नई दिल्ली : भारत में महंगाई आम आदमी को बेदम किए हुए है. लोग कभी सरकार की ओर टकटकी लगाते हैं, तो कभी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर आस भरी निगाह से देखते हैं. लेकिन, उन्हें न तो महंगाई से राहत मिल रही है और न ही महंगी ब्याज दर से. ऐसी स्थिति में आम आदमी के पास घर खर्च के लिए भी हाथ में पैसे नहीं बच रहे हैं, बचत करने की तो बात ही दूर है. इस बीच, आरबीआई ने आम आदमी के लिए राहत भरा अनुमान जाहिर किया है. बुधवार को रेपो रेट की नई दरों का ऐलान करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अगले वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई घटने का अनुमान जाहिर किया है. बता दें कि नए वित्त वर्ष की शुरुआत प्रत्येक साल 1 अप्रैल से होती है. अब अगर आरबीआई अनुमान को मानें, तो भारत में अप्रैल महीने के बाद महंगाई घटने की उम्मीद की जा सकती है.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को अगले वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा महंगाई दर नरम पड़कर 5.3 फीसदी पर आने का अनुमान जताया है. चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसदी के स्तर पर रहने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष का अनुमान केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर दो फीसदी के घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने के लक्ष्य से अधिक है.
रिजर्व बैंक ने बुधवार को पेश द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा कि ‘आयातित’ महंगाई कम रहने से अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आएगी. हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति अब भी ऊंची बनी हुई है. इससे पहले, रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 6.8 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया था. सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट तथा भारत की कच्चे तेल की खरीद 95 डॉलर प्रति बैरल रहने के आधार पर केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को कम किया है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आगे चलकर 2023-24 में मुद्रास्फीति नीचे आएगी. हालांकि, यह चार प्रतिशत से ऊपर रहेगी. मुद्रास्फीति का परिदृश्य भू-राजनीतिक तनाव की वजह से पैदा हुई अनिश्चितताओं, वैश्विक वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव, गैर-तेल जिंसों की कीमतों में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होगा. केंद्रीय बैंक ने कहा कि अन्य समकक्ष मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपये में कम उतार-चढ़ाव की वजह से ‘आयातित’ महंगाई का दबाव कम होगा.
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उन्होंने कहा कि भारत की कच्चे तेल की खरीद औसतन 95 डॉलर प्रति बैरल रहने के अनुमान के आधार पर 2022-23 में मुद्रास्फीति के 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. मानसून सामान्य रहने पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.3 प्रतिशत रहेगी. पहली तिमाही में यह पांच फीसदी, दूसरी में 5.4 फीसदी, तीसरी में 5.4 फीसदी और चौथी तिमाही में यह 5.6 फीसदी रहेगी. महंगाई को लेकर जोखिम दोनों तरफ बराबर है.
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