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देशभर में उच्च शिक्षा में बढ़ी सभी सामाजिक वर्गों की भागीदार, पहली बार चार करोड़ के पार पहुंचा नामांकन

देशभर में उच्च शिक्षा की स्थिति के को जानने के लिए किये गये ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (AISHE) 2020-21 के नतीजे उत्साहजनक रहे हैं. देश में पहली बार उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की संख्या चार करोड़ को पार कर गयी है. इस सर्वे का यह 11वां संस्करण है.

आरती श्रीवास्तव : बीते महीने शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा को लेकर एआइएसएचइ (ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन) के नतीजे जारी किये. वर्ष 2020-2021 के लिए जारी इस सर्वे के अनुसार, देश में पहली बार उच्च शिक्षा में नामांकन के आंकड़े चार करोड़ को पार कर गये हैं. उच्च शिक्षा में महिलाओं की संख्या भी 2019-20 की तुलना में 13 लाख बढ़ी है. सर्वे के मुताबिक, देश में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की संख्या बढ़ने के साथ ही लैंगिक समानता सूचकांक (जीपीई (जेंडर पैरिटी इंडेक्स)) में भी वृद्धि दर्ज हुई है. इतना ही नहीं, बीते वर्ष की तुलना में सभी सामाजिक वर्गों के सकल नामांकन अनुपात में भी बढ़ोतरी हुई है. ये आंकड़े बताते हैं कि देश में न केवल उच्च शिक्षा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है, बल्कि हर वर्ग तक इसकी पहुंच भी सुनिश्चित हो रही है.

चार करोड़ के पार पहुंचा नामांकन

वर्ष 2020-21 में देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन की संख्या 28.80 लाख बढ़कर लगभग 4.14 करोड़ पर पहुंच गयी. जबकि 2019-20 में यह संख्या 3.85 करोड़ थी. सर्वे में यह भी सामने आया है कि वर्ष दर वर्ष देशभर में उच्च शिक्षा के वार्षिक नामांकन दर में वृद्धि दर्ज हुई है. जो 2019-20 से 7.5 प्रतिशत और 2014-15 से 21 प्रतिशत अधिक है. वर्ष 2020-21 में उच्च शिक्षा में जहां कुल 2.12 करोड़ (51.3 प्रतिशत) पुरुषों ने, वहीं 2.01 करोड़ (48.7 प्रतिशत) महिलाओं ने प्रवेश लिया. जबकि 2019-20 में 1.96 करोड़ पुरुषों ने और 1.89 करोड़ महिलाओं ने उच्च शिक्षा में नामांकन कराया था

एससी-एसटी-ओबीसी नामांकन में बड़ी वृद्धि

  • 14.2 प्रतिशत विद्यार्थी अनुसूचित जाति, 5.8 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 35.8 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग और 44.2 प्रतिशत विद्यार्थी अन्य समुदायों से थे, उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने वाले कुल 4.14 करोड़ के करीब विद्यार्थियों में से.

  • 4.2 प्रतिशत अधिक नामांकन हुआ 2020- 21 में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का उच्च शिक्षा में, 2019-20 की तुलना में. जबकि 2018-19 की तुलना में 2019-20 में यह वृद्धि 1.6 प्रतिशत रही थी. वर्ष 2014-15 से तुलना करें, तो 2020-21 में उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के नामांकन में वृद्धि का कुल प्रतिशत 27.96 रहा.

  • 24.1 लाख अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों ने उच्च शिक्षा में दाखिला लिया 2020-21 में, 2019-20 के 21.6 लाख विद्यार्थियों की अपेक्षा. इस प्रकार, बीते वर्ष के 4.3 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष दाखिले में 11.9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली. वर्ष 2014-15 के आंकड़ों से तुलना करें, तो इस वर्षयह बढ़त 47 प्रतिशत रही.

  • 1.48 करोड़ रही 2020- 21 में उच्च शिक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग, यानी ओबीसी समुदाय के विद्यार्थियों के प्रवेश की संख्या, जो 2019-20 में 1.42 करोड़ थी. तुलनात्मक रूप से देखें, तो ओबीसी विद्यार्थियों के नामांकन का प्रतिशत 2014- 15 के मुकाबले इस वर्ष 31.67 प्रतिशत अधिक रहा.

इन राज्यों में सबसे अधिक हुआ नामांकन

देशभर में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान के उच्च शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों के प्रवेश लेने वाले अग्रणी राज्य रहे. देशभर के कुल नामांकन का 53.17 प्रतिशत अकेले इन छह राज्यों के उच्च शिक्षण संस्थानों में हुआ.

