पटना. मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति राजेंद्र प्रसाद ने आखिरकार आत्मसमर्पण कर दिया है. काफी दिनों से फरार चल रहे पूर्व कुलपति राजेन्द्र प्रसाद ने बुधवार को निगरानी कोर्ट में आत्मसमर्पण किया है. मगध विश्वविद्यालय में अवैध नियुक्ति, टेंडर घोटाला समेत अन्य मामल में करीब 30 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप पूर्व कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ लगा है. इन आर्थिक अनियमितता को लेकर उनके खिलाफ केस दर्ज है. अदालातों से जमानत की याचिका रद्द होने के बाद से निगरानी की टीम उनकी तलाश कर रही थी.
जानकारी के अनुसार पूर्व कुलपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के उपरांत प्राथमिक साक्ष्य मिलने के बाद विशेष निगरानी इकाई ने 2021 में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद के ठिकानों पर छापा मारा था. छापेमारी के दौरान एसवीयू को नकदी समेत कई अहम दस्तावेज और सबूत हाथ लगे थे, लेकिन राजेंद्र प्रसाद अपने पद के रसूख का इस्तेमाल कर विशेष निगरानी से बचते रहे. दवाब के बाद उन्होंने मई 2022 में कुलपति के पद से इस्तीफा दे दिया था. इस बीच, राजेंद्र प्रसाद अग्रिम जमानत याचिका लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गए, पर कोर्ट ने उनकी खारिज कर दी थी. इसके बाद से निगरानी को उनकी तलाश थी और पूर्व कुलपति फरार चल रहे थे.
इधर, निगरानी की स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीम कुलपति राजेंद्र प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए लगातार बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश में छापेमारी कर रही थी. कई प्रयासों के बाव भी जब पूर्व कुलपति की गिरफ्तारी नहीं हुई तो एसवीयू ने मामले के जांच अधिकारी को भी बदल दिया. इस मामले की जांच का जिम्मा एसपी स्तर के अधिकारी चंद्रभूषण को सौंपा गया. इसके साथ ही इंस्पेक्टर स्तर के दो अधिकारी भी इसमें लगाये गये.
अब एसवीयू ने राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ अपनी दबिश बढ़ा दी. निगरानी कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद एसवीयू की टीम ने रविवार को गोरखपुर में प्रो. राजेंद्र प्रसाद के आवास और शिक्षण संस्थान में छापा मारा, लेकिन राजेंद्र प्रसाद फरार होने में सफल रहे जांच एजेंसी की बढ़ती दबिश को देखते हुए बुधवार को आखिरकार आरोपी पूर्व कुलपति राजेंद्र प्रसाद ने विशेष निगरानी की अदालत में पहुंचकर सरेंडर कर दिया है.