पहुंचने लगी हैं.

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 27 जनवरी 2023 को बूढ़ा पहाड़ पर पहुंचे, तो उन्होंने 100 करोड़ रुपये के बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्लान (बीपीडीपी) का ऐलान किया. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हुआ. गांवों में बिजली पहुंची. जंगल, पहाड़ और गांव रोशन हो गये. आजादी के 75 साल बाद जब गांवों में रोशनी पहुंची, तो लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था.

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झारखंड पुलिस और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के प्रयास से गांवों में बिजली पहुंची है. 4 फरवरी को पहली बार बूढ़ा पहाड़ के हेसातू कैंप के पास लगे नये ट्रांसफॉर्मर को चार्ज करके उससे गांवों में बिजली की सप्लाई की गयी. ग्रामीणों के घर में बल्ब जले, तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा.

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जंगल में स्थित गांवों की रातें रोशन हुईं, तो लोगों में बिजली का कनेक्शन लेने की इच्छा भी जगी है. उत्साहित ग्रामीणों ने अब बिजली का कनेक्शन लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ज्ञात हो कि आजादी के बाद कोई सरकारी पदाधिकारी या नेता इस क्षेत्र में कभी नहीं पहुंचा था. केंद्रीय बलों की मदद से बूढ़ा पहाड़ पर ‘ऑपरेशन ऑक्टोपस’ चलाया गया.

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नक्सलियों को बूढ़ा पहाड़ से खदेड़ने के लिए चलाये गये ‘ऑपरेशन ऑक्टोपस’ के दौरान कई बार वामपंथी उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई. इसमें कई जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी. काफी संख्या में नक्सलियों की भी मौतें हुईं. सुरक्षा बलों के ऑपरेशन से डरकर कई नक्सलियों ने हथियार के साथ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.

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आखिरकार बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों से मुक्त हुआ. मुख्यमंत्री सूबे के बड़े अधिकारियों और देश के पत्रकारों के साथ वहां पहुंचे. ग्रामीणों के साथ जमीन पर बैठकर भोजन किया. उनके दुख-दर्द सुने और बूढ़ा पहाड़ के विकास की रूपरेखा तय की. इसके साथ ही यहां के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना भी शुरू हो गया.

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नक्सलियों से मुक्त हो चुके बूढ़ा पहाड़ पर फिर से वामपंथी उग्रवाद न पनप सके, लोगों की जान-माल की सुरक्षा हो सके, इसके लिए जगह-जगह सुरक्षा कैंप बनाये गये हैं. जवानों को भी सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्था सरकार कर रही है. कैंप में स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के साथ-साथ जेनरेटर और सोलर लाइट के भी प्रबंध किये जा रहे हैं.

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