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पाकुड़ में गर्मी से पहले ही पेयजल संकट ने दी दस्तक, जानें क्या है विभिन्न प्रखंडों का हाल, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

पाकुड़ शहर पानी की समस्या से हमेशा ग्रसित रहा है. शहर के कई इलाके ड्राई जोन में आते हैं. इन इलाकों में बोरिंग, कुआं, चापाकल गर्मी में बेदम हो जाते हैं. हालांकि अभी बसंत ऋतु है और गर्मी के मौसम की दस्तक देना बाकी है. लेकिन पानी की समस्या जोर पकड़ने लगी है. लोगों में पानी को लेकर बेचैनी दिखने लगी है.

पाकुड़, रमेश भगत, देवव्रत, सुनील चंद्र दे, : अपने बैसाल्ट स्टोन के लिए जग विख्यात पाकुड़ पानी की समस्या से जार-जार हो रहा है. पाकुड़ अपने पत्थर उद्योग के लिए जाना जाता है लेकिन यही पत्थर उद्योग पाकुड़ के लिए मुसीबत भी लेकर आ रही है. पहले इलाका पहाड़ों और जलस्रोतों से भरा पड़ा रहता था लेकिन जमीन में खुदाई कर माइंस तैयार करने से भूगर्भ जलस्तर में भी कमी दिख रही है. एक पत्थर खदान में 100 फीट के करीब गड्ढा किया जाता है, जिससे पानी का जलस्तर भी नीचे चला जा रहा है. इसका असर जिले की प्रमुख नदियों पर भी देखने को मिल रहा है.

बांसलोई, ब्राह्मणी, पगला, परगला, तोड़ाई और गुमानी नदी में पानी का स्तर काफी कम दिख रहा है. लंबी चौड़ी बांसलोई नदी ने नाले का रूप ले लिया है. नदी के बीच मझधार में पेड़-पौधे उग आए हैं. बरसात के मौसम में कम बारिश होने और नदियों में मोटर लगाकर सिंचाई करने से नदी समय से पहले सूख गए हैं. परगला नदी में ही किसानों को तालाब खुदवाना पड़ गया है. इस समस्या से इंसान किसी तरह निजात पा भी ले, तो मवेशियों, जंगली जानवरों और जीवों के लिए यह विकराल रूप लेती दिख रही है.

जिला प्रशासन योजना बनाने में दिख रहा व्यस्त

जिले के हर घर में नल से जल पहुंचे, इसके लिए वृहद पैमाने पर योजनाएं तैयार की जा रही है. पाकुड़ और हिरणपुर प्रखंड के सभी घरों में पानी पहुंचे, इसके लिए 301 करोड़ रुपए की योजना बनायी गयी है. महेशपुर प्रखंड के सभी घरों में पानी पहुंचाने के लिए 212 करोड़ रुपए की योजना बनायी गयी है. पाकुड़िया प्रखंड के सभी घरों में पानी पहुंचने के लिए 148 करोड़ रुपए की योजना बनायी गयी है. अमड़ापाड़ा में पहाड़ी इलाका होने के कारण एक गांव में एक योजना के तहत कुल 50 करोड़ रुपए की योजना तैयार की गयी है. इसमें पाकुड़, हिरणपुर और पाकुड़िया को 30 महीने में, महेशपुर में 27 महीने में और अमड़ापाड़ा में 9 महीने में योजना पूरा करना है.

पाकुड़, हिरणपुर और पाकुड़िया में काम आवंटित कर दिया गया है. महेशपुर और आमड़ापाड़ा के लिए योजना अभी प्रक्रिया में है. यहां यह उल्लेख करना बेहद जरूरी है कि पूर्व की सरकार ने 217 करोड़ रुपए की लागत से लिट्टीपाड़ा के ग्रामीणों को घर में नल से पानी पहुंचाने को लेकर योजना शुरू की थी, इस काम को इजरायल की कंपनी तहल को पूरा करने का जिम्मा दिया गया था. 2019 में यह योजना पूरा किया जाना था लेकिन साल 2023 में अब तक यह अधूरी है. इससे भी बुरा हाल शहरी जलापूर्ति योजना पाकुड़ का है. 16 करोड़ रुपये की योजना कई सालों से लटकी पड़ी है और ग्रामीण इन योजनाओं के पूरा होने की आस लगाए बैठे है. ताकि उनकी पानी की समस्या दूर हो और उनके जीवन स्तर में भी बदलाव आए. लेकिन अधर में लटकी इन योजनाओं और नई योजनाओं के आने की घोषणा से इलाके के लोगों में चिढ़-सी होने लगी है.

