राउरकेला की महिलाओं ने इंसानियत की नायाब मिसाल पेश की है. शहर की बीजद नेता और समाजसेवी मिनती देवता की पहल पर महिलाओं के समूह ने एक अनजान शख्स का पहले इलाज कराया और मौत के बाद बेटी बनकर अंतिम संस्कार किया’ इन महिलाओं ने शव को कंधा दिया. अंतिम क्रिया के सभी नियमों का पालन कर उसे दफन किया. उसके बाद घाट पर स्नान किया और घर लौटीं. मिनती बताती हैं कि दो फरवरी को उनके फोन की घंटी बजी. रिसीव किया, तो एक चिकित्सक का कॉल था.
उन्होंने सूचना दी कि प्रधानपल्ली स्थित उनके आवास के बाहर एक बेसहारा बुजुर्ग नंग-धड़ंग पड़ा है. मिनती अपनी टीम के साथ वहां पहुंची. देखा बुजुर्ग बेसुध है और कुछ भी नहीं कह पा रहा है. तत्काल एंबुलेंस की व्यवस्था कर राउरकेला सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया. बुजुर्ग का इलाज शुरू हुआ. दो दिन के इलाज के बाद उनका निधन हो गया. मिनती व उनकी टीम और पुलिस ने अपने स्तर पर पता लगाने की भरसक कोशिश की, लेकिन पहचान नहीं हो पायी. शव को करीब 72 घंटे तक मोर्ग हाउस में रखने के बाद और सभी प्रयासों के बावजूद जब शव की शिनाख्त नहीं हो पायी, तो पोस्टमार्टम के बाद मिनती देवता के अनुरोध पर शव उन्हें सौंप दिया गया.
इलाज के दौरान बुजुर्ग का हाल-चाल जानने मिनती देवता व उनकी टीम आरजीएच आती-जाती थीं. मिनती बताती हैं कि उन्होंने बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन बुजुर्ग ज्यादा कुछ नहीं कहते थे. उन्होंने पुलिस से बुजुर्ग का अंतिम संस्कार करने की इच्छा जतायी. हालांकि पुलिस ने शव का दाह-संस्कार करने से मना करते हुए कहा कि तकनीकी कारणों से शव को दफन ही किया जा सकता है अभी दाह संस्कार नहीं किया जा सकता.
इसके बाद मिनती देवता के साथ बासंती दास, बनीता दास, सबीता जामुड़ा, पंकजिनी हुई, भालेरिया मुंडा, हरप्रिया पात्र, मंजुलता सामल, रोजालिन दास, अंबिका बारिक, प्रभासिनी बारिक, सस्मिता महल, ललिता तिग्गा, अर्चना सिंह, दुर्गा प्रसाद, लक्ष्मी शाह, माहेश्वरी राउत, श्वेता राउत, लक्ष्मी सेठ ने मिलकर शव को पूरे नियमों के अनुसार अंतिम संस्कार करने की ठानी. शव को महिलाओं ने कंधा दिया और वेदव्यास घाट पर दफन कर दिया गया.