18-23 आयु वर्ग का सकल नामांकन अनुपात

वर्ष 2011 के जनगणना अनुमानों के आधार पर 18-23 आयु वर्ग के युवाओं का अखिल भारतीय स्तर पर उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 2019-20 के 25.6 से बढ़कर 2020-21 में 27.3 पर पहुंच गया. लिंग के आधार पर देखें, तो अखिल भारतीय स्तर पर पुरुषों का जीईआर जहां 26.7 रहा, वहीं महिलाओं का 27.9 रहा. सभी वर्गों के महिलाओं के जीईआर में 66.1 के साथ चंडीगढ़ अखिल भारतीय स्तर पर सर्वोच्च स्थान पर रहा. वहीं अरुणाचल प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, केरल, पुद्दुचेरी, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड के महिलाओं का जीईआर भी 30 से ऊपर रहा.

लिंग व सामाजिक श्रेणियों के आधार पर सकल नामांकन अनुपात

एससी

  • पुरुष महिला कुल

  • 22.4 23.9 23.1

    एसटी

  • पुरुष महिला कुल

  • 18.6 19.1 18.9

    अखिल भारतीय स्तर पर

  • पुरुष महिला कलु

  • 26.7 27.9 27.3

विश्वविद्यालयों की संख्या में 29 प्रतिशत की वृद्ध

उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या के बीच विश्वविद्यालयों व कॉलेजों की संख्या में भी बढ़त दर्ज हुई है. वर्ष 2020-21 में विश्वविद्यालयों की संख्या 70 बढ़ी, जबकि कॉलेजो की संख्या में 1,453 की वृद्धि हुई. इतना ही नहीं, स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी, स्टेट पब्लिक यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संख्या भी इस दौरान बढ़ी है.

  • वर्ष 2016-17 के 864 की तुलना में 2020-21 में विश्वविद्यालयों की संख्या 1,113 पर पहुंच गयी, जो लगभग 29 प्रतिशत की बढ़त दर्शाती है. वर्ष 2014-15 से 2020-21 की अवधि में प्रतिवर्ष औसतन 59 विश्वविद्यालय जुड़े हैं.

  • कॉलेजों की यदि बात करें, तो इसकी संख्या 2016-17 के 40,026 से बढ़कर 2016-17 में 43,796 पर पहुंच गयी, जो 9.4 प्रतिशत की वृद्धि बताती है.

  • वर्ष 2014-15 में जहां राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संख्या 75 थी, वह 2020-21 में लगभग दोगुनी होकर 149 पर पहुंच गयी.

  • वर्ष 2014-15 के बाद से 191 नये उच्च शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना हुई है पूर्वोत्तर के राज्यों में.

शिक्षकों की स्थिति

देशभर में 2020-21 के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कुल संख्या लगभग साढ़े पंद्रह लाख है, जिनमें लगभग 57 प्रतिशत पुरुष और 43 प्रतिशत महिलाएं हैं.

  • कुल शिक्षकों में 56.2 प्रतिशत सामान्य वर्ग से, 32.2 प्रतिशत ओबीसी से, जबकि 9.1 और 2.5 प्रतिशत क्रमश: एससी और एसटी वर्ग से आते हैं.

  • देश में 5.6 प्रतिशत शिक्षक मुस्लिम समुदाय और 8.8 प्रतिशत अन्य अल्पसंख्यक समूहों से हैं.

  • देशभर में प्रति 100 शिक्षक पर 75 शिक्षिका हैं. पर केरल, पंजाब, चंडीगढ़, गोवा, मेघालय, नागालैंड, दिल्ली, हरियाणा और लक्षद्वीप में महिला शिक्षकों की संख्या अपने प

सफल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी

  • देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के पास होने की संख्या 2020-21 में बढ़कर 95.4 लाख हो गयी, जो 2019-20 में 94 लाख थी.

  • स्नातक स्तर पर 20.5 लाख के साथ कला विषयों से स्नातक करने वाले विद्यार्थियों ने सबसे अधिक सफलता प्राप्त की. इसके बाद विज्ञान के विद्यार्थियों (11.3 लाख) का स्थान रहा. जहां वाणिज्य के 10.2 लाख विद्यार्थी स्नातक स्तर की परीक्षा में सफल रहे, वहीं बीई-बीटेक के 8.3 लाख छात्र उतीर्ण रहे.

  • स्नातकोत्तर में भी कला के सर्वाधिक 5.4 लाख छात्र सफल रहे. वहीं 2.9 लाख विद्यार्थियों के साथ विज्ञान दूसरे, 2.2 लाख के साथ एमबीए के छात्र तीसरे स्थान पर रहे. कॉमर्स के 1.6 लाख छात्र परीक्षा पास करने में सफल रहे.

  • डिप्लोमा करने वाले कुल 8.48 लाख विद्यार्थी पास हुए. पीएचडी की बात करें, तो 2020 में 14,422 पुरुष और 11,128 महिलाओं के साथ कुल 25,550 छात्रों को यह उपाधि मिली. सबसे अधिक पीएचडी (6,022) विज्ञान में मिली, उसके बाद इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी (4,556) का स्थान

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