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WB News: पश्चिम बंगाल में फाइलेरिया फैलने का है डर, मार्च में चलाया जाएगा जागरूकता अभियान

पश्चिम बंगाल में फाइलेरिया फैलने का डर है. ऐसे में इससे निपटने के लिए मार्च में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. राज्य में अभी 50 हजार से अधिक लोग इस बीमीरी से ग्रसित हैं.

बीरभूम, मुकेश तिवारी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अगले चार से पांच वर्षों के भीतर देश से लिम्फैटिक फाइलेरिया को खत्म करने के लिए निर्धारित लक्ष्य में बताया गया है कि पश्चिम बंगाल के 5 जिलों और 2 स्वास्थ्य जिलों में इस मच्छर जनित बीमारी का प्रकोप है. राज्य के मुर्शिदाबाद, पश्चिम बर्दवान, बांकुड़ा, पुरुलिया, बीरभूम जिलों और रामपुरहाट और बिष्णापुर स्वास्थ्य जिलों की नगरपालिकाओं और ब्लॉकों सहित 37 स्थानों पर फाइलेरिया का संक्रमण अभी भी फैल रहा है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इन 37 जगहों पर 10 से 18 फरवरी तक करीब 70 लाख लोगों को फाइलेरिया की दवा देने का फैसला किया है.

स्वास्थ्य विभाग ने तय किया है कि 200 से ज्यादा आशा वर्कर और स्वास्थ्य विभाग का अमला यह काम करेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) के अनुसार वर्तमान में राज्य में 50,000 से अधिक मरीज इस बीमारी से ग्रसित है. इन पर नजर रखने के लिए अखिल भारतीय स्वच्छता एवं जन स्वास्थ्य संस्थान का सहयोग मांगा गया है ताकि इस बीमारी से बचाव के लिए दवाओं की कमी न हो.जो लोग इस रोग से पीड़ित हैं उनके लिए यह दवा काम करेगी.लेकिन जो लोग संक्रमित नहीं हैं, लेकिन मच्छर के काटने से संक्रमित होने का खतरा है, उन्हें इस दवा से बचाया जाएगा.यह दवा साल में एक बार लगातार 5 साल तक लेनी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वास्थ्य विभाग को दवा की आपूर्ति की जाती है.स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार फाइलेरिया में लिम्फेडेमा या पैर में सूजन और हाइड्रोसील या वृषण में सूजन शामिल है. वर्तमान में, लगभग 35,000 लोग लिम्फेडेमा से प्रभावित हैं और लगभग 14,000 लोग हाइड्रोसील से प्रभावित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से वह इस राज्य में ‘नेकल्ड ट्रॉपिकल डिजीज’ देंगे.(एनटीडी) कार्यक्रम के प्रभारी चिकित्सक प्रतिम राय ने बताया कि वात रोग से पीड़ित मरीज शारीरिक ही नहीं मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से भी परेशान होते हैं.इसलिए सभी लोगों को दवा लेनी चाहिए.

क्यूलेस मच्छर काटने से होती है बीमारी

डॉक्टरों के अनुसार लक्षण क्यूलेस मच्छर के काटने के कम से कम 5 से 7 साल बाद शुरू होते हैं. लेकिन 5 साल तक दवा लेने से इस बीमारी से बचा जा सकता है.और यह तभी संभव है जब लोग जागरूक हों. ‘ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ’ के निदेशक रंजन दास ने कहा कि देश से फाइलेरिया को खत्म करने के लिए मार्च में कोलकाता में बड़े पैमाने पर जागरूकता शिविर आयोजित किया जा रहा है. प्रदेश के जिन जिलों में इसका प्रकोप है, वहां मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाल चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों ने आवश्यक दिशा-निर्देश के बारे में विस्तार से चर्चा में भाग लिया है.

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