पटना हाइकोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य के पुलिस थानाें की दयनीय स्थिति और वहां बुनियादी सुविधाओं के अभाव को दूर करने के लिए हाइकोर्ट और राज्य सरकार के बीच को-ऑर्डिनेटर का काम राज्य के एडीजी कमल किशोर सिंह करेंगे. यह जानकारी गुरुवार को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह और न्यायाधीश पार्थसारथी की खंडपीठ को राज्य के थानों की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर चल रहे सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से दी गयी.
खंडपीठ ने बुधवार को राज्य सरकार को कहा था कि वह गुरुवार को एक ऐसे वरीय आइपीएस अधिकारियों के नाम का सुझाव कोर्ट को दे, जो राज्य सरकार और हाइकोर्ट के बीच को-ऑर्डिनेटर का काम कर सके. मालूम हो कि कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद द्वारा इस मामले को लेकर दायर की गयी रिट याचिका को लोकहित याचिका मान कर सुनवाई करने के अनुरोध पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने इस मामले को दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह पाया यह मामला लोकहित का है और इस पर खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होनी चाहिए. उन्होंने इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष यह कहते हुए भेजा कि यह लोकहित का मामला है और इसे लोकहित याचिका मान कर इस पर सुनवाई की जाए.
इसके बाद यह मामला लोकहित याचिका में तब्दील हुआ और उस पर सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी माना कि राज्य के 471 पुलिस थानों के पास अपना भवन नहीं है. इनका काम किराए के भवन से होता है.इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था.
राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था, लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा. सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है. इस मामले में एक सप्ताह बाद फिर सुनवाई की जायेगी.