त्रिपुरा में आगामी 16 फरवरी को विधानसभा चुनाव होना है, ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञ ऐसा मान रहे हैं की ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग करने वाली टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) के प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मा आगामी राज्य विधानसभा चुनाव में किंगमेकर के रूप में उभर सकते हैं.
त्रिपुरा विधानसभा इलेक्शन को लेकर सभी की निगाहें त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार और पूर्व राज्य कांग्रेस अध्यक्ष और उनकी दो साल पुरानी पार्टी के वंशज प्रद्योत देबबर्मा पर टिकी हैं, क्योंकि आदिवासियों के लिए उनका आक्रामक अभियान, जो राज्य की आबादी का लगभग 32 प्रतिशत है, प्रभावी रूप से कारगर साबित हो सकता है.
प्रद्योत देबबर्मा 2019 में कांग्रेस से बाहर निकलने के बाद सक्रिय राजनीति से कुछ दिनों ब्रेक लिया जिसके तुरंत बाद, उन्होंने टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) का गठन किया, जिसे तिपराहा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन के रूप में भी जाना जाता है, और 2021 त्रिपुरा आदिवासी परिषद चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी को हराया. TMP यहां कुल 60 सीटों में से 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, और इसे आदिवासी इलाकों में सबसे मजबूत राजनीतिक ताकत के रूप में देखा जा रहा है. टिपरा मोथा पार्टी आदिवासियों के बीच प्रभावशाली होने के बावजूद, इस बात का ध्यान रखती है कि अन्य समुदायों को अलग-थलग न किया जाए.
राज्य की 20 आरक्षित आदिवासी सीटों में से एक, अमपिनगर में उनके हेलिकॉप्टर के उतरते ही उनके चाहने वालों की भीड़ देखकर कोई भी यह महसूस कर सकता है कि ‘बुबागरा’, जैसा कि आदिवासियों द्वारा उन्हें प्यार से बुलाया जाता है, आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारा झटका दे सकते हैं.
TMP प्रमुख प्रद्योत देबबर्मा कहते हैं कि, “मैं वो हूं जो पूर्वोत्तर में बड़ा हुआ और पढ़ा, और मैं आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ रहा हूं. हालांकि, मैं दूसरों के खिलाफ नहीं हूं, और एक विरासत लेकर चलता हूं जिसने मुझे सिखाया है’’. वैसे प्रद्योत देबबर्मा खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, वे अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं, जो कई गैर-आदिवासी क्षेत्रों में उम्मीदवार खड़ा कर रही है.
टिपरा मोथा पार्टी के अलग ‘टिपरालैंड’ की मांग पर भाजपा का कहना है कि आदिवासियों के लिए अधिक संवैधानिक अधिकार के साथ एक अलग राज्य बनाने की तिपरालैंड की उनकी बड़ी मांग, ये मांग बंगाली-आदिवासी सद्भाव को प्रभावित करेगी.
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक रैली में कहा, “यदि आप टिपरा को वोट देते हैं, तो आपका वोट कांग्रेस या सीपीआई (एम) को जाएगा’’. हालांकि, आदिवासी और गैर-आदिवासी दोनों आबादी में टिपरा मोथा समर्थक, भाजपा की बयानबाजी को खारिज करते हैं.
TMP प्रमुख प्रद्योत देबबर्मा का नारा है – चीनी हा, चीनी शासन – जिसका अर्थ है, ‘हमारी जमीन-हमारा शासन’. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर यूं तो टिपरा मोथा पार्टी के कई दावें हैं, मगर आदिवासियों के नीच TMP और प्रद्योत देब वर्मा की पकड़ से इंकार नहीं किया जा सकता है, अब ये देखना दिलचस्प होगा की चुनावी नतीजे के बाद कौन किंगमेकर का ताज पहनता है