EPF Piension Latest News : क्या आप भारत में 2014 के दौरान सत्ता परिवर्तन से पहले नौकरी से रिटायर किए हैं और अभी तक आपको कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ओर से बढ़ी पेंशन का लाभ नहीं दिया है? अगर आप अभी तक ईपीएफओ की पेंशन योजना का लाभ नहीं उठा रहे हैं, तो आपके लिए एक महत्वपूर्ण खबर है. संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के सांसद बी मणिक्कम टैगोर और भारत राष्ट्र समिति के सांसद मन्ने श्रीनिवास रेड्डी ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव से ईपीएफ पेंशन योजना के लाभ वंचित रिटायर कर्मचारियों से संबंधित सवाल पूछे. आइए जानते हैं कि विपक्षी सांसदों के सवाल के जवाब में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने क्या जवाब दिए.
इस सवाल के जवाब में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि जी, हां. 29 दिसंबर 2022 को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 01 जनवरी 2014 से पहले सेवानिवृत्त हुए पेंशनभोगियों से ऑनलाइन आवेदन मंगाने के अनुदेश जारी किए थे और जिन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति से पहले वेतन सीमा से अधिक वेतन पर पेंशन निधि में अंशदान करने के लिए संयुक्त विकल्पों का प्रयोग किया था. लेकिन, उनके संयुक्त विकल्पों को ईपीएफओ द्वारा (कट-ऑफ तारीख के कारण) खारिज कर दिया गया था. यह वर्ष 2019 के एसएलपी (सिविल) संख्या 8658-8659 में दिनांक 04 नवंबर 2022 के निर्णय के अनुच्छेद 44(v) और (vi) के साथ पठित अनुच्छेद 44(ix) में यथा निहित सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में हुआ है.
इस सवाल के जवाब में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि 22 अगस्त 2014 के सा.का.नि. 609 (अ) के माध्यम से अधिसूचित कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 के अनुसार दिनांक 01 सितंबर 2014 से केवल 15,000 रुपये प्रति महीने तक वेतन पाने वाले कर्मचारी कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), 1995 की सदस्यता के लिए हकदार हैं.
इस सवाल के जवाब में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि वे व्यक्ति जो 1 सितंबर 2014 के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं या जो सेवा में हैं और ईपीएस 1995 के सदस्य हैं, वे 1 सितंबर 2014 से 22 अगस्त 2014 के सा.का.नि. 609 (अ) के माध्यम से यथा संशोधित ईपीएस, 1995 के उपबंधों द्वारा शासित होते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान की धारा 142 के तहत निर्देश दिया है कि ईपीएस, 1995 के सदस्य, जिन्होंने ईपीएस, 1995 के पूर्व-संशोधित अनुच्छेद 11(3) के परंतुक में यथा अपेक्षित वेतन सीमा से अधिक वेतन पर अंशदान करने के विकल्प का प्रयोग नहीं किया है, वे चार महीने की बढ़ी हुई समयावधि के भीतर संशोधन पश्च योजना के अनुच्छेद 11(4) के अंतर्गत संयुक्त विकल्पों का उपयोग करने के हकदार होंगे. बशर्ते, संशोधित उपबंध के अनुसार शेष अपेक्षाओं का अनुपालन किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के कानूनी, वित्तीय, बीमांकिक और तार्किक निहितार्थ हैं और उनका अध्ययन किया जा रहा है.
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