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अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा गुमला का करमडीपा एयरपोर्ट, पायलट के लिए बना रेस्ट हाउस भी खंडहर में तब्दील

द्वितीय विश्व युद्ध के समय गुमला के करमडीपा में बना हवाई अड्डा आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. हेलीकॉप्टर लैंडिंग के लिए बना सिग्नल टावर आज भी मौजूद है. इसके बावजूद सरकार और प्रशासन के नजर अंदाज के कारण आज इसका अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है.

गुमला, दुर्जय पासवान : गुमला शहर से तीन किमी दूर करमडीपा हवाई अड्डा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. यह हवाई अड्डा द्वितीय विश्व युद्ध के समय 1939 से 1945 ईस्वी के बीच बना था. यह रांची और गुमला मार्ग पर नेशनल हाइवे-23 के किनारे है. यहां आपातकाल में विमान उतारने के लिए हवाई अड्डा का निर्माण हुआ था. साथ ही आपातकाल में उतरे विमान के पायलट के ठहराव के लिये रेस्ट हाउस भी बना था, जो अब खंडहर में तब्दील हो गया है. यह हवाई अड्डा अंतर राष्ट्रीय मानक के अनुरूप बना है. लेकिन, सरकार व प्रशासन के नजर अंदाज के कारण आज इसका अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है. हवाई अड्डा के समीप बने रेस्ट आउस के बगल में एक टावर भी बना था, जो आज भी मौजूद है. जिसमें उस समय एक मीटर का गोल कपड़ा का झंडा लगा हुआ करता था. जिसकी मदद से पायलट हवा की दिशा जानकर उसके विपरीत दिशा में लैंडिग करते थे.

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अभिनेता, सीएम से लेकर पीएम तक उतरे

गुमला के इस हवाई अड्डा में कई बड़ी हस्तियां हेलीकॉप्टर से उतरे हैं. यहां सिनेमा जगत के अभिनेता से लेकर राज्य के सीएम और देश के प्रधानमंत्री तक हेलीकॉप्टर से उतर चुके हैं. हालांकि, प्रशासन ने यहां कुछ काम कराया है. लेकिन, जिस प्रकार हवाई अड्डा की बनावट छोटा होता जा रहा है. अगर इसे रोका नहीं गया, तो आने वाले समय में यह हवाई अड्डा खत्म हो जायेगा.

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द्वितीय विश्व युद्ध के समय बनाया गया था एरोड्रम : अखौरी निरंजन

गुमला के पूर्व पायलट सह अधिवक्ता अखौरी निरंजन कृष्ण उर्फ नीरू बाबू ने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय गुमला में एरोड्राम बनाया गया था. जहां हेलीकॉप्टर से लैंडिंग करने वाले पायलट के ठहराव या आराम करने के लिए एक रेस्ट हाउस बनाया गया था. उस समय हेलीकॉप्टर दिन में लैंडिंग किया जाता था. वहां किसी भी आम आदमी को जाने की अनुमति नहीं था.

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एरोड्रक की बदहाली पर प्रशासन दे ध्यान : बदलेव शर्मा

अधिवक्ता बदलेव शर्मा ने कहा कि इस एरोड्राम में पूर्व में वीटी विमान उतरा करता था. जिसकी क्षमता सात से नौ लोगों का था. वहीं, हमलोगों ने अपने बचपन में देखा कि उस एरोड्राम में रनवे बना हुआ था. जिससे उड़ान भरा जाता था और लैंडिंग किया जाता था जो आज के समय पूरी तरह से खत्म हो गया है. इस ओर प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है.

हवाई अड्डे की सौगात दे सरकार : विजय आनंद

गुमला जिले के वरिष्ठ पत्रकार विजय आनंद ने कहा कि गुमला में ट्रेन का आवागमन नहीं है. कम से कम गुमला हवाई हड्डा को घरेलू उड़ान के लिए विकसित करने की आवश्यकता है. जिससे गुमला के लोगों को एक सौगात मिलेगा. यह हवाई अंतर राष्ट्रीय मानक पर बना हुआ है. यहां बड़े-बड़े हेलीकॉप्टर उतारा जा सकता है. हालांकि अभी भी यहीं हेलीकॉप्टर उतरता है. परंतु, इसके संरक्षण की भी जरूरत है.

किसी धरोहर से कम नहीं है गुमला का हवाई अड्डा : रमेश चीनी

चेंबर ऑफ कामर्स गुमला के पूर्व अध्यक्ष रमेश कुमार चीनी ने कहा कि गुमला का हवाई अड्डा किसी धरोहर से कम नहीं है. यह हवाई अड्डा 80 साल पहले बना था. जिस समय हमारे देश में अंग्रेजों का शासन था. उस समय आपातकाल में हेलीकॉप्टर यहां उतरता था. लेकिन, अब यहां अक्सर हेलीकॉप्टर उतरता है. जिस प्रकार यहां अतिक्रमण हो रहा है. इसपर विचार करने की जरूरत है.

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