सूखी परगला नदी में तालाब बना खेतों की सिंचाई कर रहे हैं किसान

बारिश नहीं होने के कारण हिरणपुर के रानीपुर स्थित परगला नदी एवं तोड़ाई नदी सूख गयी है. इसके कारण सब्जी, सरसों व अन्य फसलों की खेती कर रहे किसानों पर आफत आ गयी है. नदी में पानी को लेकर जेसीबी की मदद से ही तालाब बनाया गया है. ताकि किसान किसी तरह खेती कर सकें. वहीं पानी का जलस्तर बहुत नीचे चला गया है. किसान व पशुपालकों की मानें तो ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं हुई थी. नदी सूखने से न केवल रानीपुर के किसान बल्कि गौरीपुर, जामपुर, तोड़ाई आदि जगहों पर नदी किनारे खेती करने वाले किसान प्रभावित हुए हैं. सैकड़ों किलोमीटर फैली इस परगना नदी किनारे इन गांवों में कुल लगभग 400 एकड़ की खेती का अनुमान जताया जा रहा है. इन जगहों पर फूलगोभी, मसूर, मटर, पालक, धनिया, सरसों आदि की खेती की जाती है. लेकिन पानी नहीं होने व नदी के सूख जाने के कारण इन किसानों के सामने काफी दिक्कतें पैदा हो गयी है. ऐसे में किसान काफी हताश ओर मायूस हैं. उधर, नदी नाला सूखने के कारण पालतू एवं आवारा पशुओं के साथ-साथ पक्षियों के लिए भी समस्या हो गयी है. अगर समय रहते बारिश नहीं हुई तो आने वाले समय में बहुत परेशानी होगी.

महेशपुर में जलस्तर गिरा, नदी नाले व तालाब सूखने के कगार पर

गर्मी का मौसम अभी शुरू भी नहीं हुआ है कि महेशपुर में लोगों को पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. महेशपुर प्रखंड क्षेत्र में गर्मी आते ही नदी-नाला, तालाब सूखने लगा है तो कुआं-चापाकल का जलस्तर भी नीचे की ओर जाना शुरू हो गया है. प्रखंड की दो प्रमुख नदियां बांसलोई नदी और पगला नदी है. इन दिनों बांसलोई नदी नाले का रूप ले रही है. नदी में घना घास और पौधा उग गया है. बांसलोई और पगला नदी में जगह-जगह जलजमाव भी हो गया है. जबकि क्षेत्र का तापमान अभी मात्र 30 डिग्री सेल्सियस तक ही पहुंचा है. वहीं, कुछ ग्रामीण बांसलोई नदी से चुआं खोद कर पीने का पानी प्रयोग में ला रहे हैं, तो कोई जार का पानी खरीद कर पीने को मजबूर हैं.

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गर्मी के साथ ही क्षेत्र में पशु- पक्षियों को पिलाने के लिए पानी का भी गंभीर संकट पैदा हो गया है. अधिकतर गांवों में तालाब गर्मी से पूर्व में ही सूखने लग गए हैं. जिसके चलते ग्रामीणों को पेयजल के साथ-साथ पशुओं को पानी पिलाने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है. महेशपुर क्षेत्र की जनता को पानी की आपूर्ति कराने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से पानी टंकी बनी है. इस समय पानी टंकी हाथी का दांत साबित हो रही है. यह पानी टंकी बनने के बाद ग्रामीणों को एक बूंद पानी उपलब्ध नहीं करा सकी, जिससे लोगों में काफी रोष है.